जनजीवन ब्यूरो / सहारनपुर . उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में पिछले दिनों भड़की जातीय हिंसा के आरोपी भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को राज्य पुलिस ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के डलहौजी से गिरफ्तार कर लिया. मेरठ के अपर पुलिस महानिदेशक आनंद कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने चंद्रशेखर को हिमाचल प्रदेश पुलिस के सहयोग से गिरफ्तार किया. उसे दोपहर बाद सहारनपुर की अदालत में पेश किया जाएगा. सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद से ही चंद्रशेखर फरार चल रहा था. उस पर 12 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था. सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में गत पांच मई को हुई जातीय हिंसा के पीछे चंद्रशेखर का हाथ बताया जा रहा था.
पेशे से अधिवक्ता चंद्रशेखर ने हाल ही में कहा था कि सहारनपुर में जो तांडव हुआ, उसके दोषियों को पकड़ने के बजाए प्रशासन निर्दोष लोगों को पकड़कर जेल में बंद कर रहा है, खासकर उनको जिनसे उस हिंसा का कोई लेना-देना नहीं है. ऐसा कर सरकार जानबूझकर दलित युवकों में आक्रोश पैदा कर रही है.
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को अब कांग्रेस का साथ मिल गया .कांग्रेस उपाध्यक्ष इमरान मसूद ने भीम आर्मी प्रमुख की मां-भाई के साथ प्रेसवार्ता में पुलिस प्रशासन को खुली चेतावनी दी. मसूद ने कहा कि यदि रावण के साथ पुलिस ने मारपीट की तो अंजाम बहुत बुरे होंगे. इमरान ने खुलकर कहा कि मुसलमान और दलित मिलकर भाजपा सरकार का मुकाबला करेंगे. चंद्रशेखर बड़ा नेता है और मै उसके साथ हूं. मसूद ने भाजपा सांसद राघव लखनपाल पर भी आरोपों की बौछार की. कहा कि सांसद के भाई के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो चुके हैं लेकिन सांसद उसे बचा रहे हैं जिस कारण पुलिस उसे नहीं पकड़ रही. प्रेस कांफ्रेंस में रावण के भाई कमल किशोर व मां कमलेश ने कहा कि भाजपा व हिंदू वाहिनी ने मिलकर चंद्रशेखर को फंसाया है. वह बेकसूर है. उन्हें न्याय पर पूरा भरोसा है.
उल्लेखनीय है कि सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में महाराणा प्रताप की मूर्ति पर माल्यार्पण करने जा रहे राजपूत व दलितों के बीच 5 मई को झड़प से हुई. इस हिंसा में राजपूत पक्ष के एक युवक सुमित की मौत हो गई. इसके बाद ठाकुरों ने बदला लेने के लिए 60 दलितों के घर फूक दिए. इस मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर 17 लोगों को गिरफ्तार किया. 9 मई को भीम आर्मी के नेतृत्व में पीडि़त दलितों ने मुआवजे की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़की. उपद्रवियों ने कई जगह तोडफ़ोड़ व आगजनी की. 21 मई को दलितों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रोटेस्ट किया. 23 मई को बसपा प्रमुख मायावती के दौरे से पहले और बाद शब्बीरपुर में हिंसा में एक की मौत और 10 घायल हुए हो गए. इस सारे मामले में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की गई और प्रमुख दोषी के रूप में भीम आर्मी प्रमुख का चेहरा सामने आया .