जनजीवन ब्यूरो
लखनऊ/नयी दिल्ली : उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी में मचा घमासान आज उस वक्त चुनाव आयोग की चौखट पर पहुंच गया जब मुलायम सिंह यादव ने दिल्ली में आयोग के समक्ष पार्टी के चुनाव निशान साइकिल पर अपना दावा ठोंका.
इसके साथ ही मुलायम ने उनके द्वारा पांच जनवरी को आहूत पार्टी अधिवेशन स्थगित कर दिया. ऐसा लगता है कि इस अंदेशे की वजह से उन्होंने यह अधिवेशन स्थगित किया कि कल लखनऊ में उनके बेटे अखिलेश के नेतृत्व वाले धड़े की ओर से बुलाए गए अधिवेश के मुकाबले उनके अधिवेशन में कम भीड़ होगी. अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नेतृत्व वाला धड़ा भी कल चुनाव आयोग से संपर्क कर साइकिल चुनाव निशान पर दावा ठोंकेगा. माना जा रहा है कि इस धड़े की ओर से राम गोपाल यादव आयोग के समक्ष पक्ष रखेंगे.
चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों को सुनने तक उसके इस मामले में दखल देने की संभावना नहीं है. मुलायम अपने भाई शिवपाल सिंह यादव, भरोसेमंद साथी माने जाने वाले अमर सिंह और पूर्व सांसद जया प्रदा के साथ सोमवार शाम दिल्ली में निर्वाचन सदन पहुंचे.
इधर खबर आ रही है कि मुलायम सिंह ने राज्य के मंत्री और सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान को मिलने के लिए दिल्ली बुलाया है. आजम मंगलवार को मुलायम सिंह से मिलने के लिए दिल्ली पहुंचेंगे. ज्ञात हो आजम खान भी मुलायम सिंह के सबसे बड़े समर्थक हैं और पार्टी में उनकी बड़े मसले पर विचार लिया जाता है, हालांकि आजम और अमर सिंह एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम ने आयोग से कहा, ‘‘मैं अब भी समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष हूं और अखिलेश यादव को पार्टी का अध्यक्ष नियुक्त करने का विरोधी धड़े का फैसला पार्टी के संविधान के खिलाफ है.’ सूत्रों के अनुसार सपा संसदीय बोर्ड का समर्थन होने का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी का चुनाव निशान साइकिल उनका है क्योंकि वह पार्टी के अध्यक्ष हैं.
मुलायम ने आयोग को बताया कि लखनउ में आपात अधिवेशन के दौरान अखिलेश को अध्यक्ष नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश करने वाले राम गोपाल यादव को पार्टी से निकाल दिया गया है और सपा के बारे में फैसले करने के लिए वह अधिकृत नहीं थे.
उन्होंने कहा कि विरोधी धड़े के अधिवेशन में उनको अध्यक्ष पद से हटाने के लिए कोई प्रस्ताव पेश नहीं किया गया. मुलायम ने कहा कि सपा के संविधान के तहत इस तरह के फैसले के लिए संसदीय बोर्ड की मंजूरी जरुरी है.
सूत्रों के अनुसार आयोग ने कहा कि इस विवाद को लेकर चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश-1968 के पैरा 15 का अनुसरण करेगा जो आयोग को मान्यताप्राप्त राजनीतिक दलों के अलग हो गए समूहों या विरोधी समूहों के संदर्भ में फैसला करने का अधिकार देता है.
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों को चुनाव निशान पर दावा करना होगा नहीं तो आयोग को कैसे पता चलेगा कि कोई विवाद है. हम मीडिया की खबरों के जरिए आगे नहीं बढ़ते.’ साइकिल चुनाव निशान पर रोक लगाई जाती है तो आयोग दोनों पक्षों से नयी पार्टी का नाम और चुनाव निशान तय करने के लिए कह सकता है.