अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद राष्ट्रपति शासन का लगना तय है. इस बात का संकेत तो 14 जुलाई को ही केंद्रीय उपभोक्ता मामले के मंत्री रामविलास पासवान ने दे दिया था. पासवान ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उस समय धमकी तक दे दी थी कि वे तेजस्वी यादव के मामले पर जल्द से जल्द फैसला लें.
पासवान ने यहां तक कह दिया था कि यह नीतीश को निर्णय लेना है कि वे चुनाव में जाना चाहते हैं या मुख्यमंत्री बना रहना चाहते हैं. नीतीश को जो भी फैसला लेना है वह जल्द से जल्द लें.
उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और साफ छवि एक साथ नहीं चल सकता. सारी दुनिया जानती है कि लालू प्रसाद यादव कितने पाक साफ हैं. सीबीआई किसी के खिलाफ एफआईआर दायर करती है तो पूरे पुख्ता सबूत के आधार पर, न कि हवा हवाई पर.
पासवान ने कहा कि नीतीश सरकार लंगड़ी बिल्ली की तरह चल रही है.
लगभग एक माह से चल रहे राजनीतिक टकराव का आज लगभग अंत हो गया. विधानसभा में राजद के 80 विधायक हैं , जबकि जेडीयू के 71 और कांग्रेस के 27 विधायक हैं. माना जा रहा है कि जेडीयू के कई विधायक अपना पाला बदलकर राजद में शामिब हो जाएं.
लेकिन सबसे बडा़ मसला यह है कि बिहार के राज्यपाल सबसे बड़े दल होने के कारण राजद को सरकार बनाने का न्योता देंगे या नहीं. इस बात की पूरी संभावना है कि राज्यपाल सरकार बनाने का न्योता किसी भी दल को फिलहाल नहीं देने जा रहे हैं, खासकर राजद को.क्योंकि राजद के सभी बड़े नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं. राजद सुप्रीमो लालू यादव के दोनों बेटों पर अवैध संपत्ति के आरोप लगे हुए हैं. राबड़ी देवी और मीसा पर भी अकूत संपत्ति का मामला दर्ज है. इसलिए लालू के खानदान को सीएम बनने का मौका नहीं दिया जाएगा.
कांग्रेस के पास आंकड़ो के हिसाब से बेहद कम विधायक है. इसलिए इस बात की कम ही संभावना है.