अमलेंदु भूषण खां
नई दिल्ली । 33 साल बाद आर्मी चीफ की नियुक्ति में वरिष्ठता को नजरअंदाज किया गया है। आर्मी के नए चीफ लेफ्टिनेंट जनरल विपिन रावत होंगे। नए सेनाध्यक्ष 31 दिसंबर को कार्यभार संभाल लेंगे। आमतौर पर सेनाओं के प्रमुखों की नियुक्ति की घोषणा दो से तीन महीने पहले होती थी, लेकिन पहली बार यह काम महज 14 दिन पहले किया गया है।
जनरल दलबीर सिंह सुहाग के बाद पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी को आर्मी में सबसे सीनियर होने के नाते आर्मी चीफ पद का अगला दावेदार माना जा रहा था। साल 1983 में लेफ्टिनेंट जनरल एस के सिन्हा के बाद आर्मी में नए चीफ के लिए वरिष्ठता को प्रमुखता दी गई है। तब लेफ्टिनेंट जनरल एस के सिन्हा ने इस्तीफा दे दिया था।
इस बार रक्षा मंत्रालय की ओर से बार-बार संकेत दिए गए थे कि सिर्फ वरिष्ठता ही आधार न हो। विपिन रावत न सिर्फ लेफ्टिनेंट जनरल बख्शी के बाद बल्कि तीसरे दावेदार बताए जा रहे। वह दक्षिणी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हैरिज के भी जूनियर हैं। हालांकि, विपिन रावत ने 1 सितंबर को वाइस चीफ का कार्यभार संभाला था, जिससे वह रेस में प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। ऊंचाई वाले इलाकों में अभियान चलाने और उग्रवाद से निपटने का उन्हें खासा अनुभव है। उनकी नियुक्ति चीन से लगे लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल और कश्मीर में रह चुकी है।
हालांकि ऐसी अटकलें थीं कि अगर पूर्वी कमान के कमांडर प्रवीण बख्शी अगले दावेदार नहीं चुने गए तो उन्हें संतुष्ट करने के लिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया जा सकता है। सेना में पहली बार इस पद का सृजन होता और तालमेल और सिंगल पॉइंट सलाह के लिए यह बहुत जरूरी भी माना जा रहा है। लेकिन शनिवार की घोषणा में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है।
एयरफोर्स में एयर चीफ मार्शल अरूप राहा के रिटायरमेंट के बाद एयर मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोवा को सबसे सीनियर होने के नाते नए चीफ पद का दावेदार माना जा रहा था। कारगिल जंग के दौरान उन्होंने शानदार भूमिका भी निभाई थी।