अमलेंदु भूषण खां / भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ़्ते अमरीका जाने वाले हैं. डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद मोदी की यह पहली अमरीकी यात्रा होगी.
मोदी की इस यात्रा को लेकर चीनी मीडिया में भी चर्चा है. चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीकी दौरे में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को देखना दिलचस्प होगा.
मोदी के दौरे को लेकर इस चीनी अख़बार ने एक विश्लेषण प्रकाशित किया है. ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ”भारत और अमरीका के आर्थिक संबंधों को हमेशा चीन और अमरीका के आर्थिक रिश्तों की कसौटी पर नहीं देखा जा सकता है. इसकी मुख्य वजह यह है कि भारत विदेशी निवेश और बाज़ार खोलने के मामले में पीछे रह जाता है.”
अख़बार ने लिखा है, ”अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ‘अमरीका फर्स्ट’ की नीति का एलान कर रखा है. अमरीका फर्स्ट ट्रंप का केवल नारा नहीं है बल्कि यह उनकी नीति है. अगर ट्रंप अमरीकी कंपनियों के लिए भारत में हितों से जुड़े सवालों को उठाते हैं और भारत इस दौरान मार्केट को और खोलने का वादा करता है तो यह चीन के भी हक़ में होगा क्योंकि चीन भी भारत का अहम आर्थिक साझेदार है. ऐसे में मोदी की अमरीकी यात्रा पर चीन की नज़र टिकी हुई है.”
चीन के इस सरकारी अख़बार ने लिखा है, ”मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत की जीडीपी विकास दर तेजी से बढ़ रही है. इस वजह से भारत का आत्मविश्वास बड़ी शक्ति बनने के मामले में बढ़ा है. भारत को अमरीकी सहयोग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसीलिए मोदी सरकार अमरीका के साथ संबंध बढ़ाने के लिए इच्छुक है.”
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ”कई अमरीकी कंपनी भारत में तेजी से बढ़ते उपभोक्ता मार्केट के कारण उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन भारत के भीतर स्थानीय सरकारों के आर्थिक संरक्षणवाद की नीति के कारण बाधा अब भी बनी हुई है. उदाहरण के तौर पर अमरीकी रिटेल कंपनी वॉलमार्ट भारत में आना चाहती है लेकिन कई तरह की पाबंदियों के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है.”
अख़बार ने लिखा है, ”ट्रंप आर्थिक मुद्दों जिनमें निवेश की सीमा को ख़त्म करने और आयात-निर्यात पाबंदी पर को ख़त्म करने जैसे मुद्दों को मोदी के सामने उठा सकते हैं. अपने पूर्ववर्ती की तुलना में मोदी ने आर्थिक सुधारों के मामले में ख़ुद को ज़्यादा खुला रखा है.”
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, ”2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने आर्थिक सुधारों से जुड़े कई क़दम उठाए. जीएसटी से भारत भारत में निवेश का एक वातावरण बनेगा. मोदी और ट्रंप की मुलाक़ात के बाद भारत आर्थिक सुधार से जुड़े और क़दमों को उठा सकता है. ट्रंप मोदी के सामने मुद्दा उठा सकते हैं कि अमरीकी कंपनियों के साथ भी समान व्यवहार किया जाए.”
चीन के इस सरकारी अख़बार ने लिखा है, ”अगर भारत में निवेश का माहौल बनता है तो इससे न केवल अमरीकी कंपनियों को फ़ायदा होगा बल्कि चीन को भी लाभ मिलेगा. ट्रंप की अमरीका फर्स्ट नीति के कारण भारत और अमरीका की साझेदारी में चुनौतियां भी हैं. दोनों की मुलाक़ात में इसका असर भी दिख सकता है. चीन के लोगों की इस मुलाक़ात पर नज़र बनी हुई है क्योंकि इससे चीन का भी हित जुड़ा हुआ है.”
अख़बार ने लिखा है, ”उदाहरण के तौर पर ट्रंप प्रवासी नीतियों में बदलाव कर रहे हैं. इसमें एचबीवन वीज़ा भी शामिल है. एचबीवन वीज़ा से भारत और चीन को सबसे ज़्यादा फ़ायदा है. एचबीवन वीज़ा को सीमित करने से भारतीय आईटी सेक्टर के लिए बुरी ख़बर है. इसके साथ ही जो चीनी स्टूडेंट अमरीका में पढ़ रहे हैं उन पर भी असर पड़ेगा.”
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि एचबीवन वीज़ा के मामले में चीन भारत के साथ खड़ा है. अख़बार के मुताबिक चीन को उम्मीद है कि मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान एचबीवन वीज़ा का मुद्दा सुलझा लिया जाएगा.
चीनी अख़बार ने लिखा है, ”दोनों नेताओं की बाचचीत में जलवायु का मुद्दा भी रहेगा. सीएनएन के मुताबिक भारत ने ट्रंप की उस टिप्पणी को ख़ारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि पेरिस समझौते के कारण भारत अरबों डॉलर मदद हासिल करेगा. मोदी और ट्रंप की मुलाक़ात में जलवायु का मुद्दा भी शामिल रहेगा.”
अख़बार ने लिखा है, ”अमरीका और भारत की आर्थिक साझेदारी फिलहाल चीनी-अमरीकी साझेदारी से कम है. दोनों देशों के द्विपक्षीय समझौतों पर एचबीवन वीज़ और पेरिस समझौते का असर रहेगा. अगर मोदी और ट्रंप इन मुद्दों को सुलझाने में कामयाब रहते हैं तो यह चीन के भी हक़ में होगा.”
अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक ने कहा है कि ट्रम्प प्रशासन जहां चीनियों के साथ निकटता बढ़ा रही है वहीं दुनिया में चीन के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगाने के लिए उसे भारत की जरूरत होगी. अमेरिका के लिए भारत को बेहद अहम बताते हुए अटलांटिक काउंसिल ने ट्रम्प प्रशासन से भारत के साथ अपने रिश्तों को प्राथमिकता देने की अपील की.
जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंक ‘अटलांटिक काउंसिल’ ने अपने नीति पत्र ‘ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया फ्रॉम ए बैलेंसिंग टू लीडिंग पॉवर’ में कहा है कि चीन ने आर्थिक एवं सैन्य दोनों मोर्चों पर प्रगति की है, इस बात को देखते हुए अमेरिका को अपने वैश्विक एवं क्षेत्रीय प्रभुत्व सुनिश्चित करने के लिए वहां अपने संसाधन लगाने की आवश्यकता है.
नीति पत्र को पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी और साउथ एशिया सेंटर ऑफ द अटलांटिक काउंसिल के निदेशक भारत गोपालस्वामी ने संयुक्त रूप से लिखा है.
इसमें कहा गया है कि जबकि ट्रम्प चीन से घनिष्ठ संबंधों पर काम कर रहे हैं. इसको देखते हुए वाशिंगटन को भारत-यूएस संबंधों को मजबूत करने के लिए और अधिक प्रयासों की जरूरत है. सीनेटर जॉन मैक्केन के एशिया-पैशिफिक क्षेत्र में मजबूती प्रदान करने का प्रस्ताव भारत के साथ अच्छे संबंधों के बढ़ाने के लिए अच्छा संकेत हो सकता है.
उन्होंने लिखा कि 7.5 बिलियन डॉलर की मदद, अगर स्वीकृत हो जाती है, भारत-अमेरिका संबंधों को आने वाले वर्षों में बढ़ाने के लिए आरंभिक बिंदू हो सकती है.