जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । चीन के सिचुआन में आए भूकंप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अफसोस ज़ाहिर करना वहां के लोगों को ज्यादा पसंद नहीं आया. 8 अगस्त को आए भूकंप के बाद मोदी ने पीड़ितों के लिए चीनी सोशल मीडिया वीबो पर संवेदना प्रकट की थी जिसे लेकर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आईं. रिक्टर स्केल पर सात तीव्रता वाले इस जानलेवा भूकंप में कम से कम 20 लोग मारे गए और 431 घायल हुए.
मोदी ने वीबो पर अपने पोस्ट में लिखा, “सिचुआन भूकंप में मारे गए लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदना. भारत के लोग पीड़ित परिवारों के लिए प्रार्थना करते हैं और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं.”ॉ
मोदी के इस पोस्ट पर ज्यादातर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आईं. कई लोगों ने उनसे डोकलाम के इलाके में भूटान और चीन के बीच जारी सीमा विवाद पर ध्यान देने के लिए कहा. भारत इस क्षेत्र पर भूटान के दावे का समर्थन करता है.
सिचुआन प्रांत के चेंग्दू क्षेत्र के एक यूजर ने वीबो पर लिखा है, “सिचुआन के लोगों का कहना है कि चीनी इलाके से पीछे हटना ही संवेदना प्रकट करने का सबसे अच्छा तरीका है.”
वो आगे लिखते हैं, “अगर वे पीछे नहीं हटते हैं तो ये महज झूठे मानवीय शब्द होंगे. कोई देश और उसके लोग इतना पाखंड कैसे कर सकते हैं.”
युन्नान प्रांत के लिजांग इलाके से एक अन्य वीबो यूजर ने लिखा है, “मोदी घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. जवानों की जिंदगी के साथ जुआ खेलने की चाहत रखना मानवीय कैसे हो सकता है.”
कुछ ऐसे ही सुर शांक्शी प्रांत के शियान इलाके के एक यूजर के भी हैं. उन्होंने लिखा है, “ये मत समझिए कि सहानुभूति के कुछ शब्दों पर हम पिघल जाएंगे. फौज भेजना और संवेदना के शब्द जाहिर करना दोनों अलग-अलग बातें हैं.”
वीबो पर प्रधानमंत्री मोदी को लेकर कुछ लोगों का लहजा बेहद तल्ख था और मोदी की संवेदना के शब्दों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देने वाले लोग भी मिले.
तियानजिन के एक यूजर ने मोदी की संवेदना जाहिर करने पर लंबा पोस्ट लिखा है, “मैं उम्मीद करता हूं कि सभी लोग शांत रहेंगे और ज्यादा तल्ख नहीं होंगे.”
इस यूजर ने आगे लिखा है, “सिचुआन भूकंप के पीड़ितों के लिए मोदी ने वीबो पर संवेदना प्रकट की है. एक महान राष्ट्र के नागरिक के तौर पर हमें इसका जवाब देना चाहिए. ये एक अलग मुद्दा है. डोकलाम में हम जमीन का एक इंच भी नहीं छोड़ सकते हैं. यही सिद्धांत है.”
“लेकिन डोकलाम के मुद्दे को हल करने के लिए हमें एक महान राष्ट्र की समझदारी को दिखलाने की जरूरत है. ये कहा जा सकता है कि भारत और चीन की उत्पत्ति एक ही स्रोत से हुई है. हमारे ऐतिहासिक संबंध रहे हैं और अतीत में कभी भी नफरत का रिश्ता नहीं रहा है. 1962 की लड़ाई के हम विजेता हैं.”
उन्होंने लिखा है, “क्या हमें ये नहीं कहना चाहिए कि एक अच्छा पड़ोसी एक और दुश्मन से अच्छा होता है. हमारे आस-पास का माहौल बहुत अच्छा नहीं है. हमारे असली दुश्मन देख रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि हम कब मुश्किल में पड़ते हैं. फिलहाल हमें शांत रहने की जरूरत है.”
इसी बात को बढ़ाते हुए शानडोंग प्रांत के एक यूजर ने लिखा है, “अगर चीन और भारत सीमा विवाद को जल्द से जल्द सुलझा लें तो ये दोनों देशों के लोगों के लिए बहुत बड़ा वरदान होगा.”
मई, 2015 में अपनी चीन यात्रा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीबो पर खाता खोला था.
15 जून को उन्होंने शी जिनपिंग को जन्मदिन की बधाई दी थी और एक जुलाई को उन्होंने अपने चीनी समकक्ष ली कचियांग को बर्थडे विश किया था. इस समय वीबो पर मोदी को तकरीबन 1,60,000 लोग फॉलो करते हैं.