जनजीवन ब्यूरो
लखनऊ। मायावती ने माफिया से राजनीति में दाखिल हुए मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का कल बहुजन समाज पार्टी में विलय करा लिया। इससे पहले कौमी एकता दल का करीब दो महीना पहले समाजवादी पार्टी में विलय हुआ था। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार तो ‘दलित-मुस्लिम’ गठजोड़ परवान चढ़ाने में जुटीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) मुखिया मायावती ने परंपरागत नारे ‘चढ़ गुंडों की छाती पर मुहर (बटन) लगेगी हाथी पर’ से कल इतर हट गईं।
बहुजन समाज पार्टी के साथ विलय के बाद मुख्तार अंसारी को मऊ, उनके बेटे अब्बास को घोसी तथा बड़े भाई सिबगतुल्ला को मोहम्मदाबाद से प्रत्याशी घोषित कर दिया। पत्रकार वार्ता में कौमी एकता दल के बसपा में विलय का एलान करने से पहले मायावती ने अपराधियों पर अपना नजरिया साफ करते हुए कहा कि सरकार बनने पर गुंडों, माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। गंभीर आपराधिक इल्जामों से घिरे सपा, भाजपा और बसपा के पूर्व सांसद समेत कई राजनीतिज्ञों का नाम लेते हुए मायावती ने कहा कि ऐसे लोगों ने उनकी सरकार में घुटने टेक दिए थे। इनके लिएदल में स्थान नहीं है। सरकार बनने पर ऐसे अपराधियों पर कार्रवाई होगी, मगर उस सभी के गुनाहों की सजा परिवार के सदस्यों को नहीं दी जाएगी।
मायावती ने कहा कि अपराध से तौबा करने के वादा कर कई लोग उनके दल में आए और सांसद, विधायक बने, लेकिन अपराध में संलिप्त मिलने पर जेल भेजा गया। दल से निकाल दिया गया। यह नीति जारी रहेगी। मुख्तार की आपराधिक पृष्ठभूमि का बचाव करते हुए कहा कि उनके परिवार के कई सदस्य देश की सेवा करते आ रहे हैैं। सीमा पर बलिदान भी दिया है। मुख्तार के खिलाफ साजिश की गई है। षड्यंत्र के तहत उनके परिवार पर फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए थे।
विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि इस वारदात को 15 साल हो गए। सीबीआइ जांच हुई। पुलिस जांच हुई, मगर अंसारी परिवार के खिलाफ सुबूत नहीं मिले। वे पहले भी बसपा के बैनर तले चुनाव लड़ चुके हैं। इसी कारण मुख्तार अंसारी की पार्टी का बसपा में विलय किया गया है। मायावती ने कहा कि मेरी सरकार ने लोगों की सुरक्षा पर कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि बसपा जातिगत भावना से काम नहीं करती है।