जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। 26/11 के मास्टर माइंड ज़की-उर-रहमान लखवी की रिहाई से पाकिस्तान की राजनीति में भी भूचाल आने की संभावना बन रही है। माना जाता है कि पाकिस्तान की विपक्षी दल भी लखवी की रिहाई के खिलाफ हैं। फ़्रांस दौरे पर गए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामले पर राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद का भी समर्थन मिला है।ओलांद ने लखवी की रिहाई पर कहा, “जिस आतंकवाद पर मुंबई हमले जैसे एक जघन्य अपराध का आरोप है, उसकी रिहाई चौंकाने वाली है।” इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायुक्त ने पाकिस्तान के विदेश सचिव से मुलाक़ात कर अपनी आपत्ति जताई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने लखवी की रिहाई पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा है कि ये दुनिया के लिए अच्छी ख़बर नहीं है। लेकिन पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत पर आरोप लगाते हुए कहा है कि भारत की ओर से इस मामले में सहयोग न मिलने के कारण लखवी का मामला जटिल हो गया और इस कारण केस भी कमज़ोर हो गया।
लखवी की रिहाई पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर सवाल भी उठाए हैं। कांग्रेस ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि सरकार पाकिस्तान पर दबाव क़ायम रखने में विफल रही। पूर्व दूरसंचार मंत्री और कांग्रेस के नेता मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट किया- अब 56 इंच का सीना कहाँ गया, जिसकी अब ज़रूरत है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी लखवी की रिहाई का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा।
गुरुवार को लाहौर हाईकोर्ट ने लखवी की नज़रबंदी को ख़त्म करते हुए उन्हें दस लाख के दो ज़मानती मुचलकों पर रिहा करने का आदेश दिया था।
रावलपिंडी में जेल अधिकारियों ने कहा कि लखवी को शुक्रवार की सुबह रिहा किया गया। भारत लखवी को 2008 में हुए मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड मानता है जिनमें 166 लोग मारे गए थे.लखवी को पिछले साल दिसंबर में ज़मानत मिली थी, लेकिन पंजाब सरकार ने क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के कानून के तहत लखवी की नज़रबंदी को जारी रखने का फैसला किया था।
लेकिन लाहौर हाईकोर्ट ने लखवी की नज़रबंदी को गलत ठहराया था और उनकी रिहाई के आदेश दिए थे.लखवी को पाकिस्तान ने 7 दिसंबर 2008 को गिरफ़्तार किया था।