जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की सरकार ने जश्न का ऐलान किया है। कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि ये जश्न का नहीं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जवाबदेही का समय है। 3 साल की वायदा खिलाफी का जवाब देने का समय है। बेरोजगारी बढ़ाने का, देश के अर्थतंत्र को तोड़ने का और हर एक मानक बदल कर एक नकली तस्वीर जनता के सामने पेश करने का प्रयास किया गया। चिंता का विषय है कि निरंतर 3 साल में देश ने केवल प्रचार सुना है और ये प्रचार एक ऐसा है जहाँ एक तरफी बात है, एक ऐसा शासक है देश के अंदर, सबसे बड़े प्रजातंत्रिय देश की प्रणाली को आघात पहुंचा रहा है, व्यक्ति वाद को बढ़ावा देता है, व्यक्ति पूजा को भारतीय जनता पार्टी अधिकारिक ओहदा दे रही है। ये प्रजातंत्र के लिए घातक है। ये अधिनायकवादी सरकार है जहाँ सत्ता, शासन, शक्ति का और हर निर्णय का केन्द्रीयकरण कर लिया गया है। कोई छोटा फैसला भी ऐसा नहीं है सरकार में, जो केवल प्रधानमंत्री जी और उनके कार्यालय से ना लिया जाता हो। उनके कैबिनेट के मंत्री परेशान है, मजबूर हैं और वो प्रचार में केवल प्रशंसक मंडल के रुप में शामिल हैं। जो इन पर सवाल कर सकते थे वो, मार्गदर्शक मंडल में भेजे जाते हैं। ये आज की सरकार की, सत्ताधारी दल की वास्तविकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार शासन का, सत्ता का और सरकारी ऐजेसिंयो का दुरुपयोग करती है। देश में भय का वातावरण बन रहा है, सामाजिक तानाबाना टूट गया है।
बुनियादी सवाल है आज सबसे पहला सवाल है, हमारा देश की आंतरिक सुरक्षा और सीमाओं की सुरक्षा दें इस सरकार की नीति पूर्णत: विफल है। 538 जवान मरे हैं, 200 से ऊपर कश्मीर में मरे हैं 2 वर्ष में। सेना के बड़े अधिकारी मारे जा रहे हैं, सीमा पार से निरंतर हमले हो रहे हैं और सरकार की तरफ से हर कुछ महीने के बाद एक वीडियो जारी करके लोगों को गुमराह किया जा रहा है, लोगों का ध्यान बंटाया जा रहा है। एक युद्ध का उन्माद पिछले कुछ दिनों से पैदा किया जा रहा है भारत और पाकिस्तान के बीच, ताकि जो सवाल करने चाहिए वो सवाल ना किए जाएं और पूरा ध्यान इस युद्ध के उन्माद में चला जाए। हम सरकार को चेताना चाहते हैं कि वो कोई गैर-जिम्मेवाराना बात करने से पहले पूरे विपक्ष को, जो आज तक इन्होंने कभी विश्वास में नहीं लिया, विश्वास में लें।
इस सरकार की कश्मीर की नीति विफल रही है। पाकिस्तान के बारे में नरेन्द्र मोदी की नीति या कूटनीति धराशायी हुई है। प्रधानमंत्री जी ने एक बार भी विनम्रता से खेद नहीं व्यक्त किया कि उन्होंने बड़ी भूल की थी। वही बीजेपी कि पाकिस्तान के उस समय के प्रधानमंत्री अजमेर शरीफ जा रहे थे और भारत के विदेश मंत्री ने उनको जयपुर में खाना दिया था, तो वो चुनाव का मुद्दा बना दिया था, उसको बिरयानी डिप्लोमेसी कहा गया। वो तो खुद ही खाने चले गए थे रायविंड में, 25 दिसंबर 2015, आज तक देश को नहीं पता कि क्या बात हुई, उसके बाद का घटनाक्रम देश को पता है कि पठान कोट से लेकर हमारे कई जो सेना के बड़े-बड़े ठिकाने हैं, जिन पर हमले हुए हैं और 3 बार भारत के जवानों के सर कटे, सरहद के पार से आतंकवादी या पाकिस्तान की सेना द्वारा, देश को अपमानित बार-बार होना पड़ा। लेकिन सबसे बड़ा अपमान