बीजिंग : क्या चीन अमेरिका के साथ युद्ध की तैयारी में जुटा हुआ है. चीन की सरकारी मीडिया ही इस का खुलासा कर रही है. ये खबरें ऐसे वक्त में आयी हैं जब अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिये हैं कि दक्षिण चीन सागर विवाद और अन्य मुद्दों पर बीजिंग के दावों का मुकाबला करने के लिए वह पहले से ज्यादा सख्त नीति अमल में लाएंगे.
पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की आधिकारिक वेबसाइट पर 20 जनवरी के एक आलेख में कहा गया कि एशिया-प्रशांत में पहले से ज्यादा जटिल सुरक्षा स्थिति के बीच युद्ध की आशंका ‘ज्यादा प्रबल’ हो गयी है. चीन की सर्वोच्च सैन्य संस्था केंद्रीय सैन्य आयोग के राष्ट्रीय रक्षा संचालन विभाग के एक अधिकारी की ओर से लिखे आलेख में कहा गया कि अमेरिका एशिया में अपनी रणनीति को फिर से संतुलित करने, पूर्वी एवं दक्षिण चीन सागरों में सैन्य तैनाती और दक्षिण कोरिया में एक मिसाइल रक्षा प्रणाली स्थापित करने की बातें कर रहा है, जिससे बात बिगड़ने की आशंका है.
हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने इस आलेख के हवाले से लिखा, ‘राष्ट्रपति के कार्यकाल में’ या ‘आज रात युद्ध शुरू होने वाला है’ ये सिर्फ नारे नहीं हैं, बल्कि यह व्यावहारिक वास्तविकता है.’ सरकारी अखबार पीपुल्स डेली ने बीते रविवार को एक अन्य आलेख में कहा कि चीन की सेना खुले सागर में अभ्यास करेगी, चाहे विदेशी उकसावे हों या न हों.’ चीन का एकमात्र विमानवाहक पोत ‘ल्याओनिंग’ पिछले महीने संकरी ताइवान जलसंधि से होकर गुजरा था.
आलेख में अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन के इस बयान का भी हवाला दिया गया कि अमेरिका को दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्रों में बनाये गये कृत्रिम द्वीपों तक चीन की पहुंच रोकनी चाहिए. व्हाइट हाउस के नये प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने कहा कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर में अंतरराष्ट्रीय जलसीमा क्षेत्रों पर नियंत्रण करने से चीन को रोकेगा.
आलेख में कहा गया कि चीन को दी जा रही धमकियों से ट्रंप और टिलरसन ‘बचकानी भूल’ कर रहे हैं, जिससे अमेरिका की विश्वसनीयता कम ही होगी. चीन की रेनमिन यूनिवर्सिटी के अंतरराष्ट्रीय अध्ययन विभाग के असोसिएट डीन जिन कैनरोंग ने ग्लोबल टाइम्स को बताया, ‘टिलरसन का बयान काफी अहंकारपूर्ण था. यदि नये अमेरिकी प्रशासन ने यही राह अपनायी और यही रवैया दिखाया तो चीन और अमेरिका के बीच युद्ध होगा और इसका मतलब अमेरिकी इतिहास का अंत या पूरी मानवता का अंत होगा.’
कैनरोंग ने कहा, ‘अमेरिका पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में तीन विमानवाहक पोत भेजने की योजना बना रहा है. यदि उन्होंने दक्षिण चीन सागर पर आक्रमण किया तो तीन की तो बात ही छोड़ दें, हम उनकी ओर से 10 पोत भेजने पर भी उन्हें तबाह करने की क्षमता रखते हैं.’