अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । गुजरात में राज्यसभा का चुनाव लोकसभा और विधानसभा के आम चुनाव से भी ज्यादा दिलचस्प रहा. जितनी सरगरमी इस चुनाव को लेकर रही उतनी खलबलाहट तो कभी नहीं देखी गई. कांग्रेसी उम्मीदवार अहमद पटेल की जीत के लिए दो विधायकों के वोट का रद्द होना तो सरसरी नजर में देखी जा रही है, लेकिन बीजेपी के अंदर हुई बगावत को नजरअंदाज किया जा रहा है. बीजेपी के दो विधायकों ने जिस तरह से अमित शाह को मात दिया है वह आने वाले समय में काफी याद किया जाता रहेगा.
दो कांग्रेसी विधायकों के अपने वोट भाजपा नेताओं को दिखाने के मामले में कांग्रेस ने चुनाव आयोग का दरवाज़ा खटखटाया और लंबे सियासी ड्रामे के बाद आख़िरकार चुनाव आयोग ने अपनी किरकिरी से बचने के लिए दोनों वोट रद्द कर दिया.
लेकिन ऐसा नहीं कि इस पूरी कशमकश में महज़ इन दो वोट से ही सारा खेल बदला. इन दो के अलावा चार और ऐसे विधायक थे, जिनके वोट को लेकर कयासों का दौर जारी रहा. कुल मिलाकर क्रॉस वोटिंग करने वाले वो छह विधायक जिन्होंने क्लाइमैक्स को दिलचस्प बनाए रखा और रतजगे को ज़रा भी बोरिंग नहीं होने दिया.
पिछले दो साल से पाटिदार आंदोलन से जुड़े रहे नलिन कोटडिया से जब पूछा गया कि उन्होंने किसे वोट दिया, ”मैं आपको ये नहीं बताऊंगा लेकिन ये ज़रूर कहूंगा कि मैंने पाटिदार समुदाय के पक्ष में मतदान किया है…जब मैंने अपना वोट (गुजरात में मंत्री) प्रदीप सिंह जडेजा को दिखाया तो उनका चेहरा तमतमा गया था.”
नलिन ने फेसबुक पर एक पोस्ट करके सबकुछ बयां किया. उन्होंने लिखा, ‘पाटीदार आंदोलन के वक्त हुई 14 लोगों की मौत का दर्द देखा था उसकी वजह से बीजेपी के खिलाफ वोट दिया.’ माना जा रहा है कि नलिन के वोट की वजह से कांग्रेस के उम्मीदवार अहमद पटेल की जीत हुई. पटेल ने 44 वोट हासिल करके राज्य सभा चुनाव जीत लिया. बीजेपी उम्मीदवार बलवंत राजपूत उनके सामने थे.
नलिन के इस खेल के पीछे पूरी कहानी यह मानी जा रही है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी अपने मौजूदा विधायकों मे से 90 फीसदी को टिकट नहीं देने जा रही है. चार-पांच माह बाद चुनाव होने जा रहे हैं. इसलिए कटोडिया ने अपनी राजनीतिक सूझ बूझ का इस्तेमाल करते हुए अहमद पटेल को वोट देना बेहतर समझा. वोट देने के कारण कटोडिया अहमद पटेल के खासमखास में गिने जाने लगे हैं जिसके कारण उन्हें विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जाना तय है.
गुजरात में जद यू के इकलौते विधायक छोटू वसावा के वोट को लेकर भी काफ़ी बवाल रहा. हाल में बिहार में राष्ट्रीय जनता दल से नाता तोड़कर भाजपा से हाथ मिलाने वाली जनता दल युनाइटेड के नेता को पार्टी की तरफ़ से अहमद पटेल के ख़िलाफ़ वोट डालने के निर्देश दिए गए थे. मतदान के बाद जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने किसे वोट दिया है, तो उनका जवाब था, ”मैंने देश की सुरक्षा के लिए वोट दिया है.”
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) का दावा है कि उसके दोनों विधायकों ने कांग्रेस को वोट दिया लेकिन कंधाल जडेजा ने संकेत दिया कि उनका वोट भाजपा के खाते में गया है. पोरबंदर की ‘गॉडमदर’ के नाम से जानी गईं संतोखबेन जडेजा के बेटे कंधाल ने 2012 में पहली बार चुनाव लड़ा था.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दूसरे विधायक जयंत पटेल ने वोट डालने के बाद सिर्फ़ इतना कहा कि उनकी पार्टी यूपीए का हिस्सा है. इसके बाद वो अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ रवाना हो गए.
इन चार के अलावा हाल में कांग्रेस से बगावत करने वाले शंकरसिंह वाघेला ने वोट डालने के बाद साफ़ कहा कि इस चुनाव में अहमद पटेल हारने वाले हैं ऐसे में उन्होंने अपना वोट ख़राब नहीं किया.
कांग्रेस ने चुनाव आयोग में अपने दो बाग़ी विधायकों राघवजी पटेल और भोला गोहेल के वोट रद्द करने की मांग की थी. बीजेपी के सीनियर नेताओं और कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने चुनाव आयोग जाकर कांग्रेस की मांग का विरोध किया. दोनों पक्षों की तरफ़ से चुनाव आयोग कई टीमें पहुंचीं.
चुनाव आयोग ने आधी रात के क़रीब अपना फ़ैसला सुनाया. चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दो बाग़ी विधायकों के वोट रद्द करने का फ़ैसला लिया. इसका मतलब यह हुआ कि इस सीट को जीतने के लिए दोनों प्रत्याशियों को 45 की तुलना में 44 वोटों की ज़रूरत रह गई थी.
चुनाव आयोग ने कांग्रेस के दो विधायकों के वोटों को रद्द करने का फ़ैसला इसलिए लिया क्योंकि दोनों विधायकों ने मतदान के दौरान बीजेपी पोलिंग एजेंट को अपना बैलेट दिखाया था. चुनाव आयोग का फ़ैसला अहमद पटेल के हक़ में गया.