जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों के 50 साल से ऊपर के टीचरों को जबरन रिटायर करने का फैसला नीतीश सरकार ने किया है. इस फैसले पर राजद नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया है. फेसबुक पर तेजस्वी ने लिखा ”विगत दस-बारह सालों में बिहार के शिक्षा स्तर में जो भारी गिरावट आई है उसके लिए, बिहार का बच्चा-बच्चा जानता है कि एक ही शख़्स जिम्मेदार है और वह है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार.”
तेजस्वी यादव ने आगे लिखा, ”बस एक ही आँकड़ा लेकर ये बैठ गए हैं कि पिछली सरकार की अपेक्षा इनके कार्यकाल में दाखिलों में इज़ाफ़ा हुआ. ये इतने आत्ममुग्ध है कि इस इज़ाफ़े के लिए जिम्मेदार अधिक कारगर कारणों की जानबूझकर अनदेखी करते हैं. यूपीए के कार्यकाल में सर्व शिक्षा अभियान में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किए गए भारी आवंटन, बजट बढ़ोतरी और मिड डे मील जैसी योजनाओं की बदौलत बढ़े दाखिले का सेहरा बड़ी चतुरता से बस अपने सिर पर ही सजाते हैं. ये भूल जाते हैं कि यूपीए सरकार के सहयोग के बगैर शिक्षा के क्षेत्र में एक भी योजना को अमलीजामा पहनाना असम्भव था.”
तेजस्वी ने कहा कि ये कभी बिहार में शिक्षा के निरन्तर गिरते स्तर पर एक शब्द नहीं बोलते हैं. क्या शिक्षा के गिरते स्तर पर मुख्यमंत्री ने कभी चिंता ज़ाहिर की? अपने होनहार विद्यार्थियों के ज़रिए पूरे देश में अपने शिक्षा का डंका बजवाने वाला बिहार अचानक अपनी शिक्षा के गिरते स्तर, नकल, विलंब से परीक्षा परिणाम और अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए जाना जाने लगा. क्या ये बताएँगे कि इन्होंने अपने 12 साल के कार्यकाल में नियमित शिक्षकों की बहाली क्यों नहीं की?
इसके साथ ही लिखा, ”पुलिस सिपाही के लिए बिहार में लिखित परीक्षा ली गयी लेकिन विधार्थियों का भविष्य गढ़ने वाले शिक्षको के लिए नीतीश जी ने लिखित परीक्षा नहीं ली. और आज जब पूरे देश में इनकी शिक्षा नीति की थू-थू हो रही है तो अब ये 50 वर्ष से ऊपर के शिक्षको को हटाने का नाटक रच रहे हैं. अगर कोई क़ाबिल नहीं है तो उसे हटाने के किए उम्र की सीमा क्यों? बिहार की गिरती हुई शिक्षा व्यवस्था के सिर्फ़ और सिर्फ़ ज़िम्मेवार आप है.
यह समझने के लिए रॉकेट विज्ञान की आवश्यकता नहीं कि तत्कालीन योजना आयोग के प्रति पंचवर्षीय योजना में पिछली योजना के मुकाबले, बड़ी होती अर्थव्यवस्था के फलस्वरूप पंचवर्षीय योजना में बढ़ते आवंटन के फलस्वरूप स्कूलों में दाखिले में बढ़ौतरी होते चली गयी. शिक्षा को ऐसी दयनीय स्थिति में लाने के ज़िम्मेवार आप है और उसकी गाज आप 50 पार शिक्षकों पर गिराना चाहते है.
तेजस्वी यादव ने इसके साथ ही तल्ख तेवर अपनाते हुए यह भी लिखा, ”आप भी तो 65 पार है आपसे राज्य नहीं संभल रहा तो आप भी संन्यास लीजिए. कम से कम बिहार की शिक्षा व्यवस्था का तो सुधार होगा और बिहार की जनता को आप जैसे अवसरवादी मुख्यमंत्री के हाथों जनादेश का अपमान नहीं सहना पड़ेगा. शिक्षा से खिलवाड़ कर राज्य के छात्रों भविष्य से खेलने के प्रयास की राजद कड़े शब्दों में भर्तस्ना करता है. हम बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की माँग उठाते रहे हैं और अगर सरकार नहीं चेती तो शिक्षा और शिक्षकों की माँगो को लेकर आंदोलन करेंगे.”
इस फैसले को लेकर शिक्षक संगठन और शिक्षकों में काफी आक्रोश है. इसी कड़ी में शिक्षकों की समस्या को लेकर बक्सर जिले के डुमरांव प्रखंड के मध्य विद्यालय के शिक्षक पूर्णानंद मिश्रा ने एक कविता लिखी है. यह कविता सोशल मीडिया पर काफी पसंद की जा रही है. शिक्षक समुदाय से लेकर आम लोग इसे काफी चाव से पढ़ रहे हैं और शेयर कर रहे हैं.
पढ़िए पूर्णानंद की वह कविता जो वायरल हो रही है-
ऐसा निर्णय उचित नहीं है,
मेरे प्यारे वर्मा जी,
सेवा काल से पहले ही शिक्षक को
बैठा दिजियेगा घर में जी.
अनुभव की है बहुत जरूरत,
आज कल विद्यालय में
पैंसठ सालों का नेता कैसै
बना रहे सचिवालय में??
चौदह साल गंवा बैठा जो
सेवा शर्त बनाने में,
तत्पर हो गया जन्म लेते ही
शिक्षक को हटाने में!!
पहले हमको सूद चाहिए
अपने चौदह सालों का,
फिर फरमान सुनेंगे हम सब
सत्ता की गंदी चालों का!
भूल गये क्यू पटना की धरती पर
कितना भीषण संघर्ष हुआ,
जरा पलट के नजर देखिए
चौधरी जी का क्या हश्र हुआ?
मिली है कुरसी शिक्षा की तो
शिक्षक का सम्मान करें,
भूल पुरानी दोहराकर मत
गुरुवर का अपमान करें!!
वरना पूर्णानंद घनानंद
का इतिहास पढ़ायेगा
चाणक्य के ताकत का फिर से
सबको एहसास करायेगा.
-पुर्णानंद मिश्रा
पुर्णानंद मिश्रा मध्य विद्यालय कोरान सराय के काफी संवेदनशील और गंभीर शिक्षक हैं.a