जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि यह बात कुछ लोगों को अच्छी न लगे लेकिन ‘इंडिया इज इंदिरा गांधी’. इंदिरा गांधी की तारीफ करते हुए कहा है कि लाहौर घोषणा से ही जम्मू-कश्मीर में शांति आती आ सकती है. मेहबूबा ने पाकिस्तान के साथ व्यापार मार्गों को ब्लाक न करने की भी नसीहत दी है.
मुख्यमंत्री मुफ्ती ने शुक्रवार को चेतावनी दी थी कि अगर जम्मू कश्मीर के लोगों को मिले विशेषाधिकारों में किसी तरह का बदलाव किया गया तो राज्य में तिरंगा को थामने वाला कोई नहीं रहेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘वाघा सीमा के जरिये काफी मुश्किलें आती हैं, वहां से चरस और गांजा आता है लेकिन कोई उसे बंद करने की बात नहीं कर रहा. श्रीनगर-मुजफ्फराबाद रोड पर केवल एक गलती होने के कारण, हमें उसे बंद करने की बात नहीं करनी चाहिए. हमें ऐसा नहीं होने देना चाहिए.’’ गत 21 जुलाई को पुलिस ने पीओके से आयी एक ट्रक से 66.5 किलोग्राम हेरोइन और ब्राउन शुगर जब्त किया था जिसकी कीमत 300 करोड़ रुपये है.
उन्होंने कहा कि एक तरफ ‘हम संविधान के दायरे में कश्मीर मुद्दे का समाधान करने की बात करते हैं और दूसरी तरफ हम इसपर हमला करते हैं.’ उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, ‘कौन यह कर रहा है. क्यों वे ऐसा कर रहे हैं (अनुच्छेद 35 एक को चुनौती दे रहे हैं). मुझे आपको बताने दें कि मेरी पार्टी और अन्य पार्टियां जो (तमाम जोखिमों के बावजूद जम्मू कश्मीर में) राष्ट्रीय ध्वज हाथों में रखती हैं, मुझे यह कहने में तनिक भी संदेह नहीं है कि अगर इसमें कोई बदलाव किया गया तो कोई भी इसे (राष्ट्रीय ध्वज को) थामने वाला नहीं होगा.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे साफ तौर पर कहने दें. यह सब करके (अनुच्छेद 35 ए) को चुनौती देकर, आप अलगाववादियों को निशाना नहीं बना रहे हैं. उनका (अलगाववादियों का) एजेंडा अलग है और यह बिल्कुल अलगाववादी है.’
उन्होंने कहा, ‘बल्कि, आप उन शक्तियों को कमजोर कर रहे हैं जो भारतीय हैं और भारत पर विश्वास करते हैं और चुनावों में हिस्सा लेते हैं और जो जम्मू कश्मीर में सम्मान के साथ जीने के लिये लड़ते हैं. यह समस्याओं में से एक है.’ वर्ष 2014 में एक एनजीओ ने रिट याचिका दायर करके अनुच्छेद 35 ए को निरस्त करने की मांग की थी. मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है.
महबूबा ने कहा कि कश्मीर भारत की परिकल्पना है. उन्होंने कहा,’बुनियादी सवाल है कि भारत का विचार कश्मीर के विचार को कितना समायोजित करने को तैयार है. यह बुनियादी निचोड़ है.’ उन्होंने याद किया कि कैसे विभाजन के दौरान मुस्लिम बहुल राज्य होने के बावजूद कश्मीर ने दो राष्ट्रों के सिद्धांत और धर्म के आधार पर विभाजनकारी बंटवारे का उल्लंघन किया और भारत के साथ रहा.
उन्होंने कहा, ‘भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर के लिये विशेष प्रावधान हैं. दुर्भाग्य से समय बीतने के साथ कहीं कुछ हुआ कि दोनों पक्षों ने बेईमानी शुरू कर दी.’ उन्होंने केंद्र और राज्य की ओर इशारा करते हुए कहा कि दोनों पक्ष हो सकता है अधिक लालची हो गये हों और पिछले 70 वर्षों में राज्य को भुगतना पड़ा.
ऐसी भी खबरें हैं कि कश्मीर में आतंकवाद के वित्तपोषण की जांच कर रही एनआईए नियंत्रण रेखा के आर-पार के मार्गों पर व्यापार बंद करने की सिफारिश कर सकती है. महबूबा ने कहा, ‘‘हम और मार्ग खोलने के पक्ष में हैं. (सीमा प्रवेश स्थलों) पर बैंकिंग जैसी सुविधाएं होनी चाहिए. (ट्रकों के लिए) वहां (फुल) बॉडी स्कैनर होने चाहिए ताकि हमें पता चले कि वहां से क्या आ-जा रहा है.’’
उन्होंने अविभाजित जम्मू-कश्मीर के लिए एक संयुक्त विधायिका के विचार पर चर्चा करते हुए कहा, ‘‘हमारी विधानसभा में उस तरफ के कश्मीर के लिए सीटें आरक्षित हैं. हमें उन सीटों के लिए नामांकन करने को लेकर मिलकर फैसला लेना चाहिए. हमें फैसला करना चाहिए कि इस विधानसभा की हर साल एक बार इस कश्मीर और एक बार उस कश्मीर में बैठक हो ताकि हम पर्यटन, यात्रा और शारदा पीठ खोलने के बारे में बात कर सकें.’’
पीडीपी अध्यक्ष ने छात्रों के आदान प्रदान के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा, ‘‘मैं दूसरी तरफ के कश्मीर के लोगों से अपील करता हूं. आप यहां 15 दिन के दौरे पर अपने बच्चों को भेजें तथा हम भी अपने बच्चों को वहां भेजेंगे. वे देखेंगे कि हम यहां कैसे रहते हैं और हमारे बच्चे देखेंगे कि वे वहां कैसे रहते हैं.’’ मुख्यमंत्री ने अपने गठबंधन सहयोगी भाजपा, विपक्षी दलों नेशनल कांफ्रेंस तथा कांग्रेस सहित मुख्यधारा की सभी पार्टियों से एक साथ आने और कश्मीर में रक्तपात के अंत का रास्ता तलाशने की अपील की.