जनजीवन ब्यूरो
पटना। किसान आत्म हत्या को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है। मनेर में किसान के आत्महत्या को सरकार की नाकामी बताते हुए कहा है कि राज्य में जब भाजपा गंठबंधन की सरकार थी, तो कृषि रोड मैप बना, कृषि कर्मण पुरस्कार मिला, लेकिन नीतीश सरकार में किसान खुदकुशी को विवश है। राज्य सरकार के लिए शर्मनाक बताते हुए उन्होंने कहा कि खुदकुशी के बाद सहायता की जो योजना बनी है यदि पहले ही उसके धान की खरीद कर ली जाती, तो किसान को बचाया जा सकता था। आत्महत्या मामले में पैक्स अध्यक्ष पर आइपीसी की धारा 418 और 420 के तहत झूठे आरोप लगा कर मुकदमा दर्ज किया गया है.
जांच रिपोर्ट में पैक्स अध्यक्ष पर आरोप लगाया गया है कि-‘ पैक्स अध्यक्ष की जवाबदेही बनती थी कि वे अपने पैक्स के सदस्य को अद्यतन लगान रसीद निर्गत करा क्रय करते। इतनी गलती तो पैक्स अध्यक्ष ने की ही है।’ क्या किसी किसान का अद्यतन लगान रसीद निर्गत करवाना पैक्स अध्यक्ष की जवाबदेही है? जांच रिपोर्ट में सरकार ने स्वीकार किया है कि जमीन आत्महत्या करने वाले किसान नहीं बल्कि उसके पिता के नाम पर है।
सत्ताधारी दल के प्रखंड अध्यक्ष अखिलेश सिंह के परिसर में राज्य खाद्य निगम का क्रय केंद्र था। राजनीतिक विरोध के कारण किसान गजेंद्र का धान नहीं खरीदा। सरकार अखिलेश सिंह को बचाने के लिए पैक्स अध्यक्ष को बलि का बकरा बनाया है। उन्होंने कहा है कि 30 दिसंबर, 2014 धान खरीद पर प्रति क्विंटल तीन सौ रुपये बोनस के लिए 500 करोड़ देने के निर्णय के बावजूद चार महीना बाद इस मद में चार सौ करोड़ रुपये की निकासी की स्वीकृति दी है।