जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि अच्छे नस्ल के पशुधन तैयार करने के लिए न सिर्फ सीमेन के लिए बल्कि ई-पशुधन का पोर्टल तैयार किया जाएगा। गायों की बेहतर देखभाल के लिए देश में 14 गोकुल ग्राम बनाए जाएंगे। इन गोकुल ग्राम में दुध देने वाली गायों की देखभाल तो होगी ही साथ ही जो गाय दुध नहीं देती है उनकी भी देखभाल की जाएगी।
अपने मंत्रालय के तीन साल के कार्यकाल का लेखाजोखा देते हुए राधा मोहन ने कहा कि विगत तीन वर्षों के प्रारम्भिक दो वर्षों में कम मानसून में भी किसानों को सुरक्षा एवं विश्वास का संबल सरकार द्वारा दिया गया है। स्वॅायल हैल्थ कार्ड का वितरण, सिंचाई सुविधाओं में विस्तार, कम लागत की जैविक खेती, राष्ट्रीय कृषि बाजार, बागवानी विकास, कृषि वानिकी, मधुमक्खी पालन, दुग्ध, मछली एवं अंडा उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ ही कृषि शिक्षा, अनुसंधान एवं विस्तार पर विशेष बल दिया गया है। सहकारी संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण में भी ज्यादा निवेश किया गया है। दलहन-तिलहन में आत्म-निर्भरता की ओर बढ़ने के लिए कई नई पहलें तीन वर्षों में प्रारम्भ की गयी हैं। सबसे कम प्रीमियम एवं विभिन्न जोखिमों को शामिल कर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को अभूतपूर्व सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है। देश के सभी जिलों के लिए आकस्मिक योजना उपलब्ध कराए गए तथा सूखा एवं ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को मिलने वाली राहत मानकों को बढ़ाकर सरकार ने अर्थव्यवस्था में किसानों के हितों को प्राथमिकता दी है।
वर्ष में कृषि और किसानों की बेहतरी के लिए जो सतत प्रयास किए गये हैं उनके उत्साहजनक व सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं। मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए जिस मनोयोग से काम में जुटी है, इससे किसानों के जीवन में गुणात्मक सुधार आ रहा है। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य दिया है जिसे हासिल करने के लिए कृषि मंत्रालय लगातार काम कर रहा है। । श्री सिंह ने ये बात आज मोदी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने के अवसर पर नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कही।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान मंत्रालय द्वारा किया जाने वाला खर्च अधिकतर बजटीय प्रावधानों से कम रहता था। उदाहरण के लिए वर्ष 2011-12 में बजटीय प्रावधान रु 24,526 करोड़ था जबकि खर्च मात्र रु 23,290 करोड़ रहा। इसी तरह 2012-13 में बजटीय में 28,284 करोड़ था जबकि खर्च मात्र 24,630 करोड़ हुआ। वर्ष 2013-14 में बजटीय प्रावधान रु. 30,224 करोड़ था जबकि खर्च रु. 25,896 करोड़ हुआ। वहीं दूसरी तरफ मोदी सरकार में किसान हित में मंत्रालय द्वारा खर्च बजटीय प्रावधान से ज्यादा किया जा रहा है। उदाहरणस्वरूप 2016-17 में जहां बजटीय प्रावधान रु 45035 करोड़ था, वह संशोधित बजटीय आवंटन में यह बढकर रु 57503 करोड़ किया गया है। मोदी सरकार द्वारा कृषि प्रक्षेत्र एवं किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अधिक बजटीय आवंटन किया है। उदाहरणस्वरूप यूपीए सरकार के चार वर्ष यथा 2010-11 से 2013-14 के बजट में कुल रु 1,04,337 करोड़ का बजटीय प्रावधान कृषि क्षेत्र के लिए किया गया था, वहीं वर्तमान सरकार द्वारा 2014-15 से 2017-18 तक कृषि क्षेत्र को कुल 1,64,415 करोड़ रुपये आवंटित किए गये हैं जो कि 57.58 प्रतिशत अधिक है।
राधा मोहन ने कहा कि मोदी सरकार के तीन वर्ष के कार्यकाल में कृषि क्षेत्र में उन्नति एवं किसान कल्याण की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के द्वारा किसान सशक्तिकरण के लिए सतत् पहल एवं प्रयास के परिणाम दिखने लगे हैं। मोदी सरकार की कृषि में उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:
· वर्ष 2016-17 में खादायान्न उत्पादन के पिछले सारे रिकार्ड टूट गये हैं। इस वर्ष कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों की वृद्धि दर लगभग 4.4 प्रतिशत रही है।
· 2016-17 के दौरान तृतीय अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में कुल खाद्यान्न का उत्पादन लगभग 273.38 मीलियन टन अनुमानित है जो वर्ष 2015-16 की तुलना में 8.67% अधिक है।
· यहां यह भी उल्लेखनीय है कि खाद्यान्न का यह उत्पादन पिछले 5 वर्षों के औसत उत्पादन से भी 6.37% अधिक है।
· 2016-17 के दौरान दलहनों का कुल उत्पादन 22.40 मिलियन टन अनुमानित है जो अब तक का रिकार्ड उत्पादन होगा जो पिछले वर्ष 2015-16 से 37% अधिक है।
· 16.05.2017 तक 725 लाख स्वॅायल हैल्थ कार्ड किसानों को वितरित किए जा चुके हैं। नमूनों की जांच हो रही है। कार्ड छपाई का काम चल रहा है। आगामी तीन महीनों में शेष बचे किसानों का कार्ड उपलब्ध करा दिया जाएगा।
· वर्ष 2011-14 के दौरान जैविक खेती के तहत संचयी क्षेत्र 7.23 लाख हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2014-17 के दौरान 20 लाख हेक्टेयर हो गया है।
· अब तक राष्ट्रीय कृषि बाजार से 417 मंडियां जुड़ चुकी हैँ।
· 15.05.2017 तक 20,000 करोड़ रूपये के 84 लाख टन कृषि उत्पाद का कारोबार e-NAM पर हो चुका है। 15.05.2017 तक 46 लाख किसानों, 90 हजार व्यापारियों और 46,411 कमीशन एजेंटों को e-NAM प्लेटफार्म पर पंजीकृत किया जा चुका है।
· दूध का उत्पादन 2011-14 के दौरान 398.01 मिलियन टन हुआ था, जो कि 2014-17 के दौरान बढ़कर 465.5 मिलियन टन हो गया है। तीन वर्षों के उत्पादन विकास की वृद्धि दर 16.9% रही है।
· वर्ष 2011-14 के दौरान अंडा उत्पादन 210.93 बिलियन था जो कि 2014-17 में बढ़कर 248.73 बिलियन हो गया। तीन वर्षों के उत्पादन विकास की वृद्धि दर 17.92 % रही है।
· वर्ष 2011-14 के दौरान मछली का उत्पादन 272.88 लाख टन था, जो कि 2014-17 के दौरान बढ़कर 327.74 लाख टन हो गया है। तीन वर्षों के उत्पादन विकास की वृद्धि दर 20.1% रही है।
· वर्ष 2011-14 तक 223 किसान उत्पादक संगठन बने, जबकि 2014-17 तक 383 बनाये गये।
· वर्ष 2007-14 तक 6.7 लाख ज्वॉइंट लाइबिलीटी ग्रुप बनाकर 7 वर्ष में 6630 करोड़ राशि दी गई जबकि 2014-17 तीन वर्षों में 15.85 लाख समूह बनाकर 16,268 करोड़ की राशि दी गई।
· मधुमक्खी पालन में 2011-14 तक 5.94 करोड़ खर्च किए गये जबकि 2014-17 तक 18.14 करोड़ खर्च किए गये। 205 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
· यू.पी.ए. के पांच वर्षों में राज्यों को राज्य आपदा अनुक्रिया कोष में 33,580 करोड रूपये स्वीकृत किए गये हैं। मोदी सरकार ने 5 वर्षों के लिए 61,260 करोड रूपये आवंटित किए है।
· यू.पी.ए. सरकार के 2011-12 से 2013-14 के तीन साल के बीच राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया कोष में राज्यों को 9,099 करोड रूपये दिए गये। मोदी सरकार ने 2014-15 से 2016-17 के तीन वर्षों में राज्यों को 29,194 करोड दिये गये हैं, जबकि अभी इसके अलावा कर्नाटक, केरल एवं पुद्दूचेरी विचाराधीन है।
· प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अन्तर्गत वर्ष 2016-17 में 8 लाख 40 हजार हेक्टेयर का रिकार्ड कवरेज सूक्ष्म सिंचाई के अधीन लाया गया है।
· राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना अन्तर्गत सिर्फ खरीफ सीजन में 2011-14 के तीन साल में 6 करोड किसानों ने बीमा कराया। जिसमें 77 लाख गैर ऋणी किसान थे। जबकि 2014-17 के बीच 3 वर्ष में सिर्फ खरीफ सीजन में 9 करोड 47 लाख किसानों ने बीमा कराया जिसमें 2 करोड 61 लाख गैर ऋणी किसान है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के आकर्षण के कारण खरीफ फसल में गैर ऋणी किसानों की संख्या में 238.96% की वृद्धि हुई है तथा इसी तीन वर्ष में इसके पूर्व के तीन वर्षों की तुलना में रवी फसलों में भी गैर ऋणी किसानों की संख्या में 128.50% की वृद्धि हुई है।