उस दिन हुआ जब ये बिना कूटनीति समझे लाहौर उतर गए थे। एक छोटे से छोटे देश का भी प्रधानमंत्री अगर हमारे देश में आते हैं या किसी दूसरे देश में जाते हैं तो उनका स्वागत होता है, उनको सलामी मिलती है। हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री लाहौर में उतरे और वहाँ की थल सेना, वायु सेना और जल सेना के मुखियाओं ने उन्हें सलामी नहीं दी। अगर आज सवाल इनसे किया जाए तो वो जो सवाल करता है या जो आलोचना करता है तो वो राष्ट्रविरोधी हो जाता है। राष्ट्रभक्ति नरेन्द्र मोदी जी की, इनके चाटुकार मंत्रियों की, भारतीय जनता पार्टी की और इनके संगठन की धरोहर नहीं है। राष्ट्रभक्ति हर भारतवासी के दिल में है और ये उसका सर्टिफिकेट भारत के लोगों को देना बंद करें, बेहतर होगा।
आपको याद होगा 3 वर्ष पहले भारत के प्रधानमंत्री जी ने क्या कहा था कि रुपया डॉलर के मुकाबले वो 40 रुपए पर होगा, 3 साल पहले 59 रुपए 39 पैसे में एक डॉलर मिलता था, इनके शासन काल में 68 रुपए तक पहुंच गया था और कल 65 रुपए पर था, लगभग 25 रुपए का फर्क है। पैट्रोल जो अंतर्राष्ट्रीय मूल्य था, मई 2014 में वो 106.85 डॉलर पर बेरल।
क्या मापदंड होते हैं एक अच्छी इक्नोमी के? पहला तो GDP का नंबर, जो पहले मानक थे वो बदल दिए उससे 2 प्रतिशत फर्क पड़ गया, अभी कल ही आया है कि 2016-17 का GDP। वास्तविक जो ग्रोथ है, अभी 31 मई को पता चल जाएगा, Q4 के नंबर आएंगे। तो 6.6, पुरानी अगर मैथोडोलोजी पर जाएं तो 4.6, तो 4.6 और 5 के बीच में है।
हम निवेश की दर छोड़ कर गए थे 34.8 पर 3 साल पहले और आज निवेश का दर है मात्र 26.9। सबसे ज्यादा बचत का दर था हिंदुस्तान का और चीन का। इन प्रश्नों का उत्तर कौन देगा? झूठे प्रचार और झूठे इश्तिहार से सच्चाई को नहीं नकारा जा सकता।
शून्य से नीचे है 1.5 और 63 साल में सबसे नीचे गिर गया है बैंक का कर्जा जो उद्योगों को दिया जाता है। एक तिहाई उद्योग की कैपेसिटी इस्तेमाल के अंदर नहीं। 2 करोड़ रोजगार का वायदा हुआ था, 6 करोड़ रोजगार होने चाहिएं थे। हमारी दूसरी चुनौती है कि वो 6 करोड़ रोजगार के बारे में नरेन्द्र मोदी जी जवाब दें और देश के नौजवानों से क्षमा याचना करें और जितने रोजगार दिए हैं या स्कीलिंग किया है, उनकी सूची जारी करें । ये तो डिजिटिलाईजेशन की बात करते हैं, कैशलैस इक्नोमी की बात करते हैं तो मुश्किल तो नहीं है कि इन्होंने जो काम किया है उसका भी एक इश्तिहार छाप दें और एक कागज जारी कर दें कि इस राज्य में, इतने लोगों को इतने जिलों में रोजगार मिला है, वास्तविकता तो ये है कि पिछले साल मुश्किल से डेढ़ लाख रोजगार पैदा हुआ है। तो 6 करोड़ रोजगार की बात छोड़ो 10 लाख रोजगार भी नहीं हैं।
नोटबंदी के बाद जो इनफॉर्मल सेक्टर हैं उसमें कम से कम, 4-6 महिनों में टूटा 2 करोड़ 70 लाख रोजगार टूटा है। RBI गवर्नर ने कहा है कि 8 नंवबर के बाद के आंकड़े नहीं आए हैं, इनफॉर्मल सेक्टर कैप्चर नहीं हुआ है।
