जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । यदि दुष्कर्म से कोई बच्चा पैदा होता है तो वह अपनी मां को मिले मुआवजे से अलग मुआवजा पाने का हकदार है। दिल्ली उच्चन्यायालय ने कहा बच्चे की मां को बतौर पीड़ित मिले मुआवजे का इससे कोई असर नहीं पड़ेगा।
न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति आरके गाबा की खंडपीठ ने निचली अदालत द्वारा इस मामले में कई गलतियां करने पर भी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा हमने पहले ही तय कर दिया था कि पीड़िता को दिल्ली सरकार द्वारा मुआवजा स्कीम के तहत मुआवजा प्रदान किया जाए। निचली अदालत ने पीड़िता को 15 लाख रुपये मुआवजा प्रदान किया है जबकि कानून में यह अधिकतम राशि साढ़े सात लाख रुपये है। अत: वे मुआवजा राशि घटाकर साढ़े सात रुपये करते है।
खंडपीठ ने कहा ट्रायल कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की पहचान भी सार्वजनिक कर तय दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया है। अदालत ने कहा कि यह विडंबना है कि कानून में दुष्कर्म से पीड़िता के बच्चे के लिए मुआवजे का स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
अदालत ने कहा कि ऐसा बच्चा अपनी मां को मिले मुआवजे से अलग से स्वतंत्र रूप से मुआवजा पाने का हकदार है। अदालत ने अपनी सौतेली नाबालिग पुत्री से दुष्कर्म के दोषी को पूरी जिंदगी के लिए जेल भेजते हुए यह निर्णय दिया है।