जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। बजट सत्र समाप्त होने के बाद कांग्रेस ने फिर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने सरकार पर तानाशाही आरोप लगाते हुए कहा है कि सत्र के दौरान 55 बिल में से मात्र पांच बिल को सेलेक्ट कमेटी या स्थाई समिति को भेजा गया। जबकि पहले विपक्ष के विरोध होने पर बिल को विभिन्न समितियों को भेज दिया जाता था ताकि बिल की खामियो को दूर किया जा सके। खासबात यह है कि जिस बिल का भाजपा संप्रग सरकार के समय विरोध करती थी उसे संसद से पास कराने के लिए मोदी सरकार कांग्रेस से विनती करती रही। कांग्रेस ऐसे बिल को पास कराने में सरकार की पूरी मदद की। कांग्रेस ने मोदी सरकार को कई बिलों को पेश करने और पास कराने का अनावश्यक रूप से श्रेय लेने के लिए कटघरे में खड़ा किया है, जबकि सत्य यह है, कि इन बिलों की योजना बनाने और इन्हें संसद में लाने की पहल कांग्रेस पार्टी ने ही की थी। लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने संयुक्त रुप से संवाददाताओं से कहा कि मोदी सरकार न सिर्फ किसान विरोधी है बल्कि गरीब विरोधी है।
इस सत्र में दोनों ही सदनों में 24 बिल पारित कराने का श्रेय लेना चाहती है। यह विपक्षी दलों के सहयोग और समर्थन के बिना संभव नहीं हो सकता है। जहां लोकसभा ने 23 बिल पास किए वहीं राज्यसभा ने 24 बिल पास किए। यह अन्य विपक्षी दलों सहित कांग्रेस के सहयोग के कारण संभव हुआ, कि लोकसभा ने 35 और राज्यसभा ने 32 बैठकें कीं।
भारत-बांग्लादेश सीमा विवाद की चर्चा करते हुए आजाद ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जब विपक्ष में थी तो कहती थी कि इस बिल को कभी नहीं पास होने देंगे। उसी बिल की तारीख और वर्ष बदलकर संसद में सुषमा ने पास कराया। आजाद ने सुषमा की सराहना करते हुए कहा कि संसद में सुषमा ने इंदिरा गांधी और मनमोहन सिंह की सरकार को इसके लिए धन्यवाद दिया।
आजाद ने कहा कि सबसे बुरी स्थिति तब हुई जब भाजपा सरकार ने राज्यसभा के अधिकारों को कमजोर करने का जानबूझकर और कुत्सित प्रयास किया, यह भारतीय संसद के इतिहास की अप्रत्याशित घटना थी। सरकार ने मनी बिल की परिभाषा में एकतरफा बदलाव कर दिया और इसमें फाईनेंस बिल के फॉरवार्ड कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट 1952, सिक्योरिटी कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट 1956, फॉरेन एक्सचेंज़ मैनेज़मेंट एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट 1002 जैसे संशोधन जोड़ दिए। ऐसा इस मंशा से किया गया कि फाईनेंस बिल के महत्वपूर्ण कानूनों में इन संशोधनों को जोड़कर इसे मनी बिल बनाने से राज्यसभा की भूमिका अर्थहीन हो जाएगी, क्योंकि मनी बिल को राज्यसभा के द्वारा एक कमिटी में चर्चा के लिए प्रस्तावित नहीं किया जा सकता है, और इसे विशेष समय अंतराल में पारित किया जाना होता है।
कोल ब्लाक आवंटन पर मोदी सरकार की वाहवाही लूटने पर आजाद ने कहा कि मोदी सरकार कहती है कि कोल ब्लाक आवंटन से दो लाख करोड़ रुपए की आमदनी होगी। लेकिन सरकार यह नहीं बताती है कि यह आमदनी तीस साल में होगी। रुपए का जिस तरह से अवमूल्यन हो रहा है उससे तीस साल में दो लाख करोड़ का मूल्य कुछ नहीं रह जाएगा।
खड़गे ने कांग्रेस सांसदो की संख्या कम रहने का रोना रोते हुए कहा कि मोदी सरकार विपक्ष को कुछ भी महत्व नहों दे रही है। कांग्रेस पार्टी लाचार है
और मोदी सरकार तानाशाह।