जनजीवन ब्यूरो /रियाद । अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप सऊदी अरब में अपने संबोधन में दुनिया भर में इस्लामी कट्टरपंथ पर काबू पाने की ज़रूरत को रेखांकित कर सकते हैं. ट्रंप मुसलमानों को लेकर विवादास्पद कमेंट करते रहे हैं. उन्होंने यहां तक कहा है कि वो अमरीका में रहने वाले मुसलमानों का डेटा बेस तैयार करवाएंगे. शनिवार को अमरीका ने सऊदी अरब के साथ करीब 350 अरब डॉलर का कारोबारी क़रार किया है. दोनों देशों के बीच 110 अरब डॉलर का हथियार सौदा भी हुआ है जो व्हाइट हाउस के मुताबिक अमरीका का अब तक का सबसे बड़ा हथियार सौदा है.
राष्ट्रपति के तौर पर अपनी पहली विदेश यात्रा पर ट्रंप शनिवार को सऊदी अरब पहुंचे हैं. रविवार को वे क्षेत्रीय नेताओं के दल को संबोधित करने वाले हैं.ये भी माना जा रहा है कि इस संबोधन में ट्रंप इस्लामिक स्टेट के चरमपंथियों के ख़िलाफ़ अमरीकी संघर्ष में मदद का आह्वान भी कर सकते हैं.
डोनल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान ये वादा किया था कि वे मुसलमानों के अमरीका आने पर अस्थायी पाबंदी लगा देंगे.
राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने सात मुस्लिम बहुल्य देशों के लोगों के अमरीका आने पर पाबंदी लगाने का प्रावधान लागू करने की कोशिश भी की, जिस पर अदालत ने रोक लगा दी.
ट्रंप के जिन सलाहकार स्टीफ़न मिलर ने मुस्लिम बहुल्य देशों के लोगों के अमरीका पर आने की पाबंदी वाला ट्रैवल बैन लिखा था, उन्हीं का लिखा भाषण ट्रंप रविवार को पढ़ने वाले हैं.
अमरीकी मीडिया में वे कट्टर इस्लामी चरमपंथ मुहावरे का इस्तेमाल करते रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि सऊदी अरब में अपने संबोधन में वे इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.
वैसे सऊदी अरब में ट्रंप का पहला दिन काफ़ी शांतिपूर्ण रहा है. सऊदी अरब की सरकार अमरीका के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है.
धार्मिक चरमपंथ के खिलाफ़ लड़ाई में एकजुट होने के उनके आह्वान को, ट्रंप की अपनी छवि के चलते कुछ लोग शंका की नज़र से देख रहे हैं.
ट्रंप आठ दिनों की विदेश यात्रा पर है, वे सऊदी अरब के बाद इसराइल, फ़लीस्तीनी क्षेत्र, ब्रसेल्स, वेटिकन सिटी और सिसली भी जाएंगे.