जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : जेपी इन्फ्राटेक से फ्लैट खरीदने वाले 32 हजार लोगों को निराश होना पड़ेगा। आज नैशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) की इलाहाबाद बेंच ने आईडीबीआई बैंक की याचिका को स्वीकार करते हुए जेपी इन्फ्राटेक को दिवालिया कंपनियों की श्रेणी में डाल दिया है। 8,365 करोड़ रुपये के कर्ज में फंसी कंपनी को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए अब 270 दिनों का समय दिया जाएगा यदि इस बीच कंपनी की वित्तीय स्थिति नहीं बदली तो इसकी संपत्ति नीलाम कर दी जाएगी । नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कंपनी के करीब 32 हजार फ्लैट्स निर्माणाधीन हैं।
NCLT ने आईडीबीआई बैंक की तरफ से दाखिल दिवालिया याचिका पर जवाब देने के लिए जेपी इन्फ्राटेक को 4 अगस्त तक का समय दिया था। आईडीबीआई बैंक ने इसी साल जून में NCLT में यह याचिका दाखिल की थी। कंपनी पर अकेले आईडीबीआई बैंक का 4,000 करोड़ रुपये बकाया है।
दिवालिया कानून के मुताबिक, किसी कंपनी को इस श्रेणी में डालते ही बोर्ड के डायरेक्टर्स सस्पेंड हो जाते हैं। ट्राइब्यूनल अब दिवालिया समाधान पेशेवर (इस उद्देश्य के लिए चयनित 7 अकाउंटिंग फर्म का अधिकारी) की नियुक्ति करेगा। ये पेशेवर जेपी के ऋणदाताओं के साथ बैठेंगे और कंपनी के कर्ज को लेकर समाधान की तलाश करेंगे।
नियुक्त अधिकारी को कंपनी की वित्तीय स्थिति बदलने के लिए 270 दिनों का समय मिलेगा। यह स्थित नहीं बदली तो फिर कंपनी के संपत्तियों की नीलमी की जा सकती है। जयप्रकाश असोसिएट्स की जेपी इन्फ्राटेक में 71.64% की हिस्सेदारी है।
जेपी इन्फ्राटेक का मामला आरबीआई की तरफ से पहचान किए गए 12 मामलों में शामिल है, जिस पर बैंकों को सलाह दी गई है थी वे दिवालिया प्रक्रिया NCLT में शुरू करें। इस सूची में जेपी इन्फ्राटेक के अलावा मोन्नेट इस्पात, ज्योति स्ट्रक्चरर्स, इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स, एमटेक ऑटो, एस्सार स्टील, भूषण स्टील, भूषण पावर और स्टील, लैन्को इन्फ्राटेक, एबीजी शिपयार्ड, आलोक इंडस्ट्रीज और ईरा इन्फ्रा ऐंड इंजिनियरिंग शामिल है।
जेपी इंफ्राटेक जो जयप्रकाश एसोसिएट्स की मुख्य बड़ी कंपनियों में से एक है. जयप्रकाश एसोसिएट्स का इस कंपनी में 71.64 फीसदी का हिस्सा है. गौरतलब है कि आरबीआई ने जिन 12 कंपनियों को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के तहत इंसॉल्वेंसी कोड में डाला है उनमें भी जेपी इंफ्राटेक का नाम शामिल है. जयप्रकाश एसोसिएट्स के मालिक मनोज गौड़ हैं.