जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली] । पश्चिम उत्तर प्रदेश में पहले चरण में हुए चुनाव में कई धुरंधरों के भाग्य बंद हो चुके हैं। इस दौर में 15 जिलों की 73 सीटों पर मतदान हुए। इनमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, फिरोजाबाद, एटा और कासगंज शामिल हैं। इस दौर में कई बड़े नेता हैं जिनकी साख दांव पर लगी है। इस इलाके में जीत के समीकरण बनाने और बिगाड़ने में जाट और मुस्लिम मतदाता अहम भूमिका निभाते हैं।
ये हैं वो धुरंधर जिन पर लगी हैं सबकी निगाहें
पंकज सिंह- नोएडा
इस चरण में गौतमबुद्ध नगर की नोएडा सीट पर भी मतदान होगा। इस सीट से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे मैदान में हैं। इस लिहाज से नोएडा की सीट गृह मंत्री के लिए भी साख का सवाल है। भाजपा के पंकज सिंह का मुकाबला सपा के सुनील चौधरी और बसपा के रविकांत मिश्रा के साथ है।
लक्ष्मीकांत वाजपेयी- मेरठ
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी पश्चिमी यूपी की महत्वपूर्ण सीटों में से एक मेरठ से चुनाव मैदान में है। मेरठ में पहले चरण में ही चुनाव होगा।
संगीत सोम- सरधना
मेरठ की सरधना सीट के लिए भाजपा की तरफ से मैदान में उतरे संगीत सोम चर्चित चेहरे हैं। संगीत सोम पर मुजफ्फरनगर दंगे भड़काने के आरोप भी लग चुके हैं। संगीत सोम को टक्कर देने के लिए सपा ने अतुल प्रधान और बसपा ने मोहम्मद इमरान को मैदान में उतारा है।
मृगांका सिंह- कैराना
पलायन का मुद्दा उठाने वाले और कैराना से भाजपा सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को कैराना से टिकट मिला है। लेकिन इसके विरोध में हुकुम सिंह के भतीजे को राष्ट्रीय लोकदल से टिकट मिला है।
अब्दुल्ला आजम- स्वार
समाजवादी पार्टी के दिग्गज मंत्री आजम खां के सामने इस बार अपनी जीत के साथ ही बेटे अब्दुल्ला आजम को भी जिताने का दबाव होगा। आजम को सूबे में मुस्लिम चेहरा माना जाता है। उनके बेटे को स्वार विधानसभा सीट का टिकट मिला है। दूसरी ओर राज्य के कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर के सामने अपनी किठौर सीट बचाने की चुनौती है। अमरोहा से मंत्री महबूब अली पर भी जीतने का दबाव है।
गुड्डू पंडित
डिबाई के विधायक गुड्डू पंडित उर्फ श्रीभगवान शर्मा 2007 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। 2012 में फिर चुनावों का मौका आया तो वह सपा में शामिल हो गए और एक बार फिर विधायक चुने गए। 2016 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया, लेकिन टिकट नहीं मिला तो रालोद प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया है। हालांकि, इससे पहले सपा से टिकट लेने का जुगाड़ भिड़ाया था, लेकिन शिवपाल गुट का होने के चलते गुड्डू की आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई, जब मुलायम और शिवपाल को ही पद से हटा दिया गया।
अमरपाल शर्मा- साहिबाबाद
साहिबाबाद के विधायक अमरपाल शर्मा फिलहाल सपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी हैं। पिछले दिनों बसपा सुप्रीमो ने अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निकाल दिया था। इसके बाद अमरपाल कांग्रेस पार्टी में सम्मिलित हो गए थे। मतदाताओं के मामले में उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी विधानसभा साहिबाबाद से सपा-कांग्रेस प्रत्याशी अमरपाल की ब्राह्मण मतदाताओं में अच्छी पकड़ा है। अमरपाल के उम्दा कामों को देखते हुए उन्हें 403 विधायकों में से सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना जा चुका है। इसके लिए उनका चयन एक वेबसाइट ने सर्वे के आधार पर किया गया था।
राहुल यादव- सिकंदराबाद
बुलंदशहर की सिकंदराबाद की विधानसभा सीट से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद राहुल यादव समाजवादी पार्टी की ओर से प्रत्याशी हैं। सिकंदराबाद विधानसभा सीट जितनी इस बार खास है, उतनी ही 2012 के विधानसभा चुनावों में भी थी। दरअसल, 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों में इस सीट से लालू के समधी और राहुल यादव के पिता जितेंद्र यादव को भाजपा प्रत्याशी विमला सोलंकी से शिकस्त मिली थी। सिकंदराबाद गौतमबुद्धनगर से सटा एक कस्बा है, जो बुलंदशहर का हिस्सा है। यहां पर दो लाख वोटर हैं। इनमें से कई ऐसे हैं, जो सालों पहले बिहार से आकर यहां पर बस गए थे। ऐसे में लालू यादव पर यहां कैंप कर उन्हें लुभाने में जुटे हैं।