जनजीवन ब्यूरो
लखनऊ । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए जारी सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी की 325 सीटों के उम्मीदवारों की सूची से प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चिढ़ रहे हैं. अखिलेश के पिता व सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के द्वारा सूची जारी के वक्त अखिलेश नदारद थे जबकि चाचा शिवपाल मुंछे उपर कर रहे थे. हालांकि समाजवादी पार्टी में 78 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा अभी बाकी है.
पांच साल पहले 2012 में जब अखिलेश यादव कुल 403 सीटों में 226 सीटों के प्रचंड बहुमत से सीएम बने थे तो सभी को यह उम्मीद थी कि शायद बसपा अब कभी ‘चढ़ गुंडन की छाती पर, बटन दबाना हाथी पर’ पर का नारा नहीं दे पाएगी. सभी को लग रहा था कि अखिलेश समाजवादी पार्टी की पुरानी छवि को तोड़ेंगे और नई छवि का निर्माण करेंगे.
अखिलेश यादव ने जानकारों की इस उम्मीद को सच साबित करने की कोशिश भी की. पश्चिमी यूपी के बाहुबली नेता डीपी यादव को पार्टी से निकालने के लिए उन्होंने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया. इसमें उन्हें पहली दफा सफलता भी मिली. लोगों को भी ये भरोसा हुआ कि अखिलेश सरकार में शायद प्रशासन की स्थिति बेहतर होगी. ठीक ऐसा ही वाक्या कौमी एकता दल और उसके प्रमुख कुख्यात माफिया डॉन मुख्तार अंसारी को लेकर भी दोहराया गया.
कृष्णानंद राय हत्याकांड में मुख्य अभियुक्त मुख्तार अंसारी के राजनीतिक दल कौमी एकता दल के विलय का मामला भी हाल ही में उठा. शिवपाल यादव इस विलय के समर्थन में थे लेकिन अखिलेश ने इसका विरोध किया. विलय तो नहीं हुआ मगर मुख्तार अंसारी से शिवपाल की नजदीकियां जगजाहिर हैं.
लोगों में मुलायम सिंह यादव की 2003 में बनी सरकार का डर और शक भी था. लगभग तीन सालों के मुलायम सिंह यादव के शासन काल में कई बड़ी आपराधिक घटनाएं शामिल थीं. इन घटनाओं में बसपा विधायक राजू पाल की इलाहाबाद शहर में दौड़ाकर की गई हत्या और भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का मामला शामिल था.
इन दो हत्याकांडों के डर से उस समय बसपा विधायक मुकुल उपाध्याय ने अपनी सुरक्षा की गुहार भी लगाई थी. उन्होंने राज्य सरकार से गुहार लगाई थी कि जिस तरह राजू पाल की हत्या की गई उसी तरह मेरी भी हत्या की जा सकती है.
दो महीने पहले भी अखिलेश यादव ने जोर मारा था. सरकार और पार्टी से कई नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया. गायत्री प्रसाद प्रजापति के नाम की खूब चर्चा हुई. अखिलेश पूरी ताकत से बता रहे थे कि निकाले गए गायत्री और अन्य मंत्री भ्रष्ट हैं. गायत्री प्रसाद प्रजापति पूरे सम्मान के साथ वापस लिए गए. अखिलेश की पूरी कोशिश को लगभग बर्बाद करते हुए मुलायम सिंह यादव ने सीएम पर चाचा शिवपाल को तरजीह दी.
बुधवार को जारी लिस्ट में गायत्री प्रसाद प्रजापति का नाम शामिल है. कौमी एकता दल के सपा में विलय को रोकने में भले ही अखिलेश कामयाब हो गए हों लेकिन पहली ही लिस्ट में मुख्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्लाह को गाजीपुर की मुहम्मदाबाद सीट से जगह मिलना किसी हार से कम नहीं है.
लाख कोशिशों के बावजूद भी अखिलेश यादव विकास को पार्टी का मुख्य एजेंडा बनाने में नाकामयाब रहे हैं. पूरी लिस्ट मुलायम और शिवपाल ने बनवाई है. ये तय है कि इस लिस्ट पर भी अखिलेश यादव जरूर कुछ जोर मारेंगे लेकिन अपनी पार्टी में कामयाबी का उनका इतिहास बहुत कमजोर है.