जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली . देश के सर्वोच्च चिकित्सा संस्थान एम्स में एक से एक विवाद बना रहता है. फिलहाल गैस्ट्रोएन्टरॉलजी ऐंड ह्यूमन न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट के प्रमुख की नियुक्ति को लेकर मामला गरम है. पिछले छह माह से इस पद को लेकर रोज नए नए आदेश एम्स के कार्यकारी निदेशक जारी कर रहे हैं. इतना ही नही यह मसला सेंट्रल ऐडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (सीएटी) तक पहुंच चुका है.
एक तरफ प्रो. अनूप सराय को एम्स के गैस्ट्रोएन्टरॉलजी ऐंड ह्यूमन न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट का हेड ऑफ द डिपार्टमेंट के पद पर एम्स प्रशासन नियुक्त करता है और दूसरी तरफ पूर्व नियुक्त प्रोफेसर उमेश कपिल की रिपोर्टिंग एम्स निदेशक अपने अधीन रखते हैं. यानि गैस्ट्रोएन्टरॉलजी विभाग और ह्यूमन न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट अलग -अलग हो जाएगा. सूत्रों का कहना है कि नए विभाग बनाने की जिम्मेवारी एम्स इंस्टीच्यूट बॉडी को है. प्रो. सराया ने ऑफिस मैमोरेंडम से नाखुशी जाहिर करते हुए नए मैमोरेंडम की मांग की है। उनका कहना है कि कुछ बिंदुओं में बदलाव के साथ उन्हें फ्रेश मैमोरेंडम दिया जाना चाहिए.
दरअसल 31 अक्टूबर को तत्कालिक विभागाध्यक्ष डॉ. एसके आचार्या की सेवानिवृत्ति के बाद प्रोफेसर डॉ. उमेश कपिल को विभागाध्यक्ष बनाया दिया गया, जो मानव आहार विशेषज्ञ हैं। उनके पास गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी में सुपर स्पेशिएलिटी की डिग्री नहीं है। यहां तक कि मेडिसिन में एमबी (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) की डिग्री भी नहीं है। इसलिए वे मरीजों का इलाज भी नहीं करते। इस मामले पर कैट ने एम्स को नोटिस जारी किया है.
दरअसल डॉक्टर सराय ने सेंट्रल ऐडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (सीएटी) में डॉक्टर एस.के. आचार्य के रिटायरमेंट के बाद डॉक्टर उमेश कपिल को ह्यूमन न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट का हेड नियुक्त किए जाने पर आपत्ति जताई थी। इस संबंध में उन्होंने याचिका भी दायर की है। डॉक्टर कपिल को पूर्व डायरेक्टर एम.सी. मिश्रा ने संबंधित विभाग का चार्ज सौंपा था। डॉक्टर सराय ने विभागाध्यक्ष बनाए जाने के संबंध में डॉक्टर कपिल की योग्यता पर सवाल उठाए हैं।
वहीं, डॉक्टर अयरन द्वारा डॉक्टर सराय को जारी किए गए मैमोरेंडम में कहा गया है कि डॉक्टर सराय को गैस्ट्रोएन्टरॉलजी ऐंड ह्यूमन न्यूट्रिशन डिपार्टमेंट का एचओडी तत्काल प्रभाव से नियुक्त किया जाता है, लेकिन उन्हें सीएटी में दायर की गई याचिका को वापस लेना होगा।
बहरहाल कैट में दायर याचिका में कहा गया है कि 14 फरवरी 1973 को मेडिसिन विभाग से अलग होकर गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी अलग विभाग बना था. तब यह भी स्पष्ट किया गया था कि मानव पोषाहार एक अलग इकाई होगी, जिसके प्रभारी गैस्ट्रो के विभागाध्यक्ष होंगेय वर्ष 1994 में भी एक आदेश जारी कर यह बात स्पष्ट की गई थी. इस विभाग में प्रोफेसर बनने के लिए गैस्ट्रोइंटेरोलॉजी में सुपर स्पेशिएलिटी की डिग्री जरूरी है. हाल ही में सेवानिवृत हुए डॉ. एसके आचार्या के नेतृत्व में आठ सितंबर 2016 को विभाग के सभी डॉक्टरों के बीच हुई बैठक में यह तय हुआ था कि गैस्ट्रो का प्रोफेसर ही विभागाध्यक्ष होगा. इस बाबत उन्होंने एम्स निदेशक को भी सूचना दे दी थी. इसके बावजूद एम्स प्रशासन ने विभागाध्यक्ष की नियुक्ति में मनमानी की.