चेन्नई. शशिकला अब तमिलनाडु की मुख्यमंत्री नहीं बन सकेंगी. उनके राजनीतिक कैरियर पर विराम लग गया है. अब शशिकला 6 साल तक चुनाव भी नहीं लड़ पायेंगी. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी करार दिया है और 4 साल की कैद एवं 10-10 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलूरू निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को तुरंत सरेंडर करने के कहा है. यह फैसला देर-सबेर आना ही था. यह भी तय था कि अगर कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दे दिया, तो उनका राजनीतिक करियर थम जायेगा. तो क्या शशिकला को अदालत के इस फैसले की आशंका थी और इसीलिए वह एक बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लेना चाहती थीं? अदालत के फैसले के आने की तारीख के ठीक पहले उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के लिए जो बेताबी दिखायी, उससे तो कुछ ऐसा ही लगता है. अगर वह एक बार मुख्यमंत्री बन जातीं, तो अपने राजनीतिक करियर के एक मुकाम तक ले जाने में कामयाब हो जातीं. उसके बाद के जो हालात होते, उस पर न तो तब उनका अधिकार होता, न अब है, मगर वह तमिलनाडु के संवैधानिक इतिहास का एक हिस्सा बन जातीं.
अब, जब कि उनका मुख्यमंत्री न बन पाना तय हो गया है, उनका अनका अगला कदम क्या होगा? इस सवाल का जवाब आ गया है. यह सवाल तमिलनाडु की राजनीतिक में सबसे अहम था. इस पर न केवल पन्नीरसेल्वम का राजनीतिक भविष्य टिका था, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा भी टिकी थी.
शशिकला ने अपने करीबी ई पलनिसामी को विधायक दल का नेता नियुक्त कर दिया है. इसके लिए उन्होंने अदालत का फैसला आने के तुरंत बाद उन विधायकों से हस्ताक्षर कराया, जो पिछले करीब एक सप्ताह से गोल्डन बे रिजॉर्ट में शशिकला की निगरानी में रह रहे हैं. शशिकला ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां उन विधायकों के साथ बैठक की.
एआइएडीएमके के विाायक दल के नवनियुक्त नेता पलनिसामी ने कहा, ‘सभी विधायकों ने मुझे अपना नेता चुनाव है. जल्द ही विधायकों के समर्थन-पत्र के साथ राज्यपाल से मिलूंगा.’
शशिकला ने ई पलानीसामी को विधायक दल का नेता नियुक्त करने के साथ-साथ पन्नीरसेल्वम को पार्टी से निकाल दिया है. शशिकला की इस कार्रवाई की आशंका पहले से थीं.
उधर पन्नीरसेल्वम भी अपने घर पर समर्थकों के साथ बैठक कर रहे हैं. उनकी मुश्किल यह है कि कुछ विधायक और सांसद तो उनके साथ हैं, मगर विधानसभा के फ्लोर पर उन्हें 118 विधायकों का समर्थन चाहिए, जो फिलवक्त उनके पास नहीं है. शशिकला के मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की स्थिति पैदा होने के बाद और उनके पुराने दावों के मुताबिक अगर कुछ और विधायक उनके साथ आ भी जाते हैं, तो भी बहुमत के लिए आंकड़ा जुटा पाना उनके लिए आसान नहीं होगा. पार्टी में टूट के लिए उन्हें एक तिहाई विधायकों का समर्थन चाहिए और सरकार बनाने के लिए दूसरे दल का भी. हालांकि उन्होंने दावा किया है कि अपने ही दल के विधाययकों के समर्थन से वह अपनी सरकार बना सकेंगे.
उधर भाजपा, कांग्रेस और एडीएमके भी राजनीतिक हालात को अपनी राजनीति के अनुकूल करने में जुटे हैं. केंद्रीय मंत्री बेंकैया नायडू ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले केे बाद तमिलनाडु में जनता की मर्जी से स्थायी सरकार बननी चाहिए. तो क्या राज्य में मध्यावधि चुनाव कराया जाना चाहिए? पिछले साल हुए चुनाव में वहां की जनता ने 234 सदस्यों वाली विधानसभा की 134 सीटें एआइएडीएमके को सौंपी. अब उसी पार्टी में दो खेमे बन गये हैं. इनमें से एक खेमे को विधानसभा के फ्लोर पर अपना बहुमत साबित करना है. जाहिर है, जनता की इसमें कोई सीधी भागिदारी नहीं होनी है. जनता की मर्जी की सरकार बनाने के लिए या तो राज्य में फिर से चुनाव कराना होगा, जिसकी संभावना फिलहाल तो नहीं दिख रही या फिर किसी राजनीतिक समीकरण को जनता की मर्जी करार दे दिया जाये. जाहिर है, फिलवक्त दूसरा विकल्प ही प्रबल है.
डीएमके राज्य में तुरंत स्थायी सरकार बनाने के लिए राज्यपाल से दखल देने की मांग की है.पार्टी के महासिव एमके स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल को राज्य में स्थायी सरकार बनाने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए.