जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली . नौकरी की मारामारी या लक्जीरियस लाइफ की चाहत ने एक बेटे को इस कदर झकझौड़ा है कि उसके सामने सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा दिख रहा है. एक साल पहले जब अपनी मां से दूर हुआ था तो उसे पता ही नहीं था कि यह मिलन उन दोनों का अंतिम मिलन है. अपने फ्लैट का दरवाजा जब बेटा ने खोला तो वह हैरान रह गया,क्योंकि सामने उसकी मां का कंकाल पड़ा था.
अमेरिका में बसे रितुराज साहनी रविवार (7 अगस्त, 2017) को मुंबई लौटा और ओशिवारा में अपने फ्लैट का कॉ़ल बेल दवाया, लेकिन अंदर से किसी भी तरह की आवाज नहीं आई. बंद दरवाजा को अपनी चाबी से खोल कर जब फ्लैट के अंदर पहुंचा तो वहां का नजारा देखकर उनके होश उड़ गए . बेडरूम में 63 साल की मां का सिर्फ कंकाल बचा था. पूरा शरीर बुरी तरह सड़ चुका था. मामले की जांच कर रही पुलिस का कहना है कि, ‘शुरुआती जांच से लगता है कि महिला की मौत कई हफ्ते पहले हो चुकी थी. हमने केस दर्ज कर लिया है. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने पर ही कुछ कहा जा सकता है. हालांकि मृतक महिला के शरीर पर किसी तरह के जख्म के निशान ना होने से ये हत्या का मामला नहीं नजर आता. वहीं दरवाजा भी अंदर की तरफ से बंद था.’
ओशिवारा पुलिस स्टेशन के सीनियर अधिकारी सुभाष खनविल्कर ने कहा, ‘आशा के सहानी अंधेरी के लोखंडवाला इलाके में वोल कोस्ट सोसायटी की एक इमारत की दसवीं मंजिल पर रहती थी. उनके पति की मौत साल 2013 में हो चुकी है. उनका एक बेटा रितुराज, जो एक इंजीनियर है, साल 1997 में अमेरिका जाकर बस गया.’ दोनों मां-बेटे की आखरी बार फोन पर बातचीत भी बीते साल अप्रैल में हुई थी. इस दौरान आशा ने बताया कि वो घर में अकेलापन महसूस करती हैं. और बेटे से ओल्ड एज होम भेजने की भी बात कही थी. खनविल्कर के अनुसार 10वीं मंजिल पर सिर्फ दो फ्लैट हैं. वहीं साहनी के पड़ोसी ने बताया कि उन्हें फ्लैट से ऐसी कोई भी स्मेल नहीं आई जिससे किसी तरह का शक पैदा होता.
दूसरी तरफ पुलिस ने रितुराज के हवाले से बताया, ‘बेडरूम में मौजूद आशा का शव बुरी तरह सड़ चुका था. शरीर के नाम पर सिर्फ कंकाल बचा था. हमें शक है कि उनकी मौत कई सप्ताह पहले हो चुकी थी.’ वहीं पुलिस रितुराज के बयान के आधार पर मामले में छानबीन करने में जुट गई है. वहीं अन्य उन लोगों से भी पूछताछ की जा रही है जिन्होंने आखरी बार आशा से बात की थी.