जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. कभी तिब्बत सीमा को लेकर तो कभी अरूणाचल प्रदेश की सीमा को लेकर या फिर मानसरवोर यात्रा रोकने को लेकर या फिर सिक्किम सीमा पर दोनों देशों के जवानों के बीच छिंटाकशी का. लेकिन असल मुद्दा इतना सुलक्षा हुआ नहीं है, ये मुद्दों की एक पूरी फेहरिस्त है.
* भारत और चीन एक दूसरे के साथ तकरीबन 3,488 किमी लंबी सीमा शेयर करते हैं. यह जम्मू-कश्मीर से शुरू हो कर अरूणाचल प्रदेश तक जाती है. इसमें 220 किलोमीटर का शेयर सिक्किम का है. लेकिन इस इलाके में बॉर्डर लाइन पूरी तरह स्पष्ट नहीं है जिससे दोनों देशों की सेनाओं के जवान अक्सर हाथापाई पर उतर आते हैं क्योंकि सीमा का कोई स्पष्ट आधार नहीं है.
* सिक्किम सेक्टर के डोंगलांग के इलाके में चीन ने सड़क बनाने की तैयारी शुरू कर दी थी जिसका भारतीय सैनिकों ने विरोध किया. लेकिन चीन का कहना है कि यह सीमा भूटान से लगती है और भारत को इससे कोई लेना देना नहीं है. उसे इसमें बोलने का अधिकार नहीं है. जबकि भूटान के फॉरेन और डिफेंस अफेयर्स को भारत देखता है और ऐसे में भारत को चीन से इस मसले को सुलझाने का पूरा हक है.
* भारत यून के एनएसजी ग्रुप में शामिल होने की लगातार कोशिश करता रहा है लेकिन चीन ने हर बार इसका विरोध किया.
* एक तरफ भारत और पाकिस्तान के रिश्ते जितने मुखर हो रहे हैं वहीं चीन ने हमेशा पाकिस्तान का बचाव किया है. चीन हर उस वक्त पाकिस्तान के साथ खड़ा हो जाता है जब भी भारत आतंकवाद के नाम पर पाकिस्तान का पर्दाफाश करना चाहा है.
* चीन ने पाकिस्तान के साथ करार के तहत एक सीपीईसी(चीन-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर) तैयार किया है. जिसकी लाइन पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से गुजरता है. पीओके के नियंत्रण को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद हमेशा से चला आ रहा है. जिस वजह से पीओके में चीन की घुसपैठ का भारत ने लगातार विरोध किया है. इसके अलावे चीन के 46 अरब डॉलर की लागत वाले वन बेल्ट वन रोड का भी भारत धूर विरोधी रहा है.
* जमीन और संसाधन हमेशा से ही दो देशों के बीच बहस का मुद्दा रहे हैं. भारत और चीन के बीच भी ब्रह्मपुत्र नदी को लेकर विवाद है. दरअसल चीन ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाकर पानी अपनी ओर मोड़ रहा है जिसका भारत लगातार विरोध करता रहा है. ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत से बह कर भारत में आती है. इसे तिब्बत में यारलुंग जांगबो नदी के नाम से जाना जाता है. यह नदी तिब्बत से भारत होते हुए बांग्लादेश जाती है.
* ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल’ ये एक ऐसा विषय है जिसके बारे में इतिहास और भूगोल पढ़ने वाला हर एक बच्चा जानता होगा. इस रणनीति के तहत चीन हिंद महासागर के किनारों पर अपनी सैन्य मौजूदगी कायम करना चाहता है. इसके लिए चीन भारत के समुद्री पहुंच के आसपास बंदरगाहों और नवल बेस का निर्माण करना चाहता है. हिन्द महासागर में चीन ने पहले ही अपनी मौजूदगी दर्ज करवा दी है. म्यांमार में कोकोस द्वीप, बांग्लादेश में चटगांव, हंबटोटा (श्रीलंका), मारो एटोल (मालदीव) और ग्वादर (पाकिस्तान) में ये अपनीमौजूदगी दर्ज करवा चुका है.
* तिब्बत छोड़कर आए आध्यात्मिक गुरू दलाईलामा को भी इंडिया में जगह देने की वजह से भी चीन के साथ लगातार स्थिति तनावपूर्ण रहा है.
* भारत और चीन के बीच विवाद 4 हजार किमी की सीमा को लेकर है जो कि तय नहीं है. इसे LAC कहते हैं. भारत और चीन के सैनिकों का जहां तक कब्जा है वही नियंत्रण रेखा है. जो कि 1914 में मैकमोहन ने तय की थी, लेकिन इसे चीन नहीं मानता और इसलिए अक्सर वो घुसपैठ की कोशिश करता रहता है.
* अंतिम मुद्दा है जम्मू और कश्मीर जिसे चीन भारत का अंग मानने पर आनाकानी करता रहता है.