जनजीवन ब्यूरो
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने हिज्बुल मुजाहिद्दीन के आतंकी बुरहान वानी के भाई समेत घाटी में आतंकी घटनाओं में मारे गए 17 लोगों के परिजनों को मुआवजा देने को मंजूरी दी है।
इस साल आठ जुलाई को दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में बुरहान वानी मारा गया था। इसके बाद से घाटी में प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया जिसमें 86 लोगों की मौत हो गई थी। पुलवामा के उपायुक्त की ओर से कल जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक आतंकी घटनाओं में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए जिला स्तरीय जांच सह परामर्श समिति (डीएलएससीसी) ने मुआवजा राहत को मंजूरी दी है।
आतंकी घटनाओं में मारे गए 17 लोगों की सूची में वानी के भाई खालिद मुजफ्फर वानी का नाम भी है जिसकी पिछले साल 13 अप्रैल को त्राल के बुचू वन क्षेत्र में सुरक्षा बलों की ओर से की गई गोलीबारी में मौत हो गई थी। पुलवामा के उपायुक्त मुनीर उल इस्लाम की अध्यक्षता में डीएनएससीसी की बैठक 24 नवंबर को हुई थी। उपायुक्त ने आपत्तियां मंगवाई हैं। आपत्तियां औपचारिक आदेश जारी होने से सात दिन पहले दर्ज करानी होंगी। नियमानुसार ऐसे मामलों में चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है।
सेना ने कहा था खालिद हिज्बुल मुजाहिद्दीन से जुड़ा था और एक मुठभेड़ में मारा गया था। हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि आतंकवाद से उसका कोई लेना देना नहीं था। खालिद (25) इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर कर रहा था। इस सूची में शब्बीर अहमद मांगू का नाम भी शामिल है जो एक अनुबंधित लेक्चरर था। इस साल 17 अगस्त को पुलवामा के ख्रेव में सेना के जवानों द्वारा कथित तौर पर पिटाई के बाद उसकी मौत हो गई थी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि सेना क्षेत्र में हिंसक प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले युवाओं को पकड़ने के लिए घर घर में तलाशी ले रही थी जिसका ख्रेव के निवासियों ने विरोध किया था। इस दौरान हुई झड़प में 30 वर्षीय मांगू की मौत हो गई थी। सेना ने घटना की जांच का आदेश देते हुए कहा था कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सेना की उत्तरी कमान के तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा ने कहा था, ऐसी छापेमारी को बिलकुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह अनुचित है। इसका कोई भी समर्थन नहीं कर सकता और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।