अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली। दुनिया भर में आज का दिन (31मई) विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रुप में मनाया जा रहा है, और इसी 24 घंटे के दौरान देशभर में 3288 लोग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के के कारण कैंसर अन्य बीमारियों से दम तोड़ देंगे। इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ ) ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाली बीमारियों और मौतों की रोकथाम को ध्यान में रखकर इस वर्ष 2017 का थीम ‘‘ विकास में बाधक तंबाकू उत्पाद ’’ रखा है।
डब्ल्यू एचओ के आंकड़ों के अनुसार एक सिगरेट जिंदगी के 11 मिनट व पूरा पैकेट तीन घंटे चालीस मिनट तक छीन लेता है। तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों के सेवन से देशभर में प्रतिघंटा 137 लोग अपनी जान गंवा रहे है। वहीं दुनिया में प्रति 6 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत हो रही है। ये आकंडे हम सभी के लिए बहुत ही चिंताजनक है।
वर्ष 2010 में वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण ( गेट्स )के अनुसार दिल्ली में 24.3 प्रतिशत करीब 30 लाख 73 हजार 632 लोग किसी ना किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं और इनमें से 10 हजार 600 लोगों की मृत्यु तंबाकू से संबधित रोगों के कारण प्रतिवर्ष हो जाती है। भारत में 48 फीसदी पुरुष और 20 फीसदी महिलाएं किसी न किसी रुप में तंबाकू का प्रयोग करते है। वहीं देश की 20 प्रतिशत महिलाएं सिगरेट एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन का शौक रखती हैं, इनमें देश के साथ- साथ प्रदेश की शहरी व ग्रामीण महिलाएं भी इसमें शामिल है। गेटस सर्वे के अनुसार देश की दस फीसदी लड़कियेां ने स्वंय सिगरेट पीने की बात को स्वीकारा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपेार्ट ग्लोबल टोबेको एपिडेमिक पर अगर नजर डालें तो पता चलता है कि महिलाओं के बीच तंबाकू का सेवन निरंतर बढ़ता जा रहा है। इनमें किशोर व किशोरियां भी शामिल हैं। जब 2010 में यह सर्वे हुआ तब 35 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन कर रहे थे और आज 2017 में यह आंकड़ा बड़े पैमाने पर बढ़ा होगा।
किशोर उम्र के जो लड़के लड़कियां धूम्रपान करते हैं ,उनमें से 50 प्रतिशत लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से पीडि़त होकर मर जाते हैं। औसतन धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 26 प्रतिशत तक घट जाती है। दिल्ली में प्रतिदिन लगभग 81 नए लोग तंबाकू की लत का शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में किशोरों में तंबाकू का सेवन शुरू करने की औसत आयु 17 साल है जबकि किशोरियों में यह आयु 14 साल है।
वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण-भारत 2010 (जीएटीएस) के अनुसार रोकी जा सकने योग्य मौतों एवं बीमारियों में सर्वाधिक मौतें एवं बीमारियां तंबाकू के सेवन से होती हैं। विश्व में प्रत्येक 10 में से एक वयस्क व्यक्ति की मृत्यु के पीछे तंबाकू सेवन ही है। विश्व में प्रतिवर्ष 55 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है। विश्व में तंबाकू सेवन के कारण हुई कुल मौतों का लगभग पांचवां हिस्सा भारत में होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि सन् 2050 तक 2.2 अरब लोग तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे होंगे।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ )फ्रेमवर्क कन्वेंशन फोर टोबेको कंट्रोल में दुनिया भर के 178 देशों ने अपने – अपने देश में तंबाकू नियंत्रण पर नीतियां बनाने पर अपनी सहमति जताई थी। जिसके तहत इन उत्पादों पर टैक्स बढ़ोतरी सहित सभी तरह के प्रयास जो कि इसके उपयेाग व बिक्री को कम करते हो। लेकिन इस नीति पर भी देश भर में पूरी अमल नहीं हो रहा, जिसके चलते इनका प्रचलन बढ़ता जा रहा है।
वॉयस ऑफ टोबेको विक्टिमस के पैटर्न व मैक्स फाउंडेशन के कैंसर रोग विशेषज्ञ डा.हरित चतुर्वेदी ने बताया कि तंबाकू उद्योग द्वारा तंबाकू की दुनिया के प्रति युवकों को आकर्षित करने के प्रतिदिन नए नए प्रयास किये जा रहे है। ‘युवा अवस्था में ही उन्हें पकड़ो’ उनका उद्देश्य है, तंबाकू उत्पादों को उनके समक्ष वयस्कता , आधुनिकता, अमीरी और वर्ग मानक और श्रेष्ठता के पर्याय के रूप में पेश किया जाता है, जबकि प्रदेश में तंबाकू उत्पादों के सेवन से मरने वालों की संख्या में प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में हुए रिसर्च में सामने आया है कि संभवतया तंबाकू का सेवन करने वालों में जीन में भी आंशिक परिवर्तन होते है जिससे केवल उस व्यक्ति में ही नही बल्कि आने वाली पीढि़यों में भी कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके साथ ही इन उत्पादों के सेवन से जंहा पुरुषों में नपुंसकता बढ़ रही है वहीं महिलाओं में प्रजनन क्षमता भी कम होती जा रही है।
धूम्रपान और बोन लॉस या बोन डेनसिटी (हड्डियों के घनत्व) में कमी के बीच सीधा संबंध है। हाल में किए गए शोध में इसका खुलासा हुआ है और आर्थोपेडिक विषेशज्ञों ने भी अपने क्लिनिकल प्रैक्टिस के आधार पर इसकी पुष्टि की है। धूम्रपान के कारण हमारी हड्डियों पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. (प्रो.) राजू वैश्य का कहना है, ‘‘जब युवा लोग धूम्रपान करते हैं तो धूम्रपान का हड्डियों पर नुकसानदायक प्रभाव पड़ता है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती है। धूम्रपान के कारण समय से पहले ही ऑस्टियोपोरोसिस हो सकता है। यह देखा गया है कि युवाओं में धूम्रपान की आदतें हाई स्कूल या कॉलेज के दौरान ही शुरू हो जाता है, जब हड्डियां विकसित हो रही होती हैं। यह खतरनाक है, क्योंकि जब हड्डी का घनत्व कम हो जाता है और इसके कारण कम उम्र में हड्डियों में फ्रैक्चर होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा धूम्रपान एवं शराब के सेवन से शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की सही तरीके से खपत नहीं हो पाती है।
डॉ. वैश्य कहते हैं, ‘जिन वर्षों के दौरान ‘हड्डियों का निर्माण होता है उन वर्षों के दौरान धूम्रपान करने से ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। 30 वर्ष की उम्र के बाद धूम्रपान करने से बोन मास (हड्डियों का द्रव्यमान) लगभग दो गुना तेजी से कम होता है। जब आपके पूरे शरीर में हड्डियों के द्रव्यमान में कमी आ जाती है तो कूल्हे, रीढ़ और कलाई इससे सामान्यतः सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। चिंताजनक बात यह है कि धूम्रपान करने वाले लोगों के संपर्क में रहने पर भी आपकी हड्डियां इसी प्रकार प्रभावित होती हैं।’’