अमलेंदु भूषण खां / भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर इंटरनेशनल कोर्ट (आईसीजे) जाकर भारत ने पाकिस्तान को एक नया हथियार दे दिया. यह पहला मौका है जब भारत किसी मामले को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सवाल यह उठता है कि क्या भारत कश्मीर पर अन्य देशों की मध्यस्थता स्वीकार करेगा. हालांकि भारत का विदेश मंत्रालय कहना है कि यह फैसला सावधानी पूर्वक विचार करके लिया गया. मंत्रालय ने कहा कि जाधव को अवैध रूप से पाकिस्तान में हिरासत में रखा गया था, जहां उनका जीवन खतरे में था.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले ने कहा, ‘यह फैसला सावधानी पूर्वक विचार विमर्श करके लिया गया था.’ कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर आईसीजे में जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने उच्चायोग संपर्क (काउंसलर एक्सेस) के लिए 16 बार अनुरोध किया, लेकिन इसे इंकार कर दिया गया. हमने मौखिक और लिखित में कई बार जाधव मामले में चलाई गई प्रक्रिया के बारे में जानकारी मांगी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से इस मामले के दस्तावेजों से जुड़ी हमारी मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई.
उन्होंने कहा कि जाधव के परिवार की ओर से जासूसी के आरोप में पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा जाधव को सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ अपील की स्थिति के बारे में भी कोई सूचना नहीं दी गई. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें पूछा गया था कि भारत इस मामले में इंटरनेशनल कोर्ट में क्यों गया?
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान में फांसी की सज़ा सुनाए जाने के मामले में भारत ने इंटनरेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस का दरवाज़ा खटखटाया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले के अनुसार इस अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भारत सरकार के अनुरोध पर क़दम उठाए हैं. लेकिन आख़िर ये अंतरराष्ट्रीय न्यायालय काम कैसे करता है और इसके अधिकार क्या हैं.
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस या अंतरराष्ट्रीय न्यायालय संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण न्यायिक अंग है. इसकी स्थापना 1945 में हॉलैंड के शहर हेग में हुई थी और अगले साल इसने काम करना शुरू कर दिया.
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस की वेबसाइट के अनुसार इसका काम कानूनी विवादों का निपटारा करना है और अधिकृत संयुक्त राष्ट्र के अंगों और विशेष एजेंसियों द्वारा उठाए कानूनी प्रश्नों पर राय देना है.
यानी इसके दो ख़ास कर्तव्य हैं: अंतरराष्ट्रीय क़ानून के अनुसार यह कानूनी विवादों पर निर्णय लेता है, दो पक्षों के बीच विवाद पर फैसले सुनाता है और संयुक्त राष्ट्र की इकाइयों के अनुरोध पर पर राय देता है.
संयुक्त राष्ट्र के न्यायालय में 15 न्यायाधीश हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ साल के लिए चुने जाते हैं. इसकी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच हैं. यह एक कानूनी विवादों पर निर्णय लेता है. इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस एक विश्व न्यायालय के रूप में काम करता है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया है कि चार कारणों से भारत सरकार ने कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया है.पहला कारण था पाकिस्तान के ज़रिए काउंसलर सेवा मुहैया कराने से इंकार करना. दूसरा कारण कुलभूषण जाधव से जुड़े क़ानूनी दस्तावेज़ की कॉपी देने से पाकिस्तान सरकार का इंकार करना है. तीसरे कारण है जाधव की माँ की अपील पर पाकिस्तान की ख़ामोशी. चौथा कारण रहा कुलभूषण जाधव के परिवार वालों को वीज़ा देने से पाकिस्तान का इंकार करना.
उधर पाकिस्तानी सरकार ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की तरफ से पाकिस्तानी अदालत को कोई आदेश नहीं मिला है. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के सलाहकार सरताज अज़ीज़ ने बीबीसी से कहा है कि सरकार अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अधिकार- क्षेत्र का पता लगाने की कोशिश कर रही है.
भारतीय मीडिया के मुताबिक हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस मामले में पाकिस्तान से ये सुनिश्चित करने को कहा है कि कुलभूषण जाधव को सभी विकल्पों पर विचार करने से पहले फांसी न दी जाए. मगर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस खबर की पुष्टि करने से इंकार कर दिया है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर रोक लगाने वाले अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) के आदेश पर चर्चा की. इसी बीच, पाकिस्तानी सेना ने कहा है कि वह कुलभूषण जाधव की मौत की सजा के मामले में अंतरराष्ट्रीय अदालत के सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है.
दोनों की मुलाकात करीब 90 मिनट तक चली और इस दौरान शरीफ ने जाधव के मामले के संदर्भ में ताजा हालात पर जानकारी दी.
जाधव (46) को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत द्वारा गत महीने मौत की सजा सुनाई गई थी. भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ आईसीजे का रूख करते हुए आरोप लगाया था कि पाकिस्तान ने जाधव मामले में विएना संधि का उल्लंघन किया है.
भारत ने आईसीजे में अपनी अपील में कहा कि पाकिस्तान ने राजनयिक संबंधों पर विएना संधि का ‘घोर’ उल्लंघन किया है और उसने कहा कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया था, जहां वह भारतीय नौसेना से सेवानिवृत होने के बाद व्यापार कर रहा था, लेकिन पाकिस्तान ने उसे तीन मार्च 2016 को बलूचिस्तान से गिरफ्तार करने का दावा किया.
लेकिन कांग्रेस पार्टी नरेंद्र मोदी सरकार के इस कदम को गलत बता रही है.कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. अजय कुमार का कहना है कि भारत हमेशा से पाकिस्तान के साथ बातचीच कर मसले को हल करता रहा है, ताकि किसी मामले में तीसरे देश की भूमिका सेबचा जा सके. कश्मीर बेहद नाजूक दौर से गुजर रहा है. पाकिस्तान हमेशा से चाहता रहा है कि क्श्मीर मसले में तीसरे देश की भूमिका हो, लेकिन भारत उसे कुटनीतिज्ञ स्तर पर मात दैता रहा है. कुलभूषण जाधव मामले को इंटरनेशनल कोर्ट में ले जाना भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता है.