जनजीवन ब्यूरो
नयी दिल्ली/कोलकाता : नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की सोनिया गांधी की कोशिशें विफल होती नजर आ रही हैं. माकपा, एनसीपी समेत तीन दलों ने विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है.
उधर, कोलकाता के दौरे पर गये माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि उनकी पार्टी कल के साझा प्रेस कान्फ्रेंस में शामिल नहीं होगी. विपक्षी एकता में दरार उभरने के बीच माकपा ने आज फैसला किया कि वह कांग्रेस द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शामिल नहीं होगी. पार्टी ने इस फैसले के लिए ‘‘विभिन्न दलों के साथ मशविरे तथा समन्वय की कमी’ को वजह बताया.
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हमने कांग्रेस द्वारा आयोजित विपक्षी दलों के संवाददाता सम्मेलन से दूर रहने का फैसला किया है क्योंकि विभिन्न दलों के बीच उचित सलाह-मशविरा और समन्वय नहीं किया गया है.’ उन्होंने कहा, ‘‘अधिकतर दलों के साथ न तो सलाह मशविरा किया गया और न ही बैठक के एजेंडा के बारे में सूचित किया गया. जिस तरह से बैठक बुलायी गयी, उससे कई दलों को आपत्ति है.’ उन्होंने कहा है कि राजद व एनसीपी को भी ऐसी आपत्ति है.
राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘‘व्यक्तिगत भ्रष्टाचार’ के लगाए गए आरोपों के मुद्दे पर कांग्रेस विपक्षी दलों के बीच एकता का प्रयास कर रही है. उसकी योजना 27 दिसंबर को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा अन्य विपक्षी नेताओं द्वारा संयुक्त संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने की है. इसका को-आर्डिनेशन सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल कर रहे हैं. साेनिया व पटेल ने इस पर विभिन्न पक्षों से संपर्क भी किया है.
येचुरी ने कहा कि कुछ दिन पहले उन्हें कांग्रेस नेतृत्व से एक फोल कॉल मिला, जिसमें उन्हें 27 दिसंबर को संवाददाता सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब मैंने यह जानना चाहा कि बैठक का क्या एजेंडा होगा, कार्ययोजना क्या होगी और क्या सभी विपक्षी दलों को बुलाया गया है, तो मुझे कोई जवाब नहीं मिला.’
नोटबंदी के मुद्दे पर हंगामे के कारण इस बार संसद नहीं चली. संसद सत्र के आखिरी दिनों में राहुल गांधी ने उत्तरप्रदेश के किसानों की समस्या पर कांग्रेस नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. उधर, विपक्ष के दूसरे दलों तृणमूल कांग्रेस, जदयू, राजद व आएसपी ने इस मुद्दे पर राष्ट्रपति के समक्ष अपना पक्ष रखा. जबकि एसपी, बीएसपी, एनसीपी, डीएमके, माकपा, भाकपा व जेडीएस ने उससे दूरी बनाये रखी. कहा जाता है कि जब मोदी के खिलाफ नाेटबंदी पर तीखा विरोध किया जा रहा था, तब राहुल गांधी का मोदी से मिलना विपक्ष के कई दलों को पसंद नहीं आया. नोटबंदी के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने जिस आक्रामक अंदाज में देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन शुरू किया, उससे कांग्रेस सचेत हो गयी. उसे लगा कि कहीं मुख्य विपक्ष की जगह तृणमूल कांग्रेस न ले ले और तब राहुल गांधी की रैलियों का भी देशव्यापी कार्यक्रम बन गया.