जनजीवन ब्यूरो / नयी दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) जीएसटी की लेखापरीक्षा करेगी.
भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी की दलील को दरकिनार करते हुये जेटली ने जीएसटी नेटवर्क कंपनी यानी जीएसटीएन के इक्विटी ढांचे का बचाव किया और कहा कि वह इसमें सरकारी इक्विटी 49 प्रतिशत रहने में कुछ भी गलत नहीं पाते हैं.
स्वामी जीएसटीएन के इक्विटी ढांचे को लेकर बार बार एतराज व्यक्त करते रहे हैं. स्वामी ने मौजूदा इक्विटी ढांचे के तहत जीएसटीएन को संदेहास्पद संगठन बताया और कहा कि इसमें ‘बड़ा सुरक्षा खतरा’ है. जेटली ने सीएनबीसी टीवी18 से कहा, ‘जीएसटीएन का जो मौजूदा ढांचा है उसके बारे में फैसला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने किया था, उस समय पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे. मैंने खुद पूरे ढांचे की समीक्षा की है और मुझे इसमें असहमति की कोई वजह नजर नहीं आती है.’
उन्होंने कहा कि जीएसटीएन को हर महीने बड़ी संख्या में चालान का मिलान करना है इसलिये उसका आईटी नेटवर्क काफी सक्षम होना चाहिये.
इन बातों को ध्यान में रखते हुये जीएसटीएन का इक्विटी ढांचा बनाया गया है जिसमें 49 प्रतिशत इक्विटी केंद्र और राज्य सरकारों के पास होगी और शेष 51 प्रतिशत इक्विटी कुछ जिम्मेदार संस्थानों जैसे कि एलआईसी हाउसिंग, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, एचडीएफसी बैंक और ऐसे ही कुछ अन्य संस्थान शामिल हैं.
जेटली ने कहा कि जीएसटीएन का सीईओ सरकार नियुक्त करेगी और उसका हर फैसला सरकार के सकारात्मक मत के साथ ही आगे बढ़ेगा. इस प्रकार सरकार को इसमें वीटो का अधिकार होगा. इसके बोर्ड में भी ज्यादातर नियुक्तियां सरकार द्वारा की जायेंगी.
संशोधित नियम कहते हैं कि जांच प्राधिकरण को छह महीने के अंदर जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंप देनी चाहिए। हालांकि अनुशासनात्मक प्राधिकरण द्वारा लिखित में अच्छा और पर्याप्त कारण बताए जाने पर अधिकृत छह माह का जांच विस्तार दिया जा सकता है। इससे पहले जांच पूरी करने के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती थी। नया नियम आईएएस, आईपीएस और भारतीय वन सेवा और कुछ अन्य श्रेणियों के अधिकारियों को छोड़कर सभी श्रेणी के कर्मचारियों पर लागू होगा।