जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। जनता परिवार में एकता के नाम पर मुहर तो लग गई है, लेकिन बिहार की राजनीतिक खींचतान इसके अस्तित्व पर सवालिया निशान लगा रहा है। मध्यस्थता कर रहे परिवार के मुखिया मुलायम सिंह यादव के फार्मूले को स्वीकार करने में खासकर नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव को झिझक हो रही है। इस फार्मूले में राजद जदयू के साथ कांग्रेस और वामदलों के लिए भी सीटें दिए जाने का प्रस्ताव है, ताकि भाजपा विरोधी एक भी वोट विभाजित न हो।
15 अप्रैल को हुई बैठक में मुलायम सिंह ने नीतीश और लालू के सीट बंटवारे की नसीहत दी थी। लेकिन नीतीश भूकंप प्रभावित इलाके में राहत कार्य का बहाना बनाकर टाल रहे हैं। मुलायम सिंह यादव ने नीतीश और लालू यादव से सौ-सौ सीटों के लिए नाम प्रस्तावित करने को कहा है जबकि अन्य सीटें कांग्रेस और वामदलों को दिए जाने की बात है। इस पर लालू यादव सहमत बताए जाते हैं पर जद यू नेता राजी नहीं हो रहे हैं। अभी विधानसभा में जद यू के साथ करीब् 113 विधायक हैं और वह इससे कम सीटों पर अपना दावा करने को तैयार नहीं है। यही गतिरोध का कारण भी है। कांग्रेस और वामदलों की ओर से इस पर अभी कोई आपत्ति सामने नहीं आई है।
जनता परिवार के रणनीतिकार चाहते हैं कि एकता से जो मजबूत माइक (मुसलिम यादव और कुर्मी) समीकरण बन रहा है उसका दायरा और बढ़ाया जाए। यह तभी संभव है जब मांझी और पासवान के कारण खिसक रहे दलित आधार वापस जनता परिवार की ओर लाया जाए। वामदल और कांग्रेस का साथ इसमें मदद करेगा। लेकिन उससे पहले की चुनौती जद यू और राजद कार्यकर्ताओं में जमीनी स्तर पर एकता बनाने की है। देखते हैं कि समीकरण आगे क्या मोड़ लेते हैं।