नयी दिल्ली : जेएनयू के लापता छात्र नजीब अहमद की तलाश में खोजी कुत्तों के साथ दिल्ली पुलिस के 600 से ज्यादा कर्मियों ने जेएनयू कैंपस के रिहाइश और जंगल वाले इलाके की छानबीन की. डीसीपी (अपराध शाखा) जी रामगोपाल नाइक की निगरानी में दिन में करीब 11 बजे दिल्ली पुलिस के महिला एवं पुरुष कर्मियों ने तलाश शुरु की. एक टीम ने माही-मांडवी छात्रावास का दौरा किया जहां नजीब रहता था और खोजी कुत्तों की मदद ली गयी जिसने नजीब के कपडों के गंध को पहचाना. खोजी कुत्तों को कुछ सफलता नहीं मिली और छात्रावास के ईद-गिर्द ही उनका दायरा सिमट गया.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘विशेष प्रकोष्ठ, विशेष शाखा और स्थानीय पुलिस सहित दिल्ली पुलिस की सभी एजेंसियों के 600 से ज्यादा कर्मियों ने शाम पांच बजे तक छात्रवासों, रिहाइशी क्षेत्रों, शिक्षण खंडों और जंगल वाले इलाकों को खंगालाा. घुडसवार पुलिस की मदद से भी बडे क्षेत्र में छानबीन की गयी लेकिन कुछ नहीं मिला .” उन्होंने कहा कि आज कैंपस के 65-70 प्रतिशत हिस्से को खंगाला गया और कैंपस के रिहाइशी और भीतरी सहित बाकी क्षेत्र में कल छानबीन की जाएगी. अभियान में 12 एसीपी, 30 निरीक्षकों और 60 उपनिरीक्षकों के अलावा डीसीपी स्तर के दो अधिकारियों के अंतर्गत सैकडों कांस्टेबल थे.
नजीब का 14 अक्तूबर की रात एबीवीपी के छात्रों के साथ उसके हॉस्टल में कथित तौर पर झगडा हुआ था जिसके बाद 15 अक्तूबर से वह लापता है. नजीब के बारे में किसी भी तरह की सूचना देने पर दिल्ली पुलिस ने 10 लाख रुपये के ईनाम की घोषणा भी की है. छात्रावास में मौजूद नजीब की मां फातिमा नफीस ने पुलिस की तलाश को ‘बेहद देरी से’ उठाया गया कदम और ‘निरर्थक ‘ बताया.
उन्होंने कहा, ‘‘नजीब के लापता होने के तुरंत बाद उन्हें यह करना चाहिए था. लेकिन, इसका कोई मतलब नहीं है. मैं पुलिस से मेरे बेटे को लाने की अपील करती हूं और मैं उसे यहां से अपने घर ले जाउंगी.” जेएनयूएसयू ने एक बयान में कहा, ‘‘नजीब के लापता होने को 65 दिन हो गए, दिल्ली पुलिस ने क्या किया ? अदालत में पिछली तीन सुनवाई में अपराध शाखा के वकील ने खुद माना कि नजीब की तलाश में दिल्ली पुलिस से देरी हुयी.”