एक और चिंता का विषय है भारत की छवि के बारे में। वो कहते हैं कि पहले भारत की छवि धूमिल थी अब इन्होंने अच्छी की है। कोई ऐसा विनम्र प्रधानमंत्री नहीं देखा जो अपने से पहले प्रधानमंत्रियों को निरंतर अपमानित करते रहें। ये निरंतर करते हैं, ये आदतन मजबूर हैं। लेकिन क्या है आज भारत की छवि? मैंने सुरक्षा के बारे मे बताया, दुनिया के लोग प्रचार से प्रभावित नहीं हुए, तथ्य बोलते हैं आप कहाँ खड़े हैं लेकिन उसके साथ 21 वीं सदी में एक संवैधानिक प्रजातंत्र की वो तस्वीर जहाँ रोज lynching होती है, राष्ट्र की राजधानी के बाहर लोग मारे जाते हैं, जहाँ कानून पर आघात होता है, जहाँ पर ऐसे संगठन पनप रहे हैं जो अपने आपको कानून के दायरे से बाहर मानते हैं। दुनिया के सामने तस्वीरे हैं, पहलू खान की है, झारखंड की लिंचिग की, तमाम तस्वीरें हैं- एंटी रोमियो स्कावड की, vigilantism की है, ये तस्वीरें हैं 21 वें सदी के हिंदुस्तान के लिए जहाँ बाहुल्य युवा पीढ़ी का है, एक अच्छी तस्वीर नहीं है। एक ऐसा हिंदुस्तान बनाने का प्रयास हो रहा है जो हमारे बुनियादी उसूलों के खिलाफ हैं। मूलभूत परिवर्तन देश की उन नीतियों से किया जा रहा है जिसमें देश की हमेशा आम सहमति थी, जिसमें विदेश और सुरक्षा नीति शामिल है।
एक प्रश्न पर कि अमित शाह जी ने कहा है कि पहली बार भारत को एक बोलने वाला प्रधानमंत्री मिला है, क्या आपको लगता है कि इसमें भी कोई घोटाला है, श्री शर्मा ने कहा कि जहाँ तक अमित शाह जी का बात है कि ना तो अमित शाह जी और ना ही नरेन्द्र मोदी जी गणित के विद्धवान हैं और ना अर्थशास्त्री हैं, बड़े सम्मान के साथ कहूंगा। अमित शाह जी तो वही कहेंगे जिससे नरेन्द्र मोदी जी का कद दुगना दिखे और मोदी जी वो कहेंगे जिससे अमित शाह जी कमजोर ना दिखे। तो इस बात में हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन एक बात कहनी है कि जहाँ तक वास्तविकता की बात है, विकास की बात है मैंने आपको आंकड़े दिए है इसलिए हमने श्वेत पत्र की मांग की है तीन चीजों पर, वो सरकार जारी कर दे तो अमित शाह जी के ज्ञान में भी वृद्दि हो जाएगी और बाकी शंकाओं का भी निवारण हो जाएगा और ये भी साबित हो जाएगा कि कौन सच बोल रहा है और कौन गलत।
महिला सुरक्षा पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री शर्मा ने कहा कि भारत के अंदर असुरक्षा बढ़ी है, महिलाएं सुरक्षित नहीं है, बच्चियाँ सुरक्षित नहीं है। ये दुखदायी बात है। कौन सा सुधार हुआ है 3 साल के अंदर? केवल नारे देने से सुरक्षा नहीं होती है। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ कितना पैसा लगाया है भारत सरकार ने, कितना बजटरी एलोकेशन किया उसके लिए। किसान की बात करते हैं बजटरी एलोकेशन कितना है किसानों के लिए? बहुत से विषय हैं जिन पर बातें आएंगीं। तो ये दिखाना कि इन्होंने कोई बड़ा काम किया है, सच्चाई इसको नकारती है और जमीनी हकीकत उसके विपरीत है। रोज भाजपा शासित प्रदेशों में हरियाणा में, रोहतक में, यूपी में, कल जेवर में महिलाओं की असुरक्षा, घिनौनी वारदातें हो रही हैं, बीजेपी सरकारें असमर्थ हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि मोदी सरकार में नतीजों में शिक्षा नीति में बदलाव की वजह से देरी हो रही है, क्या कहेंगे, श्री शर्मा ने कहा कि छात्र तो प्रभावित हो रहे हैं। इससे आगे बढ़कर वो विश्वविद्यालय हैं, कैंपेस हैं उनमें तनाव है और काफी लोग अपने आपको असुरक्षित महसूस करते हैं कि ये वातावरण क्यों खराब हुआ, ये सर्वविदित है। ऐसा वातावरण देश में नहीं बनना चाहिए और इन विषयों को लेकर जो समस्याएँ हैं खासतौर से परीक्षा से संबंधित और मार्कशिट से