जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्लीः यूपी में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य के आरक्षण खत्म करने वाले बयान पर बीजेपी घिरती नजर आ रही है. माना जा रहा है कि वैद्य का यह बयान सोची समझी रणनीति के तहत दी गई है. क्योंकि यूपी में 15 फीसदी ब्राह्मण वोटर हैं. विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर हमले कर रही है. कांग्रेस ने इस बयान पर पीएम नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला वैद्य के बयान पर कहा- एकबार फिर बीजेपी और आरएसएस की दलित विरोधी मानसिकता बेनकाब हुई है इसका नतीजा भुगतना होगा.
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादवन ने कहा- वैद्य ने आरक्षण के विरोध में जो बयान दिया है हम यूपी चुनाव में बीजेपी को धूल चटा देंगे. वही यूपी के सत्तारुढ़ दल सामजवादी पार्टी ने कहा, ‘ हर चुनाव से पहले आरएसएस ऐसे बयान देता है, बीजेपी और आरएसएस एक सिक्के के दो पहलू हैं दोनों की विचारधारा एक है जनता इस बयान पर अपना फैसला देगी.’
आपको बता दें कि बीते शुक्रवार को आरएसएस के प्रवक्ता मनमोहन वैद्य ने कहा है कि आरक्षण खत्म होना चाहिए. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान एक सवाल के जवाब में मनमोहन वैद्य ने कहा, “आरक्षण के नाम पर सैकड़ों साल तक लोगों को अलग करके रखा गया, जिसे खत्म करने की जिम्मेदारी हमारी है. इन्हें साथ लाने के लिए आरक्षण को खत्म करना होगा.आरक्षण देने से अलगाववाद को बढ़ावा मिलता है. आरक्षण के बजाय अवसर को बढ़ावा देना चाहिए.”
बिहार चुनाव से पहले मोहन भागवत ने ऐसा ही बयान दिया था जो मुद्दा बना था. इसके बाद खुद प्रधानमंत्री मोदी को सामने आकर कहना पड़ा था कि आरक्षण कोई हाथ भी नहीं लगाएगा.
मनमोहन वैद्य ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा, ”मैंने धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था. मैंने कहा था जब तक समाज में भेदभाव है, तब तक आरक्षण रहेगा. धर्म के आधार पर आरक्षण से अलगाववाद बढ़ता है. संघ आरक्षण दलितों और पिछड़ों को मिलने वाले आरक्षण के पक्ष में है.”
चुनावी माहौल में ये बयान इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि यूपी में 21 फीसदी दलित 40 फीसदी ओबीसी पंजाब में 30 फीसदी दलित वोट है. आपको बता दें कि यूपी के दलितों में गैर जाटव दस फीसदी वोटबैंक पर बीजेपी की पकड़ मानी जाती जबकि चालीस फीसदी ओबीसी में से इस वक्त गैर यादव ओबीसी को बीजेपी का वोटबैंक माना जा रहा है. लेकिन RSS के आरक्षण विरोधी बयान से बीजेपी को अब दोबारा अपनी रणनीति बनानी पड़ सकती है.