जनजीवन ब्यूरो / लखनऊ । उत्तर प्रदेश सतर्कता आयोग ने प्रदेश के छह विभागों को सबसे भ्रष्ट बताया हैं. इनमें शिक्षा, बिजली, सिंचाई, लोक निर्माण और राजस्व के साथ ही चिकित्सा एवं शिक्षा विभाग प्रमुख हैं. भ्रष्टतम विभागों की ये जानकारी सतर्कता आयोग ने सामाजिक कार्यकर्ता डॉ नूतन ठाकुर की आरटीआई के जवाब में दी है.
यह अलग बात है कि खुद सतर्कता आयोग पिछले 7 साल में महज 3 बैठकें ही कर सका है. इसी दौरान उसने प्रदेश के सर्वाधिक भ्रष्ट विभागों का चयन किया है.
यूपी सतर्कता आयोग की स्थापना केंद्रीय सतर्कता आयोग की तर्ज पर 1964 में की गई थी. इसमें 4 वरिष्ठ आईएएस अफसर और सतर्कता निदेशक सहित कुल 5 सदस्य होते हैं. इसके कार्यों में भ्रष्टाचार पर कार्यवाही और नियंत्रण के संबंध में कार्ययोजना बनाना है.
आरटीआई में कहा गया है कि आयोग ने 15 जनवरी 2014 की अपनी बैठक में कहा था कि शिक्षा, विद्युत्, सिंचाई, लोक निर्माण और राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार निवारण के उद्देश्य से अपनाई गयी प्रक्रिया का अध्ययन कर शासन को प्रस्ताव भेजा जाए.
इसके लिए आयोग की तरफ से इन 5 विभागों को पत्र भेजे गए लेकिन कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद 1 अक्टूबर 2014 की बैठक में तय किया गया कि चिकित्सा एवं शिक्षा विभाग में भी अत्यधिक भ्रष्टाचार है, इसलिए इन 5 विभागों के साथ इस विभाग में भी भ्रष्टाचार निवारण के प्रयासों का अनुसरण किया जाए.