संबंधित नंबर देने की, उसका जल्द से जल्द समाधान होना चाहिए। लंबे मुकदमे और सुनवाईयों से नहीं। सरकार को इसपर अदालत को अपनी नीति बताकर तुरंत इस पर फैसला करना चाहिए ताकि छात्र इससे प्रभावित ना हों। प्रधानमंत्री जी को भी एक सलाह है कि वो भी जिस तरह से अगर शिक्षा में 3rd डिविजन आई हो, उसको 1st डिविजन ना बताएं। फेल हो गए हैं तो बता दें कि फेल हो गए। मार्कशीट बदलवा कर क्यों अपने आपको पास बता रहे हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि मोदी सरकार सादगी की बात कहती है, आप इसे कितना सही मानते हैं, श्री शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री जी अच्छे कपड़े पहनते हैं, अच्छी बात है देश के लिए, वो सादगी है, महात्मा गाँधी जी की तरह या नहीं ये आप सोच सकते हैं। जो सरकार हजारों करोड़ रुपया सिर्फ व्यक्तिवाद को बढ़ाने के लिए और प्रचंड प्रचारतंत्र को मजबूत करने में लगा दें वो सादगी की सरकार नहीं है। अगर और सादगी देखनी है तो बीजेपी का कार्यालय दिल्ली में बन रहा है और एक झंडेवालान में बन रहा है मदर ऑरगनाईजेशन का, जहाँ तक मेरी जानकारी है हो सकता है गलत हो, 700 करोड़ का, तो कहीं ना कहीं से या कौन से साधू संत का योगदान है, कोई सूची जारी होनी चाहिए कहाँ से कितना चंदा दिया है, जाकर जानकारी लीजिए? हमें भी पता चलेगा। हर जिले में बेतहाशा जमीनें ली जा रही हैं, क्या है उस धन का Source?
एक अन्य प्रश्न पर कि आप बताते हैं कि बीजेपी इन मुद्दों पर असफल रही है, क्या आप बताएंगे कि 3 साल में कांग्रेस किन मोर्चों पर कामयाब रही है, श्री शर्मा ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी कामयाबी ये है कि हमने नरेन्द्र मोदी जी और बीजेपी को ये सिखाया कि विरोध से पहले राष्ट्रहीत है। इसलिए संविधान संशोधन जो बंगलादेश के साथ लैंड बाउंडरी एग्रीमेंट का, जिसको बीजेपी ने बरसों नहीं होने दिया भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उसको संभव कराया। इंशोरेंस बिल जो 7 साल से टला हुआ था बीजेपी के विरोध के कारण उसको भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एक रचनात्मक सहयोग देते हुए पास कराया। GST का मुद्दा जिसका विरोधी मोर्चा उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने निकाला था 7 साल तक उन्होंने कहा कि ये फैडरल स्पीरिट के खिलाफ है, संविधान के खिलाफ है, कल वो उसी GST का ढोल बजाएंगे। वो GST देश को मिली है तो कांग्रेस की वजह से, बिल भी हम लाए थे, याद रखिए, संसद में भी हमने पेश किया था और वो Constitutional Amendment पास हुआ था तो उसका भी श्रेय हमें जाता है। तो हमारी भूमिका नकारात्मक नहीं सकारात्मक रही है और जिन मुद्दों को, गरीब विरोधी, आम आदमी के विरुद्ध इस सरकार ने Back door से push करने की कोशिश की, जैसे Land Acquisition Bill, उसे हम सबने, पूरे विपक्ष ने, नाकामयाब भी किया।
शर्मा ने कहा कि रोजगार के बारे में, इक्नोमी के बारे में जब इनकी ही संस्थाएं इनके ही Alliance partner इनको चेता रहे हैं, ये तब भी समझने से इंकार करते हैं। अब हमारी बात नहीं सुनते लेकिन अपने लोगों की बात तो सुन लें। उनको तो जवाब दें दें, हम भी सुन लेंगें। हमारी मांग जो है उन पर इनकी क्या प्रतिक्रिया है उसका भी हम इंतजार करेंगे।