जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। तीन तलाक की परंपरा को बचाए रखने की आखिरी कोशिश में लगे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने आज सुप्रीम कोर्ट में 13 पेज का हलफनामा दाखिल किया. बोर्ड ने कहा है कि वह तीन तलाक को लेकर काजी, इमामों को एडवाइडरी जारी करेगी ताकि इसका बेजा इस्तेमाला ना हो.
बोर्ड ने अपने हलफनामे में कहा कि हम तीन तलाक के खिलाफ निर्देश जारी करेंगे. निकाह को लेकर जरूरी निर्देश देंगे. लोगों को जागरूक करने का प्रयास करेंगे और तीन तलाक रोकने का प्रयास करेंगे. बोर्ड के मुताबिक लड़की चाहे तो निकाहनामे में तीन तलाक से जुड़ी शर्तें जोड़ सकती है.
हलफनामे में बोर्ड ने कहा कि वह शादी करने वाले जोड़ों को बताएगा कि एक बार में तलाक कहना शरीयत में जायज नहीं है. इसके लिए निकाहनामा में निर्देश दिए जाएंगे ताकि पति एक में तीन तलाक नहीं दे सके.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक पर हुई अहम सुनवाई के बाद अब फैसला आना है. पांच सदस्यीय संविधान पीठ में करीब 6 दिन तक जिरह चली थी जिसमें AIMPLB की तरफ से कपिल सिब्बल ने दलीलें रखी थीं. वहीं सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सरकार का पक्ष रखा था. सलमान खुर्शीद एमिकस क्यूरी (कोर्ट के मददगार) के तौर पर काम कर रहे थे.
AIMPLB ने अपनी दलील में कहा था कि तीन तलाक आस्था का मामला है इसलिए सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. सिब्बल ने कहा कि ये मामला शरीयत का है और इसे मुस्लिमों पर ही छोड़ देना चाहिए. उन्होंने इसकी तुलना अयोध्या और राम से करते हुए इसे आस्था का मामला बताया.
वहीं सरकार की तरफ से मुकुल रोहतगी ने तीन तलाक को महिलाओं के अधिकारों का हनन बताया. उन्होंने कहा कि तीन तलाक अमानवीय है और महिलाओं को समानता के अधिकार से वंचित रखता है. उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट इसके खिलाफ फैसला सुना दे तो सरकार इस पर कानून लाने को तैयार है.