जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : गो रक्षा के नाम पर विरोधी दलों की आलोचना झेल रही केंद्र की नरेंद्र मोदी की सराकर सभी गौशाला में बिजली के लिए गैस प्लांट लगाएगी. केंद्रीय कोयला एवं ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने अपने मंत्रालय के तीन साल की उपलब्धी की जानकारी देते हुए कहा कि गौमूत्र के लिए केंद्र सरकार बोटलिंग प्लांट भी लगाएगी.
देश में गो रक्षा के लिए पशुवध कानून में संशोधन किया गया है. साथ ही जगह जगह गोशाला खोलने के लिए मोदी सरकार कई तरह के कदम उठाई है. गोयल ने संवाददाताओं से कहा कि गोशाला में जमा होने वाले गोबर का उपयोग करने के लिए बायोगैस प्लांट लगाने के लिए सरकार हर संभव कदम उठा रही है ताकि उसका सही उपयोग हो सके.
उन्होंने कहा कि गोशाला में जमा होने वाले गऊ मूत्र का उपयोग भी सरकार करेगी. इसके लिए काफी संख्या में बॉटलिंग प्लांट लगाए जाएंगे.
गोयल ने कहा कि मोदी सरकार के तीन सालों में यूपी के १३६४ गांवों में बिजली पहुंचाई गई जबकि यूपीए सरकार में २०१०-१४ अर्थात चार सालों में मात्र २६ गांवों में बिजली पहुंचाई गई. समस्त राज्यों ने ‘सभी के लिए बिजली’ समझौतों पर दस्तखत कर दिये हैं जो सहकारी संघवाद के सिद्धांत के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.. शक्ति (भारत में कोयले का पारदर्शी ढंग से दोहन एवं आवंटन करने की योजना) कोल लिंकेजों की नीलामी एवं आवंटन की एक परिवर्तनकारी नीति है और इससे सस्ती बिजली, कोयले तक पहुंच और कोयला आवंटन में जवाबदेही सुनिश्चित होगी.. मेगा विद्युत नीति से भावी विद्युत खरीद समझौतों के लिए प्रतिस्पर्धी बोलियों का मार्ग प्रशस्त होगा और परियोजनाओं की दीर्घकालिक लाभप्रदता सुनिश्चित होगी..
अप्रैल 2014 से लेकर मार्च, 2017 तक की अवधि के दौरान पारंपरिक बिजली में 60 जीडब्ल्यू की अब तक की सर्वाधिक वृद्धि, परिवर्तनकारी क्षमता में लगभग 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी और पारेषण लाइनों में एक चौथाई से भी ज्यादा की वृद्धि की बदौलत भारत अब एक ‘विद्युत अधिशेष (पावर सरप्लस) देश’ बन गया है और इसके साथ ही बिजली अथवा कोयले की कोई किल्लत नहीं है.. राज्यों के लिए किफायती दरों पर अधिशेष बिजली उपलब्ध होने से ‘एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक दर’ की अवधारणा और ज्यादा मजबूत हुई.. पहली बार भारत वर्ष 2016-17 में बिजली के एक शुद्ध निर्यातक के रूप में उभर कर सामने आया..
उदय (उज्ज्वल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना), जिसे वितरण क्षेत्र में एक व्यापक सुधार के रूप में लागू किया गया है, में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है और 2.32 लाख करोड़ रुपये के ‘उदय बांडों’ को जारी करने की बदौलत डिस्कॉम को लगभग 12,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है.. इस बचत से उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मुहैया कराने में मदद मिलेगी.. सुधारों की बदौलत विश्व बैंक के ‘बिजली पाने में आसानी’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग वर्ष 2015 की 99वीं से सुधर कर वर्ष 2017 में 26वीं हो गई है..
सरकार ‘अंत्योदय’ से प्रेरित है, जो पंडित दीन दयाल उपाध्याय के दर्शन पर आधारित है और जिसका उद्देश्य समाज के सबसे निचले तबके के अंतिम व्यक्ति को आवश्यक सुविधाएं सुलभ कराना है.. इस महान दार्शनिक, मानवतावादी और राष्ट्रवादी के जन्म शताब्दी वर्ष को ‘गरीब कल्याण वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है.. ग्रामीण विद्युतीकरण की प्रमुख योजना (डीडीयूजीजेवाई-दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना) पर विशेष ध्यान दिया गया है.. बिजली की सुविधा से वंचित शेष 18,452 गांवों (1 अप्रैल, 2015 तक की स्थिति) में से अब 4,000 से भी कम गांव इससे वंचित रह गये हैं और उनका विद्युतीकरण भी मई, 2018 तक हो जायेगा.. सरकार ने न केवल प्रत्येक गांव, बल्कि प्रत्येक घर में रोशनी सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2022 तक हर घर में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.. राज्यों द्वारा पेश किये गये आंकड़ों के मुताबिक लगभग 4.5 करोड़ ग्रामीण घरों में बिजली पहुंचाना अभी बाकी है..
भारत अपनी ऊर्जा दक्षता पहलों के जरिए पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचने में सफल रहा है.. उजाला (सभी के लिए सस्ती बिजली के जरिए उन्नत ज्योति) के तहत 23 करोड़ से भी ज्यादा एलईडी बल्बों का वितरण किया गया है और इससे दो उद्देश्य पूरे हुए हैं – जहां एक ओर बिजली के बिलों में 12,400 करोड़ रुपये की बचत करने में मदद मिली है, वहीं दूसरी ओर कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ2) के उत्सर्जन में 2.5 करोड़ टन से भी ज्यादा की वार्षिक कमी हुई है..
भारत के प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से घोषित किया है कि भारत पर्यावरण के संरक्षण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, अत: यह हमारे लिए आस्था का विषय है.. वर्ष 2016-17 में भारत ने वर्ष 2022 तक 175 जीडब्ल्यू नवीकरणीय ऊर्जा हासिल करने के मिशन के अंतर्गत प्रमुख उपलब्धियां हासिल की हैं.. प्रतिस्पर्धी बोलियों की शुरुआत करके सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि नवीकरणीय ऊर्जा उपभोक्ताओं के लिए किफायती एवं आकर्षक साबित हो.. वर्ष 2016-17 के दौरान सौर ऊर्जा (2.44 रुपये) और पवन ऊर्जा (3.46 रुपये) दोनों की ही दरें न्यूनतम स्तर पर आ गईं.. एक और उल्लेखनीय उपलब्धि के तहत 2016-17 में पहली बार नवीकरणीय ऊर्जा की शुद्ध क्षमता वृद्धि पारंपरिक ऊर्जा में दर्ज की गई शुद्ध क्षमता वृद्धि के मुकाबले कहीं ज्यादा रही.. पिछले वर्ष के दौरान सौर एवं पवन ऊर्जा की उत्पादन क्षमता में भी अब तक की सर्वाधिक वृद्धि देखने को मिली.