जनजीवन ब्यूरो
चेन्नई। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री के कोर्ट से बरी होने के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की आस बढ़ गई है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 19 साल पुराने आय से अधिक संपत्ति मामले में अन्नाद्रुमक प्रमुख जयललिता को बरी कर दिया। खचाखच भरी अदालत में प्रवेश करने के एक मिनट बाद ठीक 11 बजे फैसले का मुख्य अंश पढ़ते हुए न्यायमूर्ति सीआर कुमारसामी ने कहा, ‘‘सभी अपील स्वीकार की जाती हैं और दोषियों को बरी किया जाता है।’’
जया दोबारा कर्नाटक की मुख्यमंत्री बनेंगी या नहीं, यह जल्द ही साफ हो
जाएगा। यदि वे अपने विश्वसनीय पन्नेरसेल्वम को सीएम बनाए रखती हैं तो भी राष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से भाजपा और कांग्रेस, दोनों की नजर में उनका वजन बढ़ जाएगा। राज्यसभा में परेशानी झेल रही मोदी सरकार की नजर भी अम्मा पर होगी।
अदालत की कार्यवाही करीब पांच मिनट में पूरी हो गई। निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए एकल पीठ के न्यायाधीश ने अन्नाद्रमुक प्रमुख की करीबी सहयोगी शशिकला नटराजन और उनके रिश्तेदारों जे एलावरासी और जयललिता के अलग हो चुके दत्तक पुत्र वी एन सुधाकरण को भी बरी कर दिया। इन चारों को निचली अदालत ने चार साल के कारावास की सजा सुनाई थी। सियाजी पंडितों के मुताबिक, इसका असर न केवल कर्नाटक की राजनीतिक पर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ेगा।
जया के बरी होने से सबसे बड़ा झटका उनकी धुर विरोधी द्रमुक को लगा है।
अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए द्रमुक की नजर इस फैसले पर थी। यानी एक बड़ा चुनावी मुद्दा करुणानिधि एंड पार्टी के हाथ से निकल गया है।