जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । पब्लिक टाक आफ इंडिया के तीसरे वार्षिक समारोह में मुख्य विशेष अतिथि के ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेय जल एवं स्वच्छता मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि स्वच्छता अभियान का असर धीरे धीरे आ रहा है। इसमें मीडिया की भूमिका भी अहम है। विशिष्ट अतिथि के रुप में अपने संबोधन में अरविन्द मोहन ने कहा कि चंपारण के पूरे ईलाके में और अन्य जगहों पर जैसे—जैसे हैंड पंप का विस्तार हुआ है..इसके साथ ही पानी में आर्सेनिक की मात्रा देखी गयी है। लोग आर्सेनिक के चपेट में आ रहे हैं। जबकि पहले जो पानी की व्यवस्था थी उस लिहाज से लोगों ने काफी होशियारी दिखाई थी। लोग पानी के लिए गांवो में कुओं का इस्तेमाल करते थे। कुओं का पानी आज भी बेहतर है। हैंड पंप के बढ़ते इस्तेमाल के साथ आर्सेनिक आया है। कई ऐसे उदाहरण मिलते हैं जिसमें हमारी जो पुरानी पीढ़ि थी वो साबुन का इस्तेमाल नहीं करती थी बावजूद इसके शारीरिक साफ सफाई के लिहाज से वे काफी सजग थे। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के विषय में कहा जाता है कि वे केवल होली के दिन ही साबुन लगाते थे। बावजूद इसके वे शारीरिक तौर पर काफी साफ सुथरे रहते थे। साबुन के बढ़ते इस्तेमाल के साथ गंदगी बढ़ी है या कम हुई है इस सवाल पर भी विचार किया जाना चाहिए।
वर्तमान सरकार ने स्वच्छता को लेकर पहल की है। नाम भी बदल कर स्वच्छाग्रह किया गया है। प्रधानमंत्री इसे लेकर गंभीर हैं। ऐसे में मीडिया की अपनी जवाबदेही है। पत्रकार इस दिशा में लिख रहे हैं। उनका दायित्व निगराणी का भी है। वे समीक्षा करें, जहां गड़बड़ दिखे उसे उजागर करें। लेकिन साथ ही यह भी जरूरी है जहां यह अभियान समाज के अनुभव से अलग जा रहा है उस पर भी लिखा जाये।
इसके साथ ही सरकार द्वारा भी राजनीतिक अभियान और स्वच्छता अभियान के बीच के फासले को पाटा जाना जरूरी है। सरकारी स्तर पर कोशिश हो रही है लेकिन एक बार झाड़ू उठाने से बात नहीं बनेगी। जो लोग स्वच्छता अभियान को लीड कर रहे हैं वो गांधी से सीखें,परिस्थिति जन्य अनुभवों से सीखें तभी स्व्च्छाग्रह का सपना साकार होगा और देश साफ सुथरा होगा।