जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । ऑल इंडिया कंफेड्रेशन फॉर सोशल जस्टिस के अध्यक्ष जस्टिस एम॰एस॰ए॰ सिद्दीकी ने इस बात पर जोर दिया कि देश के मौजूदा राजनीतिक हालात से निपटने के लिये दलितों और मुसलमानों को एकजुट होने की जरूरत है।
सिद्दीकी ने कहा कि देश में राजनीतिक सत्ता परिवर्तन, विशेषकर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आदित्य नाथ योगी के सत्ता को ‘‘शुभ संकेत’’ करार दिया कि इससे मुसलमानों में एकता की लहर दौड़ गई है जो अब तक अपने हितों के लिए समुदायों में बंटे हुए थे।
जस्टिस सिद्दीकी ने कहा कि यह तभी संभव है कि जब हमारा दलितों और कमजोर वर्गों से गठबंधन स्थापित होगा। देश की कुल आबादी में दलित 23 प्रतिशत हैं और मुसलमान भी 23 प्रतिशत हैं। यदि यह दोनों मिल जाएं तो 46 प्रतिशत आबादी एक मजबूत राजनीतिक ताकत बन सकती है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अभी भी मुसलमान एकजुट नहीं हुए तो वह राजनीति की बिसात पर मात खा सकते हैं जो अनिवार्य रूप से परिणाम यह होगा कि वे अपनी मिल्ली पहचान से वंचित हो सकते हैं। इसलिए हमें अपने अस्तित्व के लिए गठबंधन की सख्त जरूरत है और समय आ गया है कि मुसलमानों को दिल से नहीं दिमाग से काम लेना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल से सोचने की आदत व्यक्ति को कमजोर बना देती है जबकि दिमाग से सोचने वाला आदमी मजबूत होता है।
उन्होंने दलितों पर अत्याचार की हाल की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि जब बिहार में एक दलित लड़के ने एक सवर्ण के खेत में शौच कर दिया तो उसकी हत्या कर दी गई। इसी तरह इलाहाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद, संभल और मुंबई में दलितों की बस्तियों को उजाड़ा गया, उनके घरों को जला दिया गया और उन्हें मारा पीटा गया लेकिन इसके खिलाफ एक खामोशी छाई हुई है।
इन सभी समस्याओं और कठिनाइयों के मुकाबले के लिए कंफेड्रेशन का गठन किया गया है। इसके गठन में सैयद मुहम्मद कुत्बुर्रहमान, डॉक्टर शकील अहमद किदवई और प्रोफेसर नफीस अहमद की संयुक्त सोच और विचार-विमर्श शामिल है। इस बारे में जानकारी देते हुए जस्टिस सिद्दीकी ने कहा कि इसमें एक सलाहकार बोर्ड होगा, इसी तरह लीगल एड का विभाग और विभिन्न समितियां भी गठित की गई हैं। यह सब दलितों और आदिवासी समुदायों के हितों की रक्षा के लिए काम करेंगी।