जनजीवन ब्यूरो
बोर्नियो। कई शताब्दियों पहले बोर्नियो के मूल निवासियों के एक समूह ने डच हमलावरों से बचने के लिए अपने गांव छोड़े और घने जंगलों में बस गए. इंडोनेशिया के बोर्नियो द्वीप पर डच उपनिवेशवादियों के तेज़ी से बढ़ रहे कब्ज़े के चलते वे अपने लिए आशियाना तलाश रहे थे.
आख़िरकार, उन्हें बोर्नियो के बीचों-बीच पहाड़ों के पास जंगलों में एक अच्छा ठिकाना मिल गया. उन्होंने वहां घर बना लिए और खेती करने लगे. वे बुराक नदी से मछलियां पकड़ते थे. सब कुछ ठीक था, लेकिन फिर यकायक बच्चे ग़ायब होने लगे.
यह सिलसिला लगातार आठ दिनों तक चला. तो क्या ये जंगल के भूत का काम था, या फिर किसी खानाबदोश या तेंदुए जैसे किसी बड़े मांसभक्षी का काम था?
इसका पता लगाने के लिए गांव वालों ने एक जाल बिछाया और चारा बनाया एक और बच्चे को. नदी से निकलकर जो सामने प्रकट हुआ वह विशालकाय सांप था और वो इतना बड़ा हो गया कि लोग उसे अजगर कहने लगे.
अपने छिपने की जगहों से लोगों ने देखा कि अजगर बच्चे को एक गुफा में ले गया. इसके बाद उन्होंने जंगल की मज़बूत लकड़ियों से कुल्हाड़ियां, भाले और फावड़े बनाए और अजगर के ठिकाने तक सुरंग खोदी.
जब गांववाले सुरंग के ज़रिए वहाँ पहुंचे तो उन्हें वहां भूरे रंग के दो विशालकाय अजगर मिले. इन दो अजगरों के साथ एक छोटा अजगर भी वहां था जो रंगीन था और उसका पेट पीला था.
अपने बच्चों की हत्याओं से बेहद गुस्साए ग्रामीणों ने दोनों बड़े अजगरों को दो-दो हिस्सों में काट डाला, लेकिन छोटे सांप को यह मानते हुए छोड़ दिया कि इस बेचारे का क्या कसूर है.
आज भी इन लोगों का मानना है कि इनके पूर्वजों ने इस छोटे सांप के साथ एक करार किया जो आज भी बाध्यकारी है- ‘न तो मनुष्य और न ही अजगर एक-दूसरे को नुक़सान पहुंचाएंगे.’
इसके बाद ये लोग जंगल से कुछ दूर के गांव में आ गए, लेकिन उनका कहना है कि अजगर अब भी वहीं-कहीं हैं. मैंने सबसे पहले ये कहानी जुलाई 2014 में तब सुनी थी जब मैं रात में अलाव के किनारे बैठा हुआ पाक रुस्नी की बातें सुन रहा था.
रुस्नी तुम्बांग तुजांग के दयाक गांव के बुज़ुर्ग थे और उनकी उम्र लगभग 54 साल थी. ज़्यादातर उन्होंने आराम से बात की थी, लेकिन जैसे ही वे कहानी के आखिर में पहुंचे, उनकी आवाज़ बहुत तेज़ और जोशीली हो गई.
वो मुझे अजगर की गुफा की आकृति, सुरंग और नदी के किनारे की बस्तियों के पास खींचकर ले गए. हमारा कैंप इंडोनेशिया की उत्तरी सीमा में बोर्नियो के बुराक नदी के किनारे पर था.
रुस्नी का कहना था कि अगर हम नदी के प्रवाह के विपरीत करीब डेढ़ दिन और चले तो हमें अजगरों के तबाह किए गए गांवों के अवशेष मिल जाएंगे.
सांपों में काफी विभिन्नताएं होती हैं. इस द्वीप में सांपों की 150 से अधिक प्रजातियां हो सकती हैं.
न्यूयॉर्क स्थित अमेरिकन म्यूज़ियम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री की सारा रुएन कहती हैं, “ऐसा लगता है कि सांपों का हर परिवार बोर्नियो में रह रहा है और इसमें कोई शक नहीं कि यहां कई ऐसी प्रजातियां हैं जिन्हें अभी खोजा नहीं जा सका है.”
कुछ ज़मीन के नीचे रहते हैं, तो कुछ जंगल में सूखी पत्तियों के बीच. कुछ पेड़ों की चोटियों पर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उड़ते हैं तो कुछ गुफाओं या पानी में रहना पसंद करते हैं. कई सांप मनुष्यों की बनाई जगहों छतों आदि पर भी रहते हैं.
वे पहली बार 10 से 15 करोड़ साल पहले देखे गए थे. उनका तेज़ी से विकास हुआ. उन्होंने अपने ज़हर से दूसरे जानवरों को मारने के अलग-अलग तरीके सीख लिए.
बोर्नियो में सांपों के विशेषज्ञ रॉबर्ट स्ट्युबिंग कहते हैं, “अधिकांश सांपों में ज़हर होता है. यहां तक कि उनमें भी जिन्हें हानिकारक नहीं माना जाता है.”
सांप के ज़हर में शिकार में भ्रम पैदा करने के लिए एक प्रोटीन होता है जो शिकार को उसके पास लाने का काम करता है. जैसे कि किंग कोबरा का ज़हर 100 से अधिक प्रकार का होता है.
लाल सिर वाला करैत: दिखने में सुंदर, लेकिन घातक. इसका शरीर चमकदार और काला होता है. सिर और पूंछ चटक लाल. करैत का ज़हर शिकार के नर्वस सिस्टम पर हमला करता है. शिकार के लिए सांस लेना या हिलना-डुलना भी नामुमकिन हो जाता है.
ब्लू कोरल: बोर्नियो के कुछ कोरल सांपों में असामान्य रूप से ज़हर की बड़ी ग्रंथि होती है. लेकिन ये अजगर के आसपास भी नहीं हैं. वे ज़मीन पर पड़ी पत्तियों में खुद को छिपा सकते हैं और अधिकतर दूसरे सांपों को खाकर अपना गुज़ारा करते हैं.
किंग कोबरा: जीवित सांपों में यह सबसे ज़हरीला है. यह ज़मीन से ऊपर अपना फन फैला सकता है और अक्सर आपको लगेगा कि यह आपकी आंखों में देख रहा है.
सुमात्रन पिट वाइपर: इनके सिर पर गर्मी की पहचान करने वाले पिट लगे होते हैं. ये पेड़ या झाड़ियों में दुबके होते हैं. वे सुस्त होते हैं, लेकिन बहुत तेज़ी से हमला करते हैं.
पड़ताल के दौरान अलग-अलग कारणों से इन सभी सांपों के वो आदमख़ोर ड्रेगन होने की संभावना ख़त्म हो गई. तो फिर वो सांप क्या था?
पायथन: बोर्नियो का पायथन इस काम का सबसे बड़ा दावेदार है. धरती पर मौजूद सांपों में ये सबसे बड़ा है. ज़हर पर यकीन करने के बजाय इनका भरोसा शिकार को निगलने पर होता है. पायथन अपने अगले शिकार के लिए एक साल लंबा इंतज़ार कर सकता है.
लेकिन समस्या यह है कि जो अजगर हर रोज एक बच्चा खाते थे वह पायथन तो नहीं हो सकते. क्योंकि एक अध्ययन के अनुसार पायथन औसतन एक महीने या चार हफ्तों में भोजन करता है. पायथन रोज़ नहीं खाता.
यह भी संभव है कि कहानी में बताए गए अजगर कई सांपों की विशेषताओं पर आधारित हों. तेलुक नाग में भी एक अजगर देखा गया है. नाग दायक भाषा में अजगर के लिए इस्तेमाल होता है और यह संस्कृत में सांप का नाम है.
रुस्नी और अन्य ग्रामीण कहते हैं कि वे अब भी पानी के आसपास अजगरों को देखते हैं. रुस्नी कहते हैं, “अजगर काले और चमकीले होते हैं और तेल के ड्रम जितने बड़े होते हैं, लेकिन वे एक जगह पर लंबे समय नहीं रहते. वे अपनी इच्छा से दिखते और ग़ायब होते रहते हैं.”
फ़िलहाल तो इस आदमखोर सांप की गुत्थी अनसुलझी ही है.