जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। बांग्लादेश के साथ 41 वर्ष पुराने सीमा विवाद का निपटारा करते हुए संसद ने सर्वसम्मति से भारत और बांग्लादेश के बीच कुछ बस्तियों और भूमि क्षेत्रों के आदान-प्रदान को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। मोदी सरकार ने कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ धौंस जमाने वाले `बिग ब्रदर’ जैसा नहीं `एल्डर ब्रदर’ जैसा बर्ताव करता है। लोकसभा ने कांग्रेस और तृणमूल सहित सभी राजनीतिक दलों के समर्थन से संविधान (119वां संशोधन) विधेयक को पारित कर दिया और इसके खिलाफ एक भी सदस्य ने मतदान नहीं किया। संसद से पारित होने वाला यह संविधान में सौवां संशोधन है। इसके जरिये 1974 में हुए भारत बांग्लादेश सीमा समझौते को लागू किया जा सकेगा । विधेयक पारित होने के दौरान सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी आदि मौजूद थे। विधेयक पारित होने के बाद मोदी ने विपक्षी बेंचों की ओर जाकर सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, बीजद के भर्तृहरि महताब, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय और विपक्ष के अन्य नेताओं का धन्यवाद किया।
विधेयक पारित होने से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसके लिए इंदिरा मुजीब समझौते से मनमोहन शेख हसीना प्रोटोकाल तक को श्रेय दिया और निचले सदन में सभी सदस्यों से उसी तरह से सर्वसम्मति से इस विधेयक को पारित कराने का आग्रह किया जैसे एक दिन पहले उच्च सदन ने इसे मंजूरी दी थी। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के लिए लाभदायक है और इससे सीमाएं संकुचित हुए बिना क्षेत्र में आभासी (नोशनल) कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ धौंस जमाने वाले बिग ब्रदर’ जैसा नहीं बल्कि ध्यान रखने वाले एल्डर ब्रदर’ जैसा बर्ताव करता है। बिग ब्रदर से अहंकार का उद्बोध होता है जबकि एल्डर ब्रदर से ध्यान रखने वाले बड़े भाई का बोध होता है।” सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि जहां तक कुछ सदस्यों ने बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ का विषय उठाया, इसका समाधान भी इसी विधेयक में है। अभी 88 प्रतिशत सीमा क्षेत्रों में बाड़ लगाने का काम किया गया है और शेष क्षेत्र में इसलिए बाड़ नहीं लगाई जा सकी है क्योंकि सीमाएं स्पष्ट नहीं थी। सुषमा ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने से शेष क्षेत्रों में बाड़ लगाई जा सकेगी और घुसपैठ की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ नौवहन मुद्दों का समाधान निकाल गया है और इस बारे में अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने पैâसला सुना दिया है। बांग्लादेश के साथ नदियों से जुड़े मुद्दे अभी बने हुए हैं।
विदेश मंत्री सुषमा ने कहा कि पहले सरकार का यह मानना था कि इस विधेयक के दायरे से असम को अलग रखा जाए लेकिन अब असम को भी इसमें शामिल किया गया है । इस विधेयक से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय और असम राज्य प्रभावित होंगे । विधेयक के लागू होने पर 510 एकड़ जमीन हमारे पास आ रही है जबकि एनक्लेव के तहत 10,000 एकड़ जमीन उधर जा रही है । इसकी सफाई देते हुए सुषमा ने कहा कि यह 10,000 एकड़ जमीन आभासी (नोशनल) है क्योंकि यह उस जगह पर स्थित है जहां पर हम जा ही नहीं सकते। विदेश मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में जनसंख्या की अदला.बदली का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसी बस्तियों में रहने वाले लोगों पर ही यह बात छोड़ दी गई है कि वे चाहें तो अपनी वर्तमान नागरिकता को बरकरार रखें अथवा दूसरे देश की नागरिकता ले लें । जो बांग्लादेशी नागरिक भारत की नागरिकता लेना चाहेंगे उन्हे हमारी नागरिकता दी जाएगी । साथ ही यदि कोई भारतीय बांग्लादेश की नागरिकता लेना चाहेगा तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उसे बांग्लादेश की नागरिकता मिले और वह गरिमापूर्ण जीवन बिताए ।
सुषमा ने पश्चिम बंगाल का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य को 3008 करोड़ रूपये का पैकेज दिया गया है । एक अनुमान के मुताबिक करीब 35,000 लोग हमारी तरफ आएंगे जबकि एक सर्वे के अनुसार ऐसे लोगों की संख्या महज 3500 होगी। उन्होंने कहा कि इस पैकेज में 774 करोड़ रूपये मकान जैसे आधारभूत ढांचों के लिए होंगे ।
सरकार चाहती है कि यह विधेयक जल्द से जल्द लागू हो ताकि इसका सार्थक प्रभाव पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र पर पड़ सके । सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ साथ बांग्लादेश के साथ भी सड़क, रेल, जल मार्ग से संपर्क को बढ़ाना चाहती है ।