जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी में कलह के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लेबर मिनिस्टर गोपाल राय को दिल्ली प्रदेश का संयोजक नियुक्त किया है। पार्टी ने यह फैसला अरविंद केजरीवाल के आवास पर हुई बैठक में लिया। यह बैठक एमसीडी चुनाव में मिली हार की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी। हार के कारण आप पर चारों ओर से खतरे का बादल मंडरा रहा है।
आप के 21 विधायकों को अयोग्य करने की इस याचिका पर चुनाव आयोग अपना रुख स्पष्ट करने की तैयारी में है। चुनाव आयोग के सूत्रों की मानें तो आयोग 15 मई तक इस मामले में अपना पक्ष रख देगा। अरविंद केजरीवाल के लिए मुश्किल तब होगी जब चुनाव आयोग उनके खिलाफ जाकर आप के सभी 21 विधायकों को अयोग्य करने की सिफारिश कर देगा।
अगर चुनाव आयोग आप के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की सिफारिश कर देता है तो ऐसी स्थिति में अरविंद केजरीवाल को एक और चुनाव से गुजरना पड़ेगा। हालांकि इस चुनाव से इतर तब भी अरविंद केजरीवाल के पास बहुमत होगा। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए भविष्य में आम आदमी पार्टी पर इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
याद दिला दें कि आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका दाखिल की गई है। विधायकों पर कानून का उल्लंघन कर ‘लाभ का पद’ लेने का आरोप है। अब तक चुनाव आयोग इस मामले में राष्ट्रपति को अपने रुख से अवगत करा दिया होता लेकिन ईवीएम विवाद के कारण इस प्रक्रिया में देरी हो गई।
मसीडी चुनाव में हार के बाद AAP में मंथन शुरू हो गया है। आप नेता भले ही पब्लिक में हार के लिए ईवीएम पर ठीकरा फोड़ जनता की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे आत्ममंथन में भी जुटे हैं। यही कारण है कि गुरुवार सुबह पार्टी संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने विधायकों को अपने आवास पर बैठक के लिए बुलाया। उधर, सूत्रों के हवाले से खबर है कि आप के कई नेताओं के इस्तीफे की वजह एमसीडी चुनाव में हार नहीं, बल्कि पार्टी की अंदरुनी कलह है।
सबसे हैरानी पंजाब प्रभारी और सहप्रभारी संजय सिंह और दुर्गेश पाठक के इस्तीफा देने की टाइमिंग को लेकर हुई। दोनों ने पंजाब चुनाव में हार के डेढ़ महीने बाद इस्तीफा देने की घोषणा की। खास तौर पर तब, जब पार्टी दिल्ली एमसीडी चुनाव भी हार गई। सूत्रों का कहना है कि ये इस्तीफे अपनी जिम्मेदारी मानते हुए नहीं, बल्कि पार्टी के अंदरूनी कलह को थामने के लिए दिए जा रहे हैं। विधायकों की गुरुवार को जो बैठक बुलाई गई, वह भी इसलिए ताकि विधायक पार्टी से बंधे रहें और किसी प्रकार के लालच में न आएं और विधानसभा में कोई संकट पैदा न हो।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि हार के पीछे ईवीएम के अलावा दिल्ली का संगठन भी जिम्मेदार है, जिसने टिकट वितरण में बड़े पैमाने पर अनदेखी की। इतना ही नहीं पार्टी में कांग्रेस और बीजेपी से आए कुछ लोगों को इतनी तवज्जो दे दी गई कि जमीन से जुड़े सदस्यों की सुनवाई नहीं हुई। इस नेता के मुताबिक, पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल इन बातों से अनजान रहे। यही कारण है कि पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।