जनजीवन ब्यूरो / कोझीकोड । केरल के पेरमब्रा तालुक अस्पताल में नर्स के तौर पर कार्यरत 31 साल की लिनी की निपाह वायरस की चपेट में आने से मौत हो गई है। आशंका जताई जाती है कि वह वायरस से संक्रमित किसी मरीज की सेवा करने के दौरान वह इस जानलेवा वायरस के चपेट में आ गईं। जिसकी वजह से उन्हें अपने प्रियजनों को आखिरी बार मिलने तक का मौका नहीं मिला।
लिनी के दो बच्चे 5 साल का सिद्धार्थ और 2 साल का रिथुल हैं। पत्नी के बीमार होने की बात पता चलने पर दो दिन पहले ही पति सजीश खाड़ी देश से वापस लौटे थे। अब उनकी मौत के बाद इस वायरस से मरने वालों की संख्या 10 हो गई है।
रविवार को इस वायरस ने 9 लोगों की जान ले ली थी जिसमें 6 वो लोग शामिल थे जिनमें इस बीमारी के संकेत मिले थे। वायरस की वजह से दो मौतें कोझीकोड और चार मल्लपुरम जिले में हुई हैं। चेमबनोदा क्षेत्र में रहने वाले उनके परिवार ने स्वास्थ्य विभाग को विद्युत शवदाहगृह में उनका अंतिम संस्कार करने की इजाजत दे दी। विभाग ने वायरस फैलने के डर से उन्हें शव को घर ले जाने नहीं दिया।
लिनी के मामा वी बालन ने कहा, अपने आखिरी दिनों में उसे अहसास हुआ कि उसे एक संभवत: घातक इंफेक्शन हो गया है। यह अहसास उसे तब हुआ जब उसने चंगरोथ के रहने वाले एक युवा का शुरुआती चरण में इलाज किया था, उस युवा की बाद में मौत हो गई थी। वह हमेशा दूसरों की मदद करती थी और अब उसकी मौत एक बलिदान बन गई है। जब लिनी को लगा कि अब उनका जीवन नहीं बचा है तो उन्होंने एक और त्याग किया। उन्होंने अपने पति के नाम खत लिखा और मरते दम तक मासूम बच्चों समेत अपने पूरे परिवार को खुद से दूर रखा ताकि वह जिनसे प्यार करती हैं वे भी इस डेडली वायरस के संपर्क में न आ पाएं।
क्या है निपाह वायरस
यह इंसान तथा जानवरों में फैलने वाला नया संक्रमण है। 1998 के दौरान मलेशिया के कामपुंग सुनगेई निपाह में सबसे पहले इस वायरस की पहचान हुई। उस समय सुअरों को इसका वाहक बताया गया था। हालांकि बाद में फैले इस वायरस का कोई वाहक नहीं पाया गया। बांग्लादेश में 2004 में यह वायरस फैला। इस बार इसका कारण संक्रमित चमगादड़ के खाए फलों का सेवन करना पाया गया। भारत में सबसे पहले यह वायरस जनवरी 2001 में सिलीगुड़ी (पश्चिम बंगाल) में फैला था जबकि अप्रैल 2007 में पश्चिम बंगाल के नादिया तक पहुंच गया था।
ऐसे फैलता है यह वायरस
प्राकृतिक वाहक (चमगादड़)- संक्रमित चमगादड़ के खाए फलों का सेवन करने वाला व्यक्ति- एनआईवी से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर
वायरस के लक्षण
वायरस से प्रभावित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत आती है। तेज बुखार और दिमाग में जलन, आलस आना, भूल जाना, कनफ्यूजन रहना जैसे लक्षण महसूस होते हैं। सही समय पर इलाज नहीं होने की स्थिति में संक्रमित व्यक्ति की मौत हो जाती है। संक्रमित व्यक्ति को आईसीयू में रखकर इलाज किया जाता है।
इस वायरस से बचने के लिए निगरानी और जागरूकता पर केंद्रित प्रयास किए जाने चाहिए। फलों पर निर्भर चमगादड़ में वायरस जांच, चमगादड़ और निपाह वायरस की पारिस्थितिकी को बेहतर ढंग से समझने के लिए शोध की जरूरत है।