नई दिल्ली । बिजली चोरी के मामले में उत्तर प्रदेश पहले पायदान पर है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ गरीब तबके के लोग इस काम में जुड़े हुए हैं बल्कि राजनीतिज्ञ और अच्छे अच्छे परिवार इसमें शामिल हैं। केंद्रीय बिजली, कोयला,नवी और नवीकरण ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उत्तर प्रदेश के 84 लाख घरों में बिजली चोरी की जाती थी। अखिलेश यादव की सरकार इस काम को प्रोत्साहित करती थी लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इसके खिलाफ कड़े कदम उठाई है. गोयल ने कहा कि उनका मंत्रालय सभी आरटीआई के जवाब को अपने वेबसाइट पर डालेगी ताकि लोगों तक अधिक से अधिक जानकारी पहुंच सके।
अपने मंत्रालय के तीन साल की उपलब्धि बताते हुए गोयल ने कहा कि 15 मई 2017 तक बिजली सुविधा से वंचित 18,452 गांव में से 13,469 गांव में बिजली पहुंचा दी गयी है। नीचे 2013-2014 तथा 2016-2017 में ग्रामीण बिजलीकरण की उपलब्धियों तथा वित्तीय प्रगति की तुलना की गयीहै।
पूर्ववर्ती योजना के शेष ग्रामीण बिजलीकरण कार्य डीडीयूजीजेवाई में समाहित किये गये हैं। योजना की परिव्यय राशि 43,033 करोड़ रुपये है। इसमें 3345 करोड़ रुपये भारत सरकार का अनुदान है। पुराने ग्रामीण कार्य कोसमाहित करने के साथ समग्र परिव्यय राशि भारत सरकार की अनुदान राशि 63,027 करोड़ रुपये सहित 75,893 करोड़ रुपये है।
नई डीडीयूजीजेवाई योजना के अंतर्गत परियोजना लागत की 60 प्रतिशत (विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 85 प्रतिशत) की दर से भारत सरकार अनुदान देती है। निर्धारित मानदंडों को पूरा करने पर 15 प्रतिशत की दर सेअतिरिक्त अनुदान (विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 5 प्रतिशत) दिया जाता है। इस योजना के अंतर्गत 32 राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए 42,553.17 करोड़ रुपये की परियोजनाएं मंजूर की गयी हैं। इनमें फीडर अलगाव के लिए(15572.99 करोड़ रुपये), प्रणाली सुदृढीकरण तथा ग्रामीण घरों से जोड़ने के लिए (19706.59 करोड़ रुपये), मीटरिंग (3874.48 करोड़ रुपये), ग्रामीण बिजलीकरण (2792.57 करोड़ रुपये) तथा सासंद आदर्श ग्राम योजना (398.54करोड़ रुपये) शामिल है।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय दर्शन के अनुरूप 20 नवबंर 2014 को भारत सरकार ने दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) को स्वीकृति दी। यह एकीकृत योजना है जिसमें ग्रामीण बिजली वितरण के सभी पक्ष यानी फीडर का अलगाव, प्रणाली सुदृढीकरण तथा मीटरिंग शामिल हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को स्वतंतत्रा दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए 1000 दिनों के अंदर बिजली से वंचित सभी गांव को बिजली प्रदान करने का संकल्प व्यक्त किया था। इसलिए, भारत सरकार ने ग्रामीण बिजलीकरण कार्यक्रम को मिशन मोड में लियाऔर मई 2018 तक बिजलीकरण का काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया।
ग्रामीण बिजलीकरण कार्य की प्रगति की निगरानी के लिए फील्ड में 350 से अधिक ग्राम विद्युत अभियंता (जीवीए) तैनात किये गये हैं। बिजली सुविधा से वंचित 18,452 गांवों में बिजलीकरण की प्रगति की निगरानी केलिए जीएआरवी मोबाइल एप (garv.gov.in) विकसित किया गया। जीएआरवी एप में जीवीए फील्ड फोटोग्राफ, डाटा तथा अन्य सूचना अपडेट करते हैं। सभी 5.97 लाख गांवों में घरों के बिजलीकरण की निगरानी के लिए 20दिसंबर 2016 को अद्यतन जीएआरवी एप को लांच किया गया।