जनजीवन ब्यूरो/ मुंबईः मुंबई के बायकुला जेल में पिछले दिनों मंजू गोविंद शेटे नामक महिला कैदी के साथ जो हुआ, वह पुलिस व्यवस्था की पोल तो खोलता ही है साथ ही पुलिसकर्मियों की क्रर मानसिकता को भी दर्शाता है.
साथी कैदियों के लिए जेल मैन्युअल के अनुरूप भोजन (5 ब्रेड और 2 अंडे) की मांग करना मंजू के लिए काल बन गया. बताया जाता है कि बायकुला जेल की महिला जेलरों ने 38 वर्षीय कैदी मंजू ने 23 जून को जेल मैनुअल के मुताबिक सुबह के खाने में प्रति व्यक्ति 2 अंडे और 5 ब्रेड की मांग की थी. सुबह 9 बजे इसी बात पर जेल अधिकारियों के साथ उसका विवाद हो गया. तब वह अपने बैरक से सभी कैदियों का खाना लेने गयी थी.
मंजू के अच्छे व्यवहार के कारण उसे 22 जून को ही अपने वार्ड का वार्डन बनाया गया था. खाना कम मिला, तो वार्डन की हैसियत से उसने जेल अधिकारियों से पूरा भोजन देने की व्यवस्था करने की मांग की. उसने बताया कि कम खाकर रोगी लगातार बीमार और कुपोषित हो रहे हैं. यह बात जेल अधिकारियों को नागवार गुजरी.
नाराज जेल अधिकारी मनीषा पोखकर ने मंजू गोविंद शेटे को अपने निजी कमरे में बुलाया. मंजू जब मनीषा पोखकर के कमरे में गयी, तो बाहर कैदियों ने उसके चिल्लाने की आवाज सुनी. थोड़ी देर बाद मंजुला अपनी बैरक में लौट आयी. वह दर्द से कराह रही थी.
कमरे के बाहर मौजूद कैदियों ने बताया कि मंजू के चिल्लाने की आवाज सुन कर बैरक में और पांच महिला अधिकारी आ धमकीं. अब सबने मिल कर मंजू को पीटना शुरू कर दिया. इनका गुस्सा यहीं नहीं थमा. महिला कांस्टेबल शीतल शिवगांवकर, सुरेखा गुल्वे, वसीमा शेख, बिंदू नायकड़े और आरती शिंगड़े ने मिहल कर मंजू के सारे कपड़े उतार दिये.
बिंदू और सुरेखा ने उसकी टांगें पकड़ी और वसीमा ने मंजू के गुप्तांग में डंडा घुसेड़ दिया. उसी रात जेजे अस्पताल में मंजू ने दम तोड़ दिया. इसके खिलाफ जेल की करीब 200 महिला कैदियों ने जेल में आंदोलन और तोड़फोड़ की. इस मामले में पुलिस ने शीना बोरा हत्याकांड की आरोपी इंद्राणी मुखर्जी समेत जेल की 200 महिला कैदियों पर जेल में दंगा भड़काने का मुकदमा दायर किया है.
दूसरी तरफ, मंजू गोविंद शेटे के वकील ने कोर्ट में शिकायत की है कि जेल पुलिस ने उनकी मुवक्किल से यौन हिंसा का प्रयास किया. उनके शरीर पर चोट के निशान मिले हैं.