जनजीवन ब्यूरो
काठमांडू। शनिवार को आए भूकंप ने पूरे दक्षिण एशिया में 2100 से ज्यादा लोगों की जान ली है। नेपाल में भूकंप के कहर से मरने वालों की तादाद 2200 तक पहुंच गई जबकि भारत में 100, बंगलादेश में पांच और भूटान में दो लोगों के मरने की अबतक की सूचना है। शनिवार रात में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। रविवार को भी भूकंप के कुछ झटके महसूस किए गए।
अस्पतालों में घायलों की भीड़ है और सीमित संसाधनों के बावजूद वहां उनके इलाज की कोशिश की जा रही है। दर्जनों लाशें इन अस्पतालों में लायी गयी हैं।
लोग घरों के बदले पार्क में समय काटना उचित समझते हैं। नेपाल में 7.9 तीव्रता के भूकंप के मुख्य झटके के बाद भी एक दर्जन से ज्यादा झटके महसूस किए गए। भूकंप की तबाही के मद्देनजर नेपाल में आपातकाल घोषित कर दिया गया है।
भूकंप के इन झटकों ने बेइंतहा तबाही मचाई। भूकंप के कारण ऐतिहासिक धरहरा मीनार सहित बेशुमार इमारतें और मकान ध्वस्त हो गए। राजधानी काठमांडू के बीचों-बीच स्थित दरबार स्क्वायर भी नहीं बच पाया। मलबे के नीचे अनेक लोग दबे हैं।
भूकंप के लगातार झटकों से लोगों में इतनी दहशत फैल गयी कि कंपकपाती ठंड के बावजूद लोगों ने खुले आसमान के नीचे रात गुजारी। इस बीच, गृह मंत्रालय के अनुसार रविवार सुबह मृतकों की संख्या 1,911 हो चुकी है और घायलों की संख्या 4,627 हो गई।
नेपाल के इतिहास में 81 साल से अधिक समय में यह सर्वाधिक भयावह प्राकृतिक आपदा बताई जाती है। अकेले काठमांडू घाटी में तकरीबन एक हजार लोगों के मरने की खबर है। मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश और उन्हें बचाने का प्रयास जारी है और अधिकारियों को अंदेशा है कि मृतकों की संख्या में और भी इजाफा हो सकता है।