प्रदीप शर्मा / नई दिल्ली । देश के 14वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह में जय श्री राम के नारे गूंजे । शपथ ग्रहण किए जाने के बाद जैसे ही राष्ट्रगान बजाया गया, इसके तुरंत बाद भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे लगाए गए। यह पहली बार नहीं है जब संसद भवन में जय श्री राम का नारा लगाया गया हो। इससे पहले जब भाजपा सदस्यों ने प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी का स्वागत समारोह किया था, उस दौरान भी ऐसी नारेबाजी की गई थी। उस समय जय श्री राम के साथ मोदी-मोदी के भी नारे लगे थे। माना जा रहा है कि जय श्रीराम के नारे संघ व संविधान के बीच टकराव भी आने वाले समय में हो सकता है।
शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के सेंट्रल हॉल में अपना पहला संबोधन देते हुए देशवासियों को नमन किया. इस मौके पर उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी याद किया. देश की आजादी में योगदान करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को भी याद किया.
रामनाथ कोविंद ने सरदार वल्लभभाई पटेल के देश के एकीकरण के प्रयास को भी सराहा. संविधान निर्माता बाबासाहब भीमराव अंबेडकर के योगदान को एक बार फिर से याद किया.
अपने संबोधन में उन्होंने कहा ‘हमारी स्वतंत्रता महात्मा गांधी के नेतृत्व में हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयासों का परिणाम थी. बाद में, सरदार पटेल ने हमारे देश का एकीकरण किया. हमारे संविधान के प्रमुख शिल्पी बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने हम सभी में मानवीय गरिमा और गणतांत्रिक मूल्यों का संचार किया.’
इस मौके पर उन्होंने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ-साथ प्रणब मुखर्जी के पदचिह्नों पर चलने की बात कही. आजादी के बाद लौह पुरूष सरदार पटेल को याद कर प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम तक न लेना दिखाता है कि किस तरह ये दौर अब बदल रहा है.
नवनिर्वाचित राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मंगलवार को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण करने के थोड़ी देर बाद संविधान की रक्षा और पालन करने का वचन दिया। उन्होंने साथ ही न्याय, स्वंतत्रता और समानता के मूल्यों के पालन का भी वचन दिया। कोविंद ने संसद सदस्यों और मुख्यमंत्रियों समेत विभिन्न गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए कहा कि अनेकता में एकता भारत की ताकत है।
नए राष्ट्रपति ने संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित समारोह में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. केहर द्वारा पद की शपथ दिलाए जाने के बाद कहा, हम सभी अलग हैं फिर भी एक और एकजुट हैं। ये हमारे पारंपरिक मूल्य हैं। इसमें न कोई विरोधाभास है और न ही किसी तरह के विकल्प का प्रश्न उठता है।
उन्होंने प्राचीन भारत के ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को साथ लेकर चलने की जरूरत पर बल देते हुए कहा, हमें तेजी से विकसित होने वाली एक मजबूत अर्थव्यवस्था, एक शिक्षित, नैतिक और साझा समुदाय, समान मूल्यों वाले और समान अवसर देने वाले समाज का निर्माण करना होगा। एक ऐसा समाज, जिसकी कल्पना महात्मा गांधी और दीन दयाल उपाध्याय जी ने की थी।