जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान के उपवास को कांग्रेस ने इस किसानों का उपहास बताया है और शिवराज को वनवास पर जाने की तैयारी करने के लिए कहा है. पार्टी ने कहा है कि शिवराज सिंह चौहान के हाथ 6 किसानों के खून से सने हैं और उन्हें उपवास करने की बजाय अपने कृत्य के प्रायश्चित के लिए राजनीतिक वनवास पर जाना चाहिए.
मंदसौर से फैली किसानों के असंतोष और गुस्से की आग से मध्यप्रदेश के कई जिलों के चपेट में आने के बाद शिवराज चौहान के उपवास पर बैठने के फैसले को कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नाटक और धोखा करार दिया. उन्होंने कहा कि उपवास का दिखावा कर रहे मुख्यमंत्री ने अभी तक मंदसौर में पुलिस फायरिंग में मारे गए छह किसानों के मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई है. सुरजेवाला ने कहा कि किसानों से हमदर्दी दिखाने का इससे बड़ा पाखंड क्या हो सकता. उन्होंने कहा कि केवल मध्यप्रदेश ही नहीं हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्रप्रदेश सभी जगह के किसान अपने खून-पसीने की कमाई गंवाकर आंदोलन कर रहे हैं. आलम यह है कि सरकार उन्हें उनकी फसलों का न्यूनतम एमएसपी भी नहीं दिला पा रही है.
किसानों की बदहाली के लिए एनडीए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए सुरजेवाला ने कहा कि पीएम मोदी ने चुनाव में किसानों को लागत का कम से कम 50 फीसद लाभकारी मूल्य दिलाने का वादा किया था. मगर आज वास्तविकता यही है कि लाभकारी मूल्य तो दूर किसानों को फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। सोयाबीन, गेहूं को मध्यप्रदेश का किसान एमसपी से 30 फीसद कम कीमत पर बेचने को विवश हो रहा है तो आलू और प्याज 2 से 5 रुपए किलो बेचने को बाध्य है। सुरेजवाला ने कहा कि इससे बड़ी संवेदनहीनता क्या होगी कि मंदसौर के किसानों की हालत पूछने पर देश के कृषि मंत्री राधामोहन सिंह किसानों का मजाक उड़ाते हैं।
मंदसौर में किसानों को भड़काने में कांग्रेस नेताओं के कथित वीडियो को लेकर पूछे जाने पर सुरजेवाला ने कहा कि वीडियो की प्रमाणिकता और स्थान दोनों नहीं मालूम हैं। वीडियो में छह आठ लोग हैं और जाहिर तौर पर केवल ये चंद लोग ही लाखों किसानों को सड़क पर आंदोलन के लिए नहीं ला सकते। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बेशक पार्टी किसी भी तरह के हिंसा के खिलाफ है मगर किसानों के गंभीर गुस्से से ध्यान बंटाने के लिए वीडियो सामने लाकर मामले की गंभीरता की अनदेखी नहीं की जा सकती।
एक अन्य प्रश्न पर कि एक तरफ शिवराज सिंह जी अनशन पर बैठने की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ उनके कृषि मंत्री ने ऐलान किया है कि कोई कर्जा माफी नहीं होगी, सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा की निर्दयता जिस निर्मम और नृषंस तरीके से भाजपा की लाठियों और गोलियों से मंदसौर में किसानों की हत्या की, जिस तरह से किशन नाम के किसान ने रायसेन में सल्फास खाकर आत्महत्या की, ये दर्शाता है कि सत्ता का अंहकार भाजपा के सिर चढ़कर बोल रहा है। किसान ने आंदोलन क्यों किया, देश का किसान महाराष्ट्र का, आंध्रप्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा क्यों आंदोलनरत है? फसल की कीमत दीजिए, मेहनत की लागत दीजिए, लागत पर 50 प्रतिशत मुनाफा देने का वायदा मोदी जी भले तोड़ दें, लेकिन लागत तो दीजिए।
सोयाबिन के किसान को कांग्रेस शासन में 5,500 रुपए क्विंटल का भाव मिलता था। आज मध्यप्रदेश के सोयाबिन के किसान 2,000 और 2,500 रुपए क्विंटल ही पाता है, आज आलू और प्याज 2 रुपए और 5 रुपए में बेचने को मजबूर हैं। आज गेहूं ,की फसल जिस पर 1,625 रुपए घोषित MSP है वो 1,200 से 1,300 रुपए में मध्यप्रदेश में पिटती है, महाराष्ट्र में पिटती है। तो किसान आंदोलन नहीं करेगा तो क्या करेगा?
एक तरफ फांसी का फंदा है और दूसरी तरफ सरकार का अहंकार है और इसलिए इन दोनों पाटों के बीच पिसता किसान सड़कों पर है और सत्ता के अहंकारी लोगों को किसानों की पीड़ा और दर्द नजर नहीं आता है।
मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री के बयान पर पूछे गए प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि राधामोहन सिंह देश के कृषि मंत्री हैं वो किसानों का मजाक उड़ाते हैं। हरि नारायण यादव जो देश में पार्लियामेंट की एग्रीकल्चर समिति के प्रमुख हैं और भाजपा के सांसद हैं वो मध्यप्रदेश के मंदसौर के किसानों को आतंकवादी बताते हैं। मध्यप्रदेश के गृहमंत्री किसानों को आतंकी बताते हैं। शिवराज सिंह चौहान ये कहते हैं उनकी पुलिस ने गोलियाँ चलाई ही नहीं। परंतु क्या ये सब बातें झूठ साबित नहीं हुई? ये सब बातें जब झूठी साबित हो गई तो कर्ज से दबे किसानों के आँसू पोंछने की बजाए सत्ता के अहंकार में डूबे मुख्यमंत्री सरकारी लाव – लश्कर के साथ फोटो अपोर्चुनीटि करवा रहे हैं मध्यप्रदेश में। शिवराज सिंह चौहान फोटो अपोर्चुनीटि और झूठे उपवास छोड़िए और राजनीतिक वनवास की तैयारी कीजिए।