जनजीवन ब्यूरो / हजारीबाग : बिहार के बाहुवली पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को आज हजारीबाग की एक अदालत ने दो दशक पुराने एमएलए अशोक सिंह हत्या मामले में दोषी करार दिया है. सजा सुनाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.
अशोक सिंह जनता दल के मशरक के विधायक थे, जिनकी हत्या हो गयी थी और उसका आरोप प्रभुनाथ सिंह पर लगा था.28 दिसंबर, 1991 को मशरक के जिला परिषद कांप्लेक्स में उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गयी थी, जिसमें वे तब बिल्डिंग में छिप कर किसी तरह बच गये थे, लेकिन कुछ साल बाद 1995 में पटना स्थित उनके आवास पर उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गयी. इस मामले प्रभुनाथ सिंह सहित अन्य पर आरोप लगा था. इस मामले में पटना सचिवालय थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
प्रभुनाथ सिंह बिहार के दबंग नेता हैं. उनकी दबंगई की कहानियां कई हैं और छवि कुछ ऐसी कि वे जिस पार्टी में रहते हैं, उसके हाईकमान की भी नहीं सुनते और करते हैं, वहीं जो उनके मन को भाये. चुनाव व उम्मीदवारों का विश्लेषण करने वाली वेबसाइटों पर आप जायेंगे तो उनके खिलाफ कई मामले दर्ज पायेंगे. सारण इलाके की राजनीति करने वाले प्रभुनाथ सिंह ने राजनीति में बाहुबल खूब दिखाया है. उनकी छवि ऐसे नेता कि रही है, जो शहाबुद्दीन से भी भीड़ जाया करते थे. हालांकि आज दोनों एक ही पार्टी राजद में हैं और अब वे बीते जमाने की बात है.
2009 लोकसभा चुनाव में महाराजगंज से जदयू उम्मीदवार के रूप में उन्होंने नामांकन किया था. उसके लिए पेश हलफनामे में उन्होंने खुद पर दर्ज मामलों का उल्लेख किया था. तब के हलफनामे के अनुसार, उन पर हत्या से संबंधित दो मामले आइपीसी – 302 के तहत दर्ज था. उनके खिलाफ अपहरण का ममला आइपीसी 363 व आइपीसी 364 भी दर्ज था. हत्या की कोशिश, आइपीसी 307 व आपराधिक साजिश रचने 120 बी, गलत सूचना देने सहित अन्य मामले उन पर तब के हलफनामे के अनुसार दर्ज थे.
प्रभुनाथ सिंह जनता दल के मूल संस्करण की राजनीति में रहे और उसके विघटन के बाद बाद के दिनों में कभी नीतीश कुमार तो कभी लालू प्रसाद यादव के साथ रहे. हालांकि कद्दावर नेताओं में हमेशा से लालू प्रसाद यादव का ही उन्हें सबसे करीबी माना जाता रहा है.
जब प्रभुनाथ सिंह नीतीश कुमार की समता पार्टी में थे, तो उन्होंने नीतीश के केंद्र के मंत्री से बिहार का मुख्यमंत्री बनने और फिर राज्य से केंद्र में जाने पर भी तब सवाल उठाया था और कहा था कि सबकुछ वे अपने भाग्य में ही लिखवा कर आये हैं क्या, हमलोग यहां झुनझुना बजाने के लिए हैं क्या? प्रभुनाथ सिंह ने तब यह टिप्पणी कर अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा का इजहार किया था.
2009 में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को उछाला था और विवादस्पद टिप्प्प्णी करते हुए कहा था कि वे उन्हें आवाज व भाषा की वजह से उन्हें पसंद नहीं हैं. इससे पहले उन्होंने 2003 में लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर सीधा आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने पति राजीव गांधी के भाई संजय गांधी से अनुचित बिजनेस डील के लिए पैसे लिये थे. उस समय वे समता पार्टी के सांसद थे और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा-समता व अन्य दलों की सरकार थी. इस पर तब संसद में खूब हंगामा भी मचा था. जब शरद यादव केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री थे, तब विमान के पायलट पर भी उनके द्वारा दबाव बनाने की खबरें मीडिया में आयी थी.