जनजीवन ब्यूरो
बीजिंग: चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि भारतीय तकनीक पेशेवर चीनी वर्कर के मुकाबले आधे वेतन पर काम करते हैं. इसलिए भविष्य में चीन को भारत से चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. यह अखबार हाल के कुछ महीनों में लगभग नियमित आधार पर भारत की आलोचना वाले लेख छापता रहा है. हालांकि उसका यह दुर्लभ लेख सकारात्मक रुख रखने वाला है,
इसमें कहा गया, ‘‘चीन हाई-टेक निवेशकों के लिए अपना आकर्षण कम होने का जोखिम नहीं ले सकता अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में चीन तीसरे स्थान पर है और वह अमेरिका की बराबरी करने की कोशिश कर रहा है. इसके प्रयासों के नतीजे ही तय करेंगे कि चीन उभरती वैश्विक आर्थिक शक्ति के तौर पर अपने दर्जे को बनाए रख पाएगा या नहीं.’ चीन ने इस साल स्टार्टअप और अनुसंधान कंपनियों के लिए अरबों डॉलर आवंटित करके तकनीकी नवोन्मेष का बजट बढा दिया है. उसने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि चीन में तेजी से बढती बूढे लोगों की संख्या के कारण श्रम बल में कमी आई है.
ग्लोबल टाईम्स के एक लेख में कहा गया हे, ‘‘चीन ने भारतीय हुनर को नजरअंदाज करने और अमेरिका एवं यूरोप से आने वाले हुनर को ज्यादा अहमियत देने की गलती की है.’ सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चीन के एक समूह द्वारा संचालित इस अखबार ने कहा, ‘‘चीन ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के हुनरमंद लोगों को यहां काम करने के लिए आकर्षित करने की दिशा में शायद ज्यादा मेहनत नहीं की है.’
चीन की सरकारी मीडिया अमेरिकी फर्म सीए टेक्नोलॉजी ने 300लोगों की रिसर्च व डेवलेपमेंट टीम को भारत में शिफ्ट कर दिया है. अमेरिका की सॉफ्टवेयर कंपनी सीए टेक्नोलॉजी द्वारा चीन में लगभग 300 कर्मियों वाले अनुसंधान एवं विकास दल को भंग कर देने और भारत में लगभग 2,000 वैज्ञानिक एवं तकनीकी पेशेवरों के साथ एक दल का गठन करने से जुड़ी खबरों का हवाला देते हुए अखबार ने कहा, ‘‘पर्याप्त युवा हुनरमंद लोगों की मौजूदगी के कारण भारत बेहद आकर्षक स्थल बनता जा जा रहा